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Jal jeevan mission: शिशुओं का जीवन बचाने में जल जीवन मिशन को मिली अंतरराष्ट्रीय सराहना, पढ़ें…

Jal jeevan mission: गुजरात में बालमृत्यु दर में आई कमी के लिए जल जीवन मिशन का महत्वपूर्ण योगदान

गाँधीनगर, 15 अक्टूबर: Jal jeevan mission: शिशुओं का जीवन बचाने में स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के बाद अब केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली है। नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी प्रोफेसर माइकल क्रेमर का दावा है कि स्वच्छ भारत अभियान से जहां भारत में हर साल तीन लाख से अधिक शिशुओं की जान बचाई जा रही है।

वहीं, जल जीवन मिशन भी बाल मृत्यु दर में बड़ी गिरावट लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने जल जीवन मिशन की उल्लेखनीय प्रगति को सराहते हुए कहा था कि इस योजना को विश्व के दूसरे पिछड़े देशों लागू करना चाहिए।

यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में पूरे देश में ग्रामीण इलाकों में नल से जल पानी का अभियान चलाया था। अब तक देश के 4 राज्य और 2 केन्द्र-शासित प्रदेश 100 प्रतिशत नल से जल घोषित हो चुके हैं और जल्द ही इसमें गुजरात का नाम भी जुड़ने वाला है। गुजरात में 99.79 प्रतिशत नल से जल का कार्य पूरा हो चुका है।

राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की देखरेख में तेजी से योजनाओं को लागू करते हुए भारत के करीब 54 फीसदी घरों को स्वच्छ पेयजल योजना से जोड़ा जा चुका है। 2019 में जब इस मिशन की शुरुआत की गई थी तब देश की लगभग आधी ग्रामीण आबादी स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता से वंचित थी।

JJM ने गुजरात में भी शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

जल जीवन मिशन का लक्ष्य है कि भारत के सभी गाँवों के हर घर तक नल से चौबीसों घंटे स्वच्छ जल पहुँचाया जाए। देश के हर घर तक स्वच्छ पानी पहुँचने से जलजनित रोगों से होने वाले शिशु मृत्यु दर में भारी गिरावट देखी गई है।

आँकड़ों पर बात करें तो गुजरात में JJM के लॉन्च होने से पहले यानी गुजरात में 2019 में 5 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं का मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित जन्म में 28 था जो 2022 में घटकर प्रति 1000 जीवित जन्म में 23 तक आ गया है। शिशु मृत्यु दर में आयी इस गिरावट में जल जीवन मिशन का भी महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है।

गुजरात के स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि आने वाले 1-2 साल में जल जनित रोगों से पीड़ित शिशुओं की संख्या में और ज़्यादा कमी आएगी क्योंकि जैसे-जैसे घरों में स्वच्छ जल के पीने की आवृत्ति बढ़ेगी, इसका सीधा असर, घर में रहे रहे सभी लोगों के स्वास्थ्य विशेषकर माँ और बच्चे पर पड़ेगा। इस तरह से यह मिशन आने वाले समय के लिए भी राज्य स्तरीय शिशु मृत्यु दर को कम करने में और बेहतर सूत्रधार बनेगा।

क्यों खास है प्रो. क्रेमर की रिसर्च रिपोर्ट

भारतीय अधिकारियों से मुलाकात के दौरान उन्हें संबोधित करते हुए प्रो. क्रेमर ने कहा कि उनके अध्ययन से एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह निकला है कि अगर परिवारों को पीने के लिए सुरक्षित पानी उपलब्ध करा दिया जाए तो लगभग 30 फीसदी शिशुओं की मृत्यु को कम किया जा सकता है। ऐसे में, ‘हर घर जल’ कार्यक्रम विशेष रूप से बच्चों में स्वास्थ्य मानकों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोफेसर माइकल क्रेमर के शोधपत्र को शिकागो विश्वविद्यालय ने प्रकाशित किया है। क्रेमर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार अगर JJM अपने लक्ष्य को हासिल कर लेती है तो हर साल भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 1.36 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है।

99.79 प्रतिशत के साथ गुजरात के लगभग हर गाँव के घरों में पहुँचा नल से जल

नल से जल कार्यक्रम के तहत केन्द्र सरकार ने लक्ष्य तय किया था कि 2024 तक भारत के सभी ग्रामीण इलाकों के घरों में पर्याप्त और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाए। केन्द्र सरकार के इस लक्ष्य से दो साल पहले ही गुजरात 100 प्रतिशत नल से जल घोषित हो जाएगा। आज की तारीख में गुजरात के 99.79 प्रतिशत ग्रामीण घरों को नल से जल जोड़ा जा चुका है। राज्य सरकार का प्रयास है कि इसी महीने गुजरात को 100 प्रतिशत नल से जल घोषित कर दिया जाए।

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