National Project of Railways in J&K: रेल राज्यमंत्री ने जम्मू एवं कश्मीर में रेलवे की राष्ट्रीय परियोजना की समीक्षा की
National Project of Railways in J&K: रेल राज्यमंत्री ने ट्रेन से यात्रा की, टनल टी-80 कन्ट्रोल रूम, टनल टी-144 के कट एवं कवर, नवयुग रोड टनल का निरीक्षण किया और बनिहाल में इरकान परिसर का दौरा किया
- श्रीनगर रेलवे स्टेशन पर स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया
जम्मू एवं कश्मीर, 02 अक्टूबर: National Project of Railways in J&K: रेल राज्यमंत्री दर्शना विक्रम जरदोश ने अपने कश्मीर घाटी के दौरे पर उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक नेशनल प्रोजेक्ट (यूएसबीआरएल) में चल रहे कार्यों की समीक्षा की। मंत्री श्रीनगर से ट्रेन द्वारा बनिहाल रेलवे स्टेशन पहुंची जिसमें उनके साथ अपर महाप्रबंधक, उत्तर रेलवे नवीन गुलाटी, मंडल रेल प्रबंधक, फिरोजपुर डा. सीमा शर्मा, मुख्य अभियंता यूएसबीआरएल बी.बी.एस. तोमर, कार्यकारी निदेशक इरकान ए.के. गोयल और उत्तर रेलवे तथा इरकान के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे। मार्ग में मंत्री ने ट्रेन इंजन के केबिन पर यात्रा की। क्रू सदस्यों द्वारा उन्हें ड्राइविंग प्रक्रिया के बारे में समझाया गया। उन्होंने ट्रेन चलाने की प्रक्रिया को बड़े ध्यान से देखा।
National Project of Railways in J&K: मंत्री ने खूबसूरत बनिहाल स्टेशन का भ्रमण किया और टनल टी-80 के कन्ट्रोल रूम का निरीक्षण किया। 11.2 किमी. लम्बाई के साथ वर्तमान में यह भारत में सबसे लम्बी रेलवे टनल है। यह विशाल पीर पंजाल हिमालयी रेंज से गुज़रती है जो जम्मू-कश्मीर में बनिहाल और काजीगुंड शहरों को जोड़ती है। टनल की निगरानी स्ट्रक्चर के भीतर प्रभावी रेल संचालन के लिए की जाती है। बाद में उन्होंने बनिहाल में इरकान परिसर का दौरा किया जहां उन्हें परियोजना के शेष बचे भाग (कटरा-बनिहाल) के कार्य की प्रगति के बारे में बताया गया। उन्होंने टनल टी-144 का दौरा किया और वहां पर चल रहे कट एवं कवर प्रक्रिया की समीक्षा की।
रेल राज्यमंत्री ने बनिहाल के नजदीक पीर पंजाल के भीतर नवनिर्मित नवयुग रोड टनल का भी भ्रमण किया और वहां पर उपस्थित भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों से बातचीत की। बाद में वे बनिहाल रेलवे स्टेशन से ट्रेन द्वारा श्रीनगर को रवाना हुई। रस्ते में क़ाज़ीगुंड स्टेशन पर रूक कर और श्रीनगर रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर मंत्री ने स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लिया। यह गांधी जयंती के उपलक्ष्य में रेलवे द्वारा चलाए जा रहे एक पखवाड़े तक चलने वाले स्वच्छता अभियान का हिस्सा है।
श्रीनगर स्टेशन पर प्रेस एवं मीडिया को संबोधित करते हुए मंत्री ने यूएसबीआरएल परियोजना की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की पूरे वर्ष देश के बाकी हिस्सो से जुड़े रहने के लिए अच्छी रेलवे परिवहन प्रणाली की आकांक्षा को पूरा करना होगा। उन्होंने परियोजना में काम कर रहे अभियंताओं से परियोजना के शेष भाग को मिशन मोड पर पूरा करने का आह्वान किया।
यूएसबीआरएल भारतीय रेल द्वारा हिमालय के मध्य से होकर कश्मीर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू की गई एक ब्राड-गेज रेल लाइन निर्माण राष्ट्रीय परियोजना है। हर मौसम-अनुकूल, आरामदायक, सुविधाजनक एवं लागत-प्रभावी जन परिवहन प्रणाली देश के उत्तरी भाग के पर्वतीय क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण भाग होगी।
परियोजना के प्रथम तीन चरणों का निर्माण पूरा हो गया है और कश्मीर घाटी में बारामूला-बनिहाल तथा जम्मू क्षेत्र में जम्मू-उधमपुर-कटरा के बीच ट्रेनों के संचालन के लिए लाइन परिचालन में है। कटरा-बनिहाल के बीच 111 किमी. खण्ड पर काम चल रहा है जो अपने भूविज्ञान और गहरी घाटियों से भरी व्यापक नदियों के कारण सबसे कठिन एवं चुनौतीपूर्ण हिस्सा है। इस खंड पर कई बड़े पुल और सुरंगे बन रही हैं। इस खण्ड पर अधिकतर रेल ट्रैक टनलों या पुलों पर बिछाया गया है। इस क्षेत्र में एक प्रभावी भूतल परिवहन प्रणाली के अभाव में, रेलवे को निर्माण स्थलों तक पहुंचने के लिए पहले 205 किमी तक पहुंच मार्ग बनाना पड़ा।
तीन एजेंसियां; इरकान, केआरसीएल और उत्तर रेलवे रेल लाइनों के निर्माण में अपने व्यापक अनुभव के साथ इस परियोजना में शामिल हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां और अग्रणी भारतीय संस्थान जैसे आईआईटी रूड़की, आईआईटी दिल्ली, डीआरडीओ और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण योजना एवं कार्यान्वयन में विशेषज्ञता प्रदान कर रहे हैं। टनलिंग मशीनरिज क्रेनों के कई सेट आयात किये गये हैं।
वर्तमान में चिनाब ब्रिज, विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल का आर्क कार्य पूरा हो गया है जबकि अंजी पुल पर एक विषम केबल स्टे ब्रिज का कार्य तेजी से चल रहा है। कुल 97.64 किमी. मेन टनलिंग का 88.5 किमी. और 66.5 किमी. निकास टनल का 60 किमी. कार्य पूरा हो गया है। 13 बड़े और 11 छोट पुलों को बनाने का कार्य भी पूरा हो गया है।