अगले वित्त वर्ष में भारत की इकोनॉमी 11.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना

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दिल्ली 27 जनवरी। देश की अर्थव्यवस्था में हो रही प्रगति के कारण इसमें सुधार होता जा रहा है। इसके मद्देनजर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वित्तीय वर्ष 2022 में भारत की विकास दर तकरीबन 11.5 प्रतिशत रहने की संभावना है।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी में हुए लॉकडाउन के कारण भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। देश के कल कारखानों में सम्पूर्ण रुप से लॉकडाउन के कारण उत्पादन ठप्प हो गया था। जहां देश के करोड़ो श्रमिक बेरोजगार हुए वहीं उत्पादन भी बंद हो गया था। इससे जहां विकास ठप्प हुआ, वहीं देश की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई। इससे प्रगति भी बाधित हुई।

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देश के सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कल कारखानों में भी सम्पूर्ण लॉकडाउन हो गया था। इससे करोड़ो का उत्पादन सिमट कर शून्य तक पहुंच गया। अब लॉकडाउन के समाप्त होने औऱ कल कारखानों के शुरू होने के साथ ही देश में नया वातावरण पैदा हो गया है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार 53 प्रतिशत कम्पनियां अपना उत्पादन शुरू कर देंगी। 2021 में ही वे अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की तैयारी भी कर रही है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि वे अपना उत्पादन पहले की तरह ही शुरू कर देंगी।

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड आशा व्यक्त की है कि 2022 तक भारत की इकोनॉमी 11.5 प्रतिशत की दर से विकसित हो सकती है। यह अक्टूबर की तुलना में 270 बीपीएस अधिक रहेगी। जबकि 2023 में भारत की इकोनॉमी 6.8 प्रतिशत की दर से विकसित होगी। अक्टूबर के ही अनुमान के अनुसार आईएमएफ ने भारत की अर्थव्यवस्था का अनुमान लगाया है।

इस प्रकार अब देश में उत्पादन शुरू होते ही प्रगति के सभी रास्ते एक बार फिर खुल गए हैं। ऐसे में देश का तरक्की के नए-नए कयास लगाए जा रहां हैं। देश कदम-दर कदम प्रगति के रास्ते पर अग्रसर हो गया है। देश के औद्दोगिक क्षेत्र में जहां इसके नए कयास लगाए जा रहे हैं वहीं विश्व आर्थिक संगठन भी भारत की तरक्की के बारे में अलग-अलग कयास लगा रहा हैं।

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