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जोड़ दर्द में असरदार अदरक

आयुर्वेद से आरोग्य – 03

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  • वानस्पतिक नाम- Zingiber officinale (जिन्जिबर
  • कुल-जिन्जीवरेसी (Zingiberaceae) हिन्दी- अदरक, आदू, अदा, सोंठ
  • अंग्रेजी- जिंजर (Ginger)
  • संस्कृत- अर्दरका

आम घरों के किचन में पाया जाने वाला अदरक खुब औषधीय गुणों से भरपूर है। सम्पूर्ण भारत में इसकी खेती की जाती है। अदरख का वानस्पतिक नाम जिन्जिवर ऑफीसिनेल है। सभी प्रकार के जोड़ों की समस्याओं में रात्रि में सोते समय लगभग 4 ग्राम सूखा अदरक, जिसे सोंठ कहा जाता है, नियमित लेना चाहिए। स्लिपडिस्क या लम्बेगो में इसकी इतनी ही मात्रा चूर्ण रूप में शहद के साथ ली जानी चाहिए। आदिवासियों के अनुसार बरसात में खान-पान में हल्का भोजन करना चाहिये और भोजन के साथ में ओधा नींबू का रस तथा अदरक जरूर खाना चाहिये। नींबू और अदरक बरसात में होने वाली अनेक तकलीफों का निवारण स्वतः ही कर देते हैं।

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दो चम्मच कच्ची सौंफ और 5 ग्राम अदरक एक ग्लास पानी में डालकर उसे इतना उबालें कि एक चौथाई पानी बच जाये। एक दिन में 3-4 बार इस पानी को लैने से पतला दस्त ठीक हो जाता है। गैस और कब्ज में भी लाभदायक होता है। गाउट और पुराने गठिया रोग में अदरक एक अत्यन्त लाभदायक औषधि है। अदरक लगभग (5 ग्राम) और अरंडी का तेल (आधा चम्मच) लेकर दो कप पानी में उबाला जाए ताकि यह आधा शेष रह जाए। प्रतिदिन रात्रि को इस द्रव का सेवन लगातार किया जाए तो धीमे-धीमे तकलीफ में आराम मिलना शुरू हो जाता है। आदिवासियों का मानना है कि ऐसा लगातार 3 माह तक किया जाए तो पुराने से पुराना जोड़ दर्द भी छू-मंतर हो जाता है।

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