Giloy: मधुमेह को नियंत्रण करता हैं गिलोय
Giloy: गिलोय के तने और बबूल की फलियों के चूर्ण की समान मात्रा सुबह-शाम मंजन की तरह उपयोग में लायी जाए तो दाँतों को ठंड या झुनझुनी लगना बंद हो जाती है।
- वानस्पतिक नाम- Tinospora cordifolia (टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया)
- कुल- मेनिस्पम्मेंसी (Menispemaceae)
- हिन्दी- गुडूची, गिलोय, अमृता
- अंग्रेजी- लांचर टिनोस्पोरा (Gulancha Tinospora)
- संस्कृत- मुलांची, ज्वरारी, अमृता
Giloy: यह एक बेल है जो अन्य पेड़ों पर चढ़ती है और इसे संपूर्ण भारत में
फलता हुआ देखा जा सकता है। (Giloy)आयुर्वेद में इस पौधे का जिक्र अक्सर देखा जा सकता है। गिलोय को गुडूची के नाम से भी जाना जाता है हालाँकि इसका वानस्पतिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया है। इसके प्रमुख रसायनों में गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, वसा, अल्कोहल ग्लिस्टेराल, बर्बेरिन एल्केलाइड, वसा अम्ल एवं उड़नशील तेल होते हैं ।
पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस और तने में स्टार्च भी मिलता है। वैसे आयुर्वेद में गिलोय (giloy) बुखार को दूर करने की सबसे अच्छी औषधि मानी गयी है और आदिवासी इस पौधे का उपयोग कई अन्य रोगोपचार में करते हैं। गुड़ के साथ गिलोय का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि गिलोय के तने और बबूल की फलियों के चूर्ण की समान मात्रा सुबह-शाम मंजन की तरह उपयोग में लायी जाए तो दाँतों को ठंड या झुनझुनी लगना बंद हो जाती है।
डॉग-गुजरात के आदिवासियों के अनुसार 50 ग्राम गिलोय (giloy) का ताजा रस प्रतिदिन दिन में दो बार लिया जाए तो मधुमेह में काफी फायदा होता है। कुछ आदिवासी गिलोय चूर्ण की 15 ग्राम मात्रा को घी में मिलाकर सेवन करने की सलाह भी देते हैं, इनके अनुसार मधुमेह नियंत्रण में यह काफी कारगर साबित होता है। गिलोय का काढ़ा बनाकर एक कप दिन में दो बार देने से प्रसुता महिला में दूध आने का क्रम सुचारु हो जाता है। (साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से )
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