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Rango ki holi: मैं तुम्हारे रंग रंगना चाहता हूं

होली धुलेटी (Rango ki holi)

Rango ki Holi Rajesh Rajawat

Rango ki holi अधरों से
निकल कर जमाने के
रिबाजों से परे
जहां प्रकृति अपने छाप से
खिलखिला रही है
और सूरज की ललट दूर कहीं
पहाड़ों पर अपनी लाली बिखेर रहा है
उसके साथ साथ
मैं भी थोड़ा संवरना चाहता हूं
मैं तुम्हारे रंग रंगना चाहता हूं

जहां
कलियों से
उठकर आ रही हो सुंगध
बागवान हमारे स्वागत में
फूल बिछाए बैठे हो
जहां हर मौसम होती हो
प्रेम के रंगों की अनूठी सी बरसात
इस रंग में भीगकर कुछ
यूं अक्श से उभरना चाहता हूं
मैं तुम्हारे रंग रंगना चाहता हूं

चली
आना तुम
हाथों में प्रीत का
गुलाल लिए
मैं भी मांग लाऊंगा
इंद्र धनुष से सतरंगी रंग
रंगने को तुम्हारे गाल और
फुलकारी मारती धनी चूनर
मैं मस्ती में
होकर लीन निखरना चाहता हूं
मैं तुम्हारे रंग रंगना चाहता हूं

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चढ़ जाए
हम दोनो पर
प्रीत का गहरा रंग
मैं डूब जाऊं तुम्हारे
आगोश में तो
संभाल लेना मुझे
अक्सर बहक जाता हूं
आकर तेरी बाहों में तेरे लिए तो
मैं बहुत कुछ करना चाहता हूं
मैं तुम्हारे रंग रंगना चाहता हूं

आप सभी को होली धुलेटी की बहत बहुत शुभकामनाएं

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