International Seminar in BHU: बीएचयू में इंटरनेशनल संगोष्ठी का शुभारंभ
International Seminar in BHU: वैदिक विज्ञान केंद्र में शुरू हुए त्रि-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन कुलपति प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक ने किया
रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 27 जनवरीः International Seminar in BHU: वैदिक विज्ञान केंद्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा “वैदिक विज्ञान: वैश्विक अनुप्रयोग (Vedic Science: Global Applications)” विषयक त्रि-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह केंद्र के सुधर्मा सभागार में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.अरुण कुमार सिंह ने की। उद्घाटन प्रो. मुरली मनोहर पाठक, कुलपति लालबहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने किया। प्रोफेसर पाठक ने ऋग्वेद के सूक्तों का उदाहरण देते हुए सृष्टि विज्ञान एवं ब्रह्माण्ड विज्ञान के सूक्ष्म तत्त्वों की विस्तृत व्याख्या की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो.वीरेन्द्र कुमार मिश्र, पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग एवं संकायप्रमुख, कला संकाय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला ने अपने अनुभवों का वर्णन करते हुए वैदिक शास्त्रों में प्रतिपादित जीवनमूल्यों एवं सिद्धान्तों को दैनन्दिनी जीवन में उतारने की महती आवश्यकता पर बल दिया. वाचिक अभिनय की जगह व्यवहार में सत्य बोलने, धर्माचरण करने तथा मानसिक प्रदूषण को दूर करने की अनिवार्यता पर बल दिया।
सारस्वत अतिथि के रूप में भारतीय विद्या मंदिर, कोलकाता के अध्यक्ष तथा प्रसिद्ध उद्योगपति डॉ. विट्ठल दास मूँधड़ा ने समाज के उत्थान तथा सनातन संस्कृति के क्षरण पर चिन्ता व्यक्त करते हुए संस्कृत समुपासकों से इस ओर सार्थक प्रयास करने का आह्वान किया तथा इस दिशा में वैदिक विज्ञान केन्द्र के उद्देश्यों एवं प्रयासों की सराहना की।
सारस्वत अतिथि के रूप में जर्मनी से पधारे जर्मन होमा थेरेपी एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. उलरिच बर्क ने वैदिक होम के विषय में प्रकाश डालते हुए पर्यावरण शोधक के रूप में इसकी व्याख्या की। उन्होंने अग्निहोत्र के माध्यम से वायु शुद्धिकरण, जल शुद्धिकरण, मृदा संरक्षण, जैविक खेती इत्यादि विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे और अपने प्रयोगात्मक अनुसंधानों के माध्यम से उन्होंने बताया कि किस तरह अग्निहोत्र की राख का प्रयोग करके जल, वायु, मिट्टी इत्यादि को शुद्ध किया जा सकता है।
उन्होंने जर्मनी आदि देशों में किये गये अपने प्रयोग आधारित ऑंकड़ें भी प्रस्तुत किये, जिसमें होम से पूर्व, होम के दौरान, होम के बाद वायु पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों की गणना की गयी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण शुद्धि के लिए अग्निहोत्र का तथा यज्ञों का नित्य प्रतिदिन अनुष्ठान किया जाना लाभप्रद है। उन्होंने अग्निहोत्र का प्रतीकात्मक प्रायोगिक अनुष्ठान भी किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर अरुण कुमार सिंह ने सूर्य के रथ के संचालक सात अश्वों को स्पेक्ट्रम फिजिक्स से जोड़ते हुए भारतीय ज्ञान-परम्परा में वर्णित सर्वविध विज्ञान की महत्ता पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम की सफलता हेतु शुभकामनाऍं दी. कार्यक्रम का प्रारम्भ वैदिक मंगलाचरण तथा कुलगीत के साथ हुआ एवं केन्द्र के समन्वयक प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत सम्मान एवं विषय प्रवर्तन किया।
प्रथम दिवस कुल पॉंच तकनीकी सत्रों का संचालन किया गया, जिसमें तीन मुख्य सत्र और तीन समानान्तर सत्रों की संचालन किया गया। प्रथम सत्र के विशिष्ट वक्ता डॉ. हरि राम मिश्र, सह आचार्य एवं प्रो. रामनाथ झा, आचार्य, स्कूल ऑफ संस्कृत एण्ड इंडिक स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली तथा विशिष्टातिथि प्रो0 प्रेमप्रकाश सोलंकी, रसायन विभाग, विज्ञान संस्थान, का.हि.वि.वि. रहे तथा अध्यक्षता डॉ0 मोहन चन्द्र भट्ट, पूर्व प्राचार्य, सी.वी. गुप्ता महाविद्यालय, लखनऊ के द्वारा की गयी।इस सत्र का संयोजन, संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ममता मेहरा, सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया ने किया।
द्वितीय सत्र के विशिष्टातिथि संदीप शर्मा (कर्नल), प्रवर्तन प्रभारी नगर निगम वाराणसी रहे तथा अध्यक्षता प्रो. राममूर्ति चतुर्वेदी, पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, म.गां.का.वि.पीठ, वाराणसी ने की। वक्ता के रूप में डॉ. मणिराम शर्मा, महेन्द्ररत्न परिसर, काठमाण्डू, डॉ. लक्ष्मी मिश्रा, समन्वयक, संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, डॉ. उमाकांत शुक्ला, सहायक प्राध्यापक-व्याकरण विभाग, एस.पी. एस. डिग्री कालेज, बक्सर, बिहार, प्रो. गोपाल प्रसाद शर्मा सम्मिलित हुए। इस सत्र का संयोजन, संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रभात कुमार सिंह, सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चुनार, मीरजापुर ने किया।
तृतीय सत्र के विशिष्ट वक्ता प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी, संगणक अभियांत्रिकी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, का.हि.वि. रहे तथा अध्यक्षता प्रो. कौशलेन्द्र पाण्डेय, साहित्य विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, का.हि.वि.वि. ने की। वक्ता के रूप में जे. ए. जे. वसु सेना, परास्नातक शिक्षिका, नई दिल्ली, डॉ. भवानीशंकर शर्मा, प्राचार्य- श्रीऋषिकुल ब्रह्मचर्यमा, राजस्थान, डॉ. सरोज कुमार पाढी, सह आचार्य-वैदिक दर्शन विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, का.हि.वि.वि., शम्भु शरण, उपजिलाधिकारी, श्री काशी विश्वनााथ मंदिर सम्मिलित हुए।
इस सत्र का संयोजन, संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 संजय मिश्र, सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर ने किया। इन तीन मुख्य सत्रों के साथ ही तीन समानान्तर सत्रों का भी संचालन किया गया।
उद्घाटन सत्र का प्रारम्भ वैदिक मंगलाचरण, महामना मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व कुलगीत गायन से हुआ। सत्र संचालन प्रो. मृत्युंजय देव पाण्डेय, रसायन विभाग, का.हि.वि.वि., वाराणसी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. चन्दन उपाध्याय, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ मैटेरियल्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी, आईआईटी (बीएचयू) ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो0 पतंजलि मिश्र, प्रो0 माधव जनार्दन रटाटे, डॉ0 दयाशंकर त्रिपाठी, डॉ0 शरदिन्दु तिवारी, डॉ0 उमा तिवारी, प्रो0 राम सागर मिश्र, डॉ0 कृष्णमुरारी त्रिपाठी, डॉ0 सन्ना लाल मौर्या, डॉ0 अभिजित् दीक्षित, डॉ0 विकास खत्री आदि विद्वान् व विभिन्न विश्वविद्यालयों से 300 से अधिक छात्रों ने ऑनलाईन एवं ऑफलाईन माध्यम से सहभाग किया।
क्या आपने यह पढ़ा…. Rohan Bopanna: 43 साल की उम्र में रोहन बोपन्ना ने रचा इतिहास, पीएम मोदी ने दी बधाई