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newborn baby care week: नवजात शिशु देखभाल सप्ताह; प्रसव से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए जरूरी पढ़ें

newborn baby care week: अनमोल जीवन की शुरुआत, समुचित देखभाल के साथ बच्चों को सुपोषित बनायें-शिशु मृत्यु दर में कमी लायें

  • प्रसव सिर्फ अस्पताल में ही करायें
  • छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान करायें
  • प्रसव के बाद 48 घंटे तक माँ एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए चिकित्सालय में ही रुकें
  • जिले में 15 नवम्बर से शुरू नवजात शिशु देखभाल सप्ताह 21 नवंबर तक चलेगा

रिपोर्ट: पवन सिंह
मऊ, 16 नवंबर:
newborn baby care week: नवजात की समुचित देखभाल उसके बचपन को खुशहाल बनाने के लिए बहुत ही जरूरी होती है। इसके अलावा शिशु मृत्यु-दर को भी कम करने में इसकी बड़ी भूमिका होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिले में 21 नवम्बर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जाएगा | इसके तहत उन सभी बिन्दुओं पर हर वर्ग को जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा, जिसके जरिये शिशुओं को ‘आयुष्मान’ बनाया जा सके।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ श्याम नरायन दुबे ने बताया कि इस सप्ताह के दौरान जनसामान्य को नवजात शिशु स्वास्थ्य के साथ बेहतर देखभाल के बारे में जागरूक किया जाएगा। कंगारू मदर केयर और स्तनपान को बढ़ावा देने के साथ ही बीमार नवजात शिशुओं की पहचान के बारे में प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके साथ ही सरकार द्वारा चलाये जा रहे बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में भी सभी को जानकारी दी जाएगी। इसमें स्वैच्छिक संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी जिससे कि शिशु मृत्यु-दर में कमी लायी जा सके।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी डॉ बीके यादव ने (newborn baby care week) इस सप्ताह के मुख्य उद्देश्य के बारे में बताया कि नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल करने के बारे में जनसमुदाय को जागरूक कर नवजात शिशु मृत्यु-दर में कमी लाना, जन्म के तुरंत बाद स्तनपान, छह माह तक केवल स्तनपान और छह माह के बाद ऊपरी आहार देकर बच्चों को सुपोषित बनाना और शिशुओं का समय से नियमित टीकाकरण कराना आदि के बारे में विधिवत जानकारी देना नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का प्रमुख उद्देश्य है।

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जिला महिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सिंह ने बताया कि प्रसव अपने नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला महिला चिकित्सालय में ही कराएं। प्रसव के बाद 48 घंटे तक माँ एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए चिकित्सालय में रुकें। नवजात को तुरंत न नहलायें केवल शरीर पोंछकर नर्म साफ कपड़े पहनाएं। जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध पिलाना शुरू कर दें और छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराएं। शिशु जितनी बार चाहे दिन या रात में बार-बार स्तनपान कराएं। कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए छह महीने तक केवल माँ का दूध पिलाएं, शहद, घुट्टी, पानी आदि बिल्कुल न पिलाएं। 

जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और विटामिन के का इंजेक्शन लगवाएं। नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएँ। नवजात की नाभि सूखी एवं साफ़ रखें, संक्रमण से बचाएं और माँ व शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखें। कम वजन और समय से पहले जन्में बच्चों पर विशेष ध्यान दें और शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) की विधि अपनाएँ।

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जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक संतोष सिंह ने 15 नवंबर से शुरू 21 नवंबर तक चलने वाले सप्ताह की प्रमुख गतिविधियों के बारे में बताया कि जनपद स्तर पर सेमिनार और कार्यशाला आयोजित कर नवजात शिशु की बेहतर देखभाल के बारे में प्रस्तुतीकरण किया जाएगा, प्राइवेट नर्सिंग होम/क्लीनिक को भी समुचित जानकारी प्रदान कर जरूरी सहयोग लिया आएगा, स्वस्थ शिशु प्रतियोगिताएं (हेल्दी बेबी शो) आयोजित होंगे, चिकित्सालय के वार्ड में नवजात शिशु की देखभाल सम्बन्धी प्रचार-प्रसार सामग्री लगायी जायेगी, स्तनपान सम्बन्धी वीडियो प्रसवोपरांत महिलाओं को दिखाई जायेगी।

इसके अलावा मदर्स बैठकों और ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति की बैठकों में मुख्य रूप से नवजात शिशु के बेहतर देखभाल पर चर्चा होगी। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा भी गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल के दौरान स्तनपान का सही तरीका और क्यों जरूरी है के बारे में गर्भवती और धात्री महिलाओं को बताया जाएगा। एसएनसीयू (सिक न्यू वार्न केयर यूनिट)  और एनबीएसयू (न्यू वार्न सिक यूनिट) से स्वस्थ होकर घर लौट चुके बच्चों का फालोअप भी किया जायेगा।