kya khyal hai: चांदनी रात हो, तेरा मेरा साथ हो…
क्या ख़्याल है….!!(kya khyal hai)
kya khyal hai: चांदनी रात हो
तेरा मेरा साथ हो
लव भले कुछ ना कहें
आंखों से सारी बात हो
हसीं ये मुलाक़ात हो
मचले हुए जज्बात हो
नीले अम्बर के आंगन में
चांद तारों की बारात हो
डूब जाए एक दूजे में
रात इश्क की बरसात हो
बचकर भी ना बच सकोगे
ये मोहब्बत का जाल है
बोलो ना,,,
क्या ख़्याल है….!!
रात गुनगुना रही है
मीठे गीत सुना रही है
कान लगा कर सुनो ना
हमको पास बुला रही है
हवा की ये शीत लहर
तेरा अहसास दिला रही है
आ जाओ दिलबर पास
रात गुजरती जा रही है
क्या तेरे भी दिल में
चाहत के फूल खिला रही है
बताओ ना क्या मेरे जैसा
तेरा भी हाल है
बोलो ना,,,,
क्या ख़्याल है…..!!
उलझाओ ना सवालों में
आती ऐसी रात सालों में
आओ जरा बैठो पास
उंगली घुमाओ बालों में
तेरे इश्क का रंग चढ़ा
चमक आ गई गालों में
जब भी तुझसे दूर रहे
गुजरी हर रात ख्यालों में
है इश्क तुझे तुमसे जाना
तू दीवाना दिलबालों में
हाय शर्म से चेहरा क्यों
हुआ जाता लाल है
बोलो ना,,,
क्या ख़्याल है
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