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सिविल हॉस्पीटल (Civil hospital) में डॉक्टरों ने ब्रोन्कोजेनिक गांठ का ऑपरेशन कर नवजात शिशु को नयी जिंदगी दी

सिविल हॉस्पीटल (Civil hospital) के बाल रोग सर्जरी विभाग में चिकित्सा के लिए लाया गया। इस प्रकार की सर्जरी में सांस नली से जुड़ी होने के कारण यह पानी की गांठ जैसे ही दिखाई पड़ती है जो जन्मजात होती है।

अहमदाबाद, 06 फरवरी: पाँच महीने के नवजात बालक को सांस लेने में अचानक ही तकलीफ होने लगी। एक बार तो उसके दिल की धड़कन भी बंद हो गई थी। हालांकि सिविल हॉस्पीटल (Civil hospital) के डॉक्टरों ने जोखमी ब्रोन्कोजेनिक गांठ की सर्जरी कर बालक को नयी जिंदगी दी है। गौरतलब है कि सिविल हॉस्पीटल के पीडियाट्रीक सर्जरी विभाग द्वारा कोरोना के समय में भी बालकों की सफल सर्जरी की गई थी।

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जानकारी के अनुसार मोरबी के शैलेषभाई राठवा का पाँच महीने का बच्चा राजवीर अभी तो जमीन पर पाँव रखना भी नहीं सीख पाया था। तभी उसे एकाएक सांस लेने में तकलीफ होने लगी। राजवीर को चिकित्सा के लिए मोरबी के स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया। वहाँ उसे ऑक्सीजन पर रखना पड़ा। इस दौरान उसकी हालत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही थी। जिससे उसे राजकोट ले जाया गया। जहाँ चिकित्सकों ने दिल संबंधी गंभीर बीमारी होने से उसे अहमदाबाद की सिविल हॉस्पीटल (Civil hospital) के लिए रिफर किया।

Civil Hospital

इस पाँच महीने के राजवीर नामक नवजात शिशु को अहमदाबाद सिविल हॉस्पीटल (Civil hospital) में लाया गया। जहाँ उसके माता-पिता ने डॉक्टरों को बताया कि उसे दिल संबंधी क्या क्या तकलीफ पड़ रही है। यूएन मेहता के डॉक्टरों ने काफी कोशिश के बाद अचानक बंद हुई उसकी दिल की धड़कन को पुनः शुरू किया। जहाँ पता चला कि उसे इकोकार्डियोग्राम ट्रिक्सपीड रेगर्गाइटेशन और पल्मोनरी हाईपरटेन्शन के साथ छोटी एट्रीअल सेप्टल की जानकारी मिली।

सिटी स्कैन कराने पर पता चला कि सीने में 6 बाई 5 बाई 4 सेंटीमीटर की बड़ी गांठ है। जो राजवीर को फेफड़े और मुख्य सांस नली पर दबाव डालती थी। जिसके कारण उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। काफी मेहनत के बाद डॉक्टरों ने इसे नियंत्रित किया।

अब राजवीर की स्थिति नियंत्रण में आते ही तुरंत ही उसकी ब्रोन्कोजेनिक गांठ की ऑपरेशन की अचानक ही जरूरत पड़ी। उसे अब सिविल हॉस्पीटल (Civil hospital) के बाल रोग सर्जरी विभाग में चिकित्सा के लिए लाया गया। इस प्रकार की सर्जरी में सांस नली से जुड़ी होने के कारण यह पानी की गांठ जैसे ही दिखाई पड़ती है जो जन्मजात होती है। परंतु समय के साथ वह बढ़ती जाती है। यदि उसे सर्जरी कर समय से निकाला ना जाये तो बालक के जीवन को खतरा बना रहता है। इस प्रकार की सर्जरी को बहुत ही नाजुक माना जाता है।

ब्रोन्कोजिक गांठ की सर्जरी की जानकारी उसके माता-पिता को दी गई। यह भी बताया गया कि यह गांठ कितनी खतरनाक है। इसकी जानकारी पाकर राठवा परिवार में घबरा गया था। सिविल हॉस्पीटल में सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर राकेश जोशी और सहायक प्राध्यापक डॉक्टर महेश वाघेला ने राजवीर की सर्जरी करने का निर्णय किया

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सर्जरी के दौरान विशाल काय 6 बाई 5 बाई 4 के आकार की विशाल गांठ सर्जरी कर निकाल दी गई। यह गांठ फेफडे और श्वासनली के बीच दबी हुई थी। जिससे राजवीर को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।

इस बारे में सुप्रिटेन्डेट डॉक्टर जे.पी.मोदी ने बताया कि राजवीर की सर्जरी के बाद एक दिन उसे वेन्टीलेटर पर और 10 से अधिक दिन ऑक्सीजन पर रखा गया। सर्जरी के बाद उसकी बेहतर देखभाल की गई। इस दौरान रॉयल्स ट्यूब अर्थात् नली द्वारा दूध पिलाया गया था। 10 दिन की चिकित्सा के बाद राजवीर अपनी माता का दूध पीने लगा। इस प्रकार 10 से 15 दिन की लंबी चिकित्सा और डॉक्टरों की मेहनत के बाद राजवीर संपूर्ण स्वस्थ होकर अपने घर पहुँचा।

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