Tulsi: रामबाण है तुलसी
Tulsi: तुलसी एक ऐसी रामबाण औषधि है जो हर प्रकार की बीमारियों में काम आती है
- वानस्पतिक नाम- Ocimum sanctum (ओसीमम सैन्कटम)
- कुल- लेमिएसी (Lamiaceae)
- हिन्दी- तुलसी, बरंदा
- अंग्रेजी- होली बेसिल, सेक्रेड बेसिल (Holy Basil, Sacred Basil) संस्कृत मंजरी, अजका, बिंदा
Tulsi: भारत के प्रत्येक भाग में तुलसी के पौधे पाये जाते हैं। इसका पौधा बड़ा वृक्ष नहीं बनता, केवल डेढ़ या दो फुट तक बढ़ता है। तुलसी का वानस्पतिक नाम ओसीमम सैन्कटम है। आदिवासी अंचलों में पानी की शुद्धता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते हैं और कम से कम एक सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है। कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और फिर यह पीने योग्य माना जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
तुलसी (Tulsi) एक ऐसी रामबाण औषधि है जो हर प्रकार की बीमारियों में काम आती है, जैसे- स्मरण शक्ति, हृदय रोग, कफ, श्वास के रोग, प्रतिश्याय, खून की कमी, खाँसी, जुकाम, दमा और दंत रोग आदि। किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है। दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है क्योंकि यह खून में कोलस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है।
इसकी (Tulsi)पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो झाइयाँ नहीं रहती, फुंसियाँ ठीक होती हैं और चेहरे की रंगत में निखार आता है। फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि मानते हैं, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है। इसके नियमित सेवन से क्रोनिक माइग्रेन के निवारण में मदद मिलती है।