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Why indian students go russia-ukraine to become doctors: डॉक्टर बनने के लिए रूस-यूक्रेन क्यों जाते हैं भारतीय छात्र, जानिए असली वजह

Why indian students go russia-ukraine to become doctors: यूक्रेन में 18,000 से अधिक भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं, इसका मुख्य कारण यह है कि भारत की तरह चिकित्सा में गलाकाट प्रतिस्पर्धा नहीं है

नई दिल्ली, 04 जूनः Why indian students go russia-ukraine to become doctors: यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान से वहां के हालात खराब हो गए हैं। यूक्रेन में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र, विशेषकर चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्र वहां फंसे हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 18,000 से ज्यादा भारतीय छात्र यूक्रेन में पढ़ते हैं। रूस में भारतीय छात्रों की संख्या 14 हजार के करीब है। इन दोनों देशों में 32,000 से अधिक भारतीय छात्र हैं। सवाल उठता है कि इतने सारे भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए विदेश क्यों जाते हैं।

डॉक्टर बनने का सपना

Why indian students go russia-ukraine to become doctors: देश में हर साल छात्र नीट की परीक्षा देते हैं। इनमें से कुछ कटऑफ लिस्ट में हैं लेकिन उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज में जगह नहीं मिलती है। ऐसे छात्रों को डॉक्टर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए एक निजी मेडिकल कॉलेज में एक करोड़ रुपये से अधिक की फीस देनी पड़ती है लेकिन इतनी फीस हर कोई नहीं दे पाता और डॉक्टर बनने का उनका सपना अधूरा रह जाता है।

कुछ छात्र सरकारी कॉलेजों में दाखिले के नाम पर घोटालों का शिकार भी हो जाते हैं। इनमें से कुछ छात्र यूक्रेन, रूस, फिलीपींस और बांग्लादेश जैसे देशों में जाते हैं। इस देश में चिकित्सा शिक्षा की लागत भारत की तुलना में बहुत कम है। देश में स्नातक स्तर पर मेडिकल सीटों की सही संख्या ज्ञात नहीं है। कोचिंग संस्थानों के अनुसार, देश के सरकारी कॉलेजों में स्नातक स्तर पर 40,000 सीटें हैं। जिसमें से पांच साल के एमबीबीएस कोर्स की फीस 1 लाख से कम है।

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एक निजी कॉलेज में कितनी सीटें

Why indian students go russia-ukraine to become doctors: देश में निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 60,000 सीटें हैं। ये संस्थान सालाना 18 लाख से 30 लाख रुपये तक फीस लेते हैं। पांच साल के कोर्स के लिए यह राशि 90 लाख रुपये से लेकर 1.5 करोड़ रुपये तक है। देश में एक लाख मेडिकल सीटों के लिए 16,00,000 से अधिक छात्र परीक्षा में शामिल होते हैं। छात्रों को कोचिंग के लिए भी लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित एक समिति के अनुसार, संपन्न परिवारों के छात्र कोचिंग के लिए 10 लाख रुपये तक खर्च करते हैं।

रूस में 20 लाख से बन जाते हैं डॉक्टर

यही कारण है कि बड़ी संख्या में भारतीय छात्र डॉक्टर बनने के लिए विदेश जाते हैं। यूक्रेन, रूस, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान इन छात्रों के पसंदीदा स्थान हैं। अब बड़ी संख्या में भारतीय छात्र फिलीपींस और बांग्लादेश भी जा रहे हैं। बांग्लादेश में डॉक्टर बनने का खर्चा 25 से 40 लाख रुपये है। फिलीपींस में एक एमबीबीएस कोर्स की लागत 35 लाख रुपये और रूस में 20 लाख रुपये है, जिसमें एक छात्रावास की लागत भी शामिल है।

डॉक्टर बनने के लिए यूक्रेन ही क्यों,,,

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यूक्रेन में 18,000 से अधिक भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं, इसका मुख्य कारण यह है कि भारत की तरह चिकित्सा में गलाकाट प्रतिस्पर्धा नहीं है। यूक्रेन की मेडिकल डिग्री को भारत के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ, यूरोप और ब्रिटेन में भी मान्यता प्राप्त है। यूक्रेन के मेडिकल छात्र दुनिया के किसी भी हिस्से में अभ्यास कर सकते हैं। यूक्रेन के कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सालाना फीस 4-5 लाख रुपए है जो भारत के मुकाबले काफी कम है।

डॉक्टरों की कमी

Why indian students go russia-ukraine to become doctors: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के अनुसार हर 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए लेकिन भारत में हर 1511 लोगों पर एक डॉक्टर है। महामारी के इस समय में डॉक्टरों की यह कमी भारत को कड़ी टक्कर दे सकती है।

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