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Third day of national workshop at vasanta college: वसंता कॉलेज में चल रहे राष्ट्रीय कार्यशाला का तीसरा दिन

  • मुख्य वक्ता डॉ एम. राममूर्ति का मानवीय मूल्यों पर प्रभावशाली व्याख्यान
  • केवल अभ्यास और वैराग्य के द्वारा ही मन के भटकाव पर विजय प्राप्त कर, बन सकते हैं श्रेष्ठ मानव

Third day of national workshop at vasanta college: वी.सी.डब्लू और श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सफलता पूर्वक चल रहा कार्यशाला

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 28 अप्रैलः Third day of national workshop at vasanta college: वसंत महिला महाविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय कार्यशाला में ”मानवीय मूल्यः भगवद्गीता का परिप्रेक्ष्य” विषय पर तीसरे दिन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यशाला इन्टर्नल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (IQAC), वसंत महिला महाविद्यालय, केएफआई, राजघाट, वाराणसी और मानवीय श्रेष्ठता के लिए श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय, नवनिहाल, कमलापुर तालुक कालाबुरगी, कर्नाटक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहा हैं। इस पांच दिवसीय आयोजन के तीसरे दिन के मुख्य वक्ता डॉ एम.राममूर्ति का प्रभावशाली व्याख्यान हुआ।

Third day of national workshop at vasanta college: कार्यक्रम का शुभारंभ श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के सुन्दर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ.नवीन भट्ट, विभागाध्यक्ष, संस्कृत एवं वैदिक अध्ययन विभाग, श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय ने किया। डॉ.एम.राममूर्ति, प्रशान्ति बालामंदिर ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी हैं। डॉ.राममूर्ति ने अपने व्यक्तव्य की शुरुआत, ”यदा-यदा हि धर्मस्य” श्लोक से की।

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उन्होंने बताया कि, ”अर्जुन के मानसिक द्वंद्वों के समाधान के माध्यम से साक्षात भगवान श्रीकृष्ण मानवीय श्रेष्ठता को प्राप्त करने के रहस्यों को उद्घाटित करते हैं, कि ‘केवल अभ्यास और वैराग्य के द्वारा हीं मन की भटकन को रोककर, एक मानव अपने सर्वोच्च स्वरूप को प्राप्त कर सकता हैं। इस स्वरूप को प्राप्त करना हीं मानव जीवन का परम लक्ष्य है’।”

Third day of national workshop at vasanta college: डॉ.मीनाक्षी बिस्वाल, असिस्टेंट प्रोफेसर, शिक्षा विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय ने डॉ.राममूर्ति का विशेष आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ.रंजना सेठ (अर्थशास्त्र विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय) ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों ने अपनी सीख और अनुभव साझा किया। अंत में डॉ.नवीन भट्ट ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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