Kaumi ekta mushayara

Qaumi Ekta Mushayra: कौमी एकता मुशायरे का सफल आयोजन

Qaumi Ekta Mushayra: हमारी लाडली ससुराल की चहेती है, कहां चराग़ जला है कहां उजाला है

सेंधवा, 07 मार्च: Qaumi Ekta Mushayra: मशहूर समाजसेवी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व अनवर शैख और अख़्तर खान की याद में अजीमुश्शान कौमी एकता मुशायरे का आयोजन पार्षद वली शेख़ और कादर खत्री के सहयोग से मौलाना आज़ाद चौक कमेटी द्वारा किया किया। सेंधवा विधायक ग्यारसीलाल रावत और बड़वानी से वरिष्ठ समाजसेवी डा रशीद पटेल मुख्य अथिति के रूप में मौजूद रहे।बड़वानी के समाज सेवी गुरदीप सिंह गांधी और विजय जैन ने भी मुशायरे में शिरकत की।

हिंदुस्तान के अलग अलग शहरों से आए शायर और शायरात ने अपने अशआर और कविताओं से समां बांध दिया। देर रात तक चले इस मुशायरे का संचालन कयामुद्दीन कयाम खरगोन ने किया और मुशायरे की अध्यक्षता निजाम बाबा ने की। रतलाम के शायर सलाम खोखर ने अपनी ने शेर पढ़ा “किसी के हाथ में खुशहालियों की माला है,किसी के पांव में दुश्वारियों का छाला है।
हमारी लाडली ससुराल की चहेती है.

कहां चराग़ जला है कहां उजाला है।।धार की शायर अनिता मुकाती ने पढ़ा “ठहरे हुए दरिया में मुझको रवानी चाहिए,हो वतन पर जो फिदा वो जिंदगानी चाहिए”। देवास के शायर अज़ीम देवासी और मुरादाबाद यूपी की शायर ज़ीनत मुरादाबादी ने भी अपनी ग़ज़लों और गीतों से वाह वाही लूटी।

धार के शायर क़मर साकी ने शेर सुनाया “इक शब तिरे विसाल का मौक़ा हुआ नसीब, गोया तमाम ख़ल्क़े ख़ुदा रोक दी गई” बुरहानपुर के शायर शऊर आशना ने शेर पढ़ा ” जैसे खुर्शीद से तारों में चमक आती है, मेरी बेटी में मेरी मां की झलक आती है” कयामुद्दीन कयाम ने पढ़ा ” गरीबी थी तो सब अपने नज़र अंदाज़ करते थे, गले हमको लगाया जब चमकती कार से उतर” देवास के शायर गुलरेज़ अली पढ़ा ” हर आंख में ही समंदर दिखाई देता है, मुझे तबाही का मंज़र दिखाई देता है,, बटोर सकता हूँ दौलत जहान की लेकिन,वो ख़ाली हाथ सिकंदर दिखाई देता है”

सेंधवा के शायर जुनैद अहमद जुनैद से शेर पढ़ा ” ग़ज़ल कारी करेंगे तू कभी मेरी तरह इक दिन। तेरी आंगन में उर्दू की मुहब्बत छोड़ आया हूं”। राजपुर के शायर रिज़वान अली ने शेर सुनाया “तेरा नम्बर भी आएगा ज़रा रूक,अभी मर्दुम- शुमारी चल रही है” वाजिद हुसैन साहिल ने अपना शेर यूं सुनाया “अगर दिल पे यादों की बरसात होगी,तो बंजर ज़मी में नबातात होगी,,मैं गर्दन झुकाने का आदी नहीं हूँ,बराबर में आओ तभी बात होगी”।

शाकिर शेख ने शेर पढ़ा “शुक्र शाकिर अदा यूं ही करते रहो, खूब देगा खुदा आज़माने के बाद”। हाफ़िज़ अहमद हाफ़िज़ ने शेर सुनाया ” उंगली पकड़ कर साथ में चलिए, फिर ये बच्चा चल निकलेगा। विधायक ग्यारसी लाल रावत जी ने भी मंच पर अपनी बात रखी और मुशायरे की कामयाबी और सफल आयोजन के लिए कमेटी को बधाई दी। अंत निज़ाम बाबा ने सबका आभार व्यक्त कर मुशायरे का समापन किया।

क्या आपने यह पढ़ा:-Holi ka tyohar:: फागुन की बहार लेकर आई रंगो का त्यौहार

Hindi banner 02