kya khyal hai: चांदनी रात हो, तेरा मेरा साथ हो…

क्या ख़्याल है….!!(kya khyal hai) kya khyal hai: चांदनी रात होतेरा मेरा साथ होलव भले कुछ ना कहेंआंखों से सारी बात होहसीं ये मुलाक़ात होमचले हुए जज्बात होनीले अम्बर के … Read More

Mai aaj ki Nari: मैं आज की नारी हूं, किसी के आगे क्यों झुकूं: प्रिया सिंह

!! नारी !!(Mai aaj ki Nari) Mai aaj ki Nari: अपनी ख्वाहिशों के बोझ तले,अपने मां बाप को क्यों दफ़न करू।मैं आज की नारी हूं, किसी के आगे क्यों झुकूं। … Read More

Bachpan: थोड़ी सी मनमानी कर, लो बच्चों सी नादानी कर लो

!! बचपन !! (Bachpan) Bachpan: थोड़ी सी मनमानी कर लोबच्चों सी नादानी कर लोसंतरे के बीज से पेट में,संतरे का झाड़ उग जायेगाइस बात पर फिर से यकीन कर लोख्वाहिशों … Read More

Story of life: फँस गई धार बहते जीवन के: वरुण सिंह गौतम

!! धार !! (Story of life) Story of life: फँस गई धार बहते जीवन केइस दर तो कभी वो दलहीज़आँखे नम नहीं जो रूकता तन्हा केलम्हें भी याद आती वो … Read More

Zamaana: आधे सपने तो यही सोचकर दम घोट लेते हैं कि ज़माना क्या कहेगा: अनुराधा रानी

!! ज़माना !! (Zamaana) Zamaana:आधे सपने तो यही सोचकर दम घोट लेते हैं कि ज़माना क्या कहेगाएक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर ना बने तो सौ बार उसे लड़ना पड़ता हैफ़िर … Read More

Women power: नारियों को हजारों लाखों नमन: राजा कुमार

!! नारियों की शक्ति !!(Women power) Women power: नारियों की चंचलता देखजो कर दी वो जग को पीछे,उड़ान की ओर स्वयं चलेछोड़ चले अंधविश्वासों को । नारियां जो कर सकती … Read More

Paiso ka khel: ये जमाना पहले जैसा बिल्कुल भी ना रहा

Paiso ka khel !!पैसों का खेलः पहले पैसों की कीमत ना थी इस जगत में!! ये जमाना पहले जैसा, बिल्कुल भी ना रहापहले पैसों की कीमत, ना थी इस जगत … Read More

Phoolon ki mahak: फूलों के महक में क्या छिपा? उस छिपी कलियों से जाकर पूछो

!! फूलों के महक!! Phoolon ki mahak फूलों के महक में क्या छिपा? उस छिपी कलियों से जाकर पूछोयह प्रश्न चिन्ह नहीं ख्वाबों केहै यह प्रकृति के रंगीन तस्वीर देखो … Read More

Chhatrapati Shivaji: जीना है तो सर उठा के जियो: रेणु तिवारी “इति”

!! छत्रपति शिवाजी की जयंती !!(Chhatrapati Shivaji) Chhatrapati Shivaji: जीना है तो सर उठा के जियोऐसी अपनी शान रखोअन्याय के खिलाफ़ लड़ जाओइरादों में फौलाद रखोबहती हवा को चीर कर … Read More

Swami Vivekanand: जग उठी है पूर्व की किरणें गिरी धो रही अँचल काया

Swami Vivekanand: सज रही कुन्तल (स्वामी विवेकानंद की स्मृति में) Swami Vivekanand: जग उठी है पूर्व की किरणेंगिरी धो रही अँचल कायाक्षितिज कोने से देखो वसन्तकरता पदवन्दन तरुवर नरेन्द्र का … Read More