Navratri Havan: परम्परा: नवरात्रि महोत्सव पर यहां 88 वर्षों से दी जा रही है अनुठी बलि
Navratri Havan: आशापुरी मंदिर में कई वर्षों से चली आ रही प्रथा के अनुसार हवन के बाद कुम्हडा कददु की बलि दी गई।
रिपोर्ट: जगमाल सिंह राजपुरोहित
जालोर, 09 अप्रैल: Navratri Havan: कस्बे में स्थित श्री आशापुरी मोधरां माताजी मंदिर में शनिवार को चैत्रीय नवरात्रि महोत्सव के उपलक्ष्य में दुर्गा अष्टमी के पावन पर्व पर हवन व महाआरती आयोजन सुबह 9:30 बजे से आरम्भ कर शाम पांच बजे के बाद पूर्णाहुति और महाआरती के साथ सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर सुबह से देर रात तक मंदिर में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। वही नवरात्रि महोत्सव (Navratri Havan) को लेकर पुरे सात दिन दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन पंडित आचार्य भीमाशंकर दवे, निखिल दवे, अरुण दवे , जयन्तिलाल दवे ,ललीत त्रिवेदी, शुभम दवे,अरुण दवे सहीत यजमान भवानीसिंह राजपुरोहित, केके राजा हरचन्द राजपुरोहित व पर्वत सिंह राठौड़ आदी ने पुरे दिन सुबह से वैदिक मंत्रों का गुणगान करते हुए आहुतियां दी जिससे पुरे दिन मोदरान क्षैत्र में वैदिक मंत्रों की गुंज सुनाई दी।
यज्ञ से आस-पास का वातावरण शुद्ध हो गया वही श्री आशापुरी महोदरी माताजी ट्रस्ट , मंदिर पुजारी डुंगर पुरी गोस्वामी , किशोर मोदी , अर्जुन दान चारण, भमरसिंह राजपुरोहित, तगाराम प्रजापत, पहाड सिंह सोढ़ा, सहित सैकड़ों दर्शनार्थियों व ट्स्टीओ की उपस्थिति में महाअष्टमी पर यज्ञ व पूर्णाहुति (Navratri Havan) देकर महाआरती का भव्य आयोजन किया गया।
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वही आशापुरी मंदिर में कई वर्षों से चली आ रही प्रथा के अनुसार(Navratri Havan) हवन के बाद कुम्हडा कददु की बलि दी गई। यहां पर 88 वर्ष पहले मंदिर में माताजी के सम्मुख पशु बलि व तेल सिन्दूर व मालीपने का लेप व सोला चढ़ा कर पुजा किया जाता था लेकिन अब यह सब श्री विजय तिथेंद्रशुरीश्वरजी महाराज , जैन मुनियों, भीमसिंह, धोकल सिंह ठाकुर व जैन महाजन पंच और सभी ग्राम वासियों के हस्ताक्षर करवाकर पशु बलि व बकरे पाडे आदी जानवरों की बलि को बंद करवाया और अब केशर और धुप बती से पुजा होती है।
इस मंदिर में आने वाले कई भक्तों की आशा पुरी होने से माताजी का नाम मोहदरी माताजी से आशापुरी माताजी हो गया और आज भी कई भक्तों की सच्चे मन से याद करने पर आशा पुरी होती है।