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Delhi’s per person income: केजरीवाल सरकार का लक्ष्य 2047 तक दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर के होगी बराबर

Delhi’s per person income: दिल्ली के चहुँमुखी विकास में दिल्ली सरकार के पास जमीन का न होना सबसे बड़ी चुनौती, केंद्र सरकार से है सहयोग की अपेक्षा: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली, 16 नवंबरः Delhi’s per person income: केजरीवाल सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर के बराबर पहुँच जाए। पिछले 6 सालों में दिल्ली की विकास दर 11-12% पहुंच चुकी है। दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय भी पूरे देश की तुलना में 3 गुना ज्यादा है साथ ही देश की जीडीपी में दिल्ली का योगदान 4.4% है। ये सब बाते उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार देर शाम को केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित एक वर्चुअल बैठक में कही।

Delhi’s per person income: इस बैठक में देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और राज्यों में विकास की रफ़्तार को तेज करने को लेकर चर्चा की गई। मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के चहुँमुखी विकास में दिल्ली सरकार के पास जमीन का न होना सबसे बड़ी चुनौती है। केंद्र सरकार से अपेक्षा है कि इस मामले में वो दिल्ली सरकार का सहयोग करे।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने साझा किया कि दिल्ली देश के सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक है और सरकार दिल्ली में एक प्रोग्रेसिव बिज़नेस एनवायरनमेंट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली में पिछले 5-6 सालों में विकास दर 11-12% रही है और नेशनल जीडीपी में दिल्ली का योगदान 4.4% रहा है जबकि दिल्ली की आबादी देश की आबादी की केवल 1.49% है। इसलिए दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 3 लाख 54 हज़ार है जो देश के प्रति व्यक्ति आय की तीन गुना है।

Delhi’s per person income: उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के विकास के लिए योजना बना रहे है। हमारा टारगेट है कि 2047 में जब हम देश की आजादी की 100वीं सालगिरह मना रहे होंगे तब दिल्ली की प्रतिव्यक्ति आय सिंगापुर में तब के प्रतिव्यक्ति आय के बराबर पहुँच जाएँ। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के जीडीपी में सर्विस सेक्टर का योगदान 85% है। उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के विकास के लिए कई मुद्दों पर काम कर रहे है जिसमे केंद्र का सहयोग अपेक्षित है।

इंफ्रास्ट्रक्चर

Delhi’s per person income: सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में 29 प्लांड इंडस्ट्रियल एरिया और 4 फ्लैटेड फैक्ट्री काम्प्लेक्स हैं। इसके अलावा, 25 नॉन-कांफोर्मिंग इंडस्ट्रियल क्लस्टर है। ये कागजों पर नॉन कांफेर्मिंग है लेकिन वहां सारी गतिविधियाँ चल रही है। इसे केंद्र सरकार जल्द से जल्द कंफर्म करे ताकि ये दिल्ली के ग्रोथ का हिस्सा बन सके। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को साथ में मिलकर काम करना होगा और हमें केंद्र सरकार और डीडीए का सहयोग चाहिए।

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उन्होंने बताया कि केजरीवाल सरकार रानी खेरा में 147 एकड़ भूमि पर एक विश्व स्तरीय मल्टीलेवल मैन्युफैक्चरिंग हब तैयार करने की योजना बनाई जा रही है। साथ ही कि दिल्ली सरकार बापरोला में लगभग 55.20 एकड़ जमीन पर एक नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क को विकसित कर रही है और दिल्ली सरकार कांझावाला में भी एक इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करने जा रही है। इस प्रस्तावित परियोजना 920 एकड़ के क्षेत्र में फैली एक प्रमुख ग्रीनफील्ड परियोजना होगी।

केजरीवाल सरकार राजधानी दिल्ली की सड़कों को बना रही है विश्वस्तरीय

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली की सड़कों को विश्वस्तरीय बनाने का काम कर रही है। दिल्ली में 30 मीटर से ज्यादा चौड़ी 540 किमी सड़के है। हमारा प्रयास इन सड़कों को दुनिया के विकसित देशों के शहरों की सड़कों के जैसा बनाना है। इन सड़कों को स्मार्ट सड़क बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने जो योजना तैयार की है उसके लिए 11000 करोड़ रुपयों की जरुरत है।

Delhi’s per person income: दिल्ली सरकार अपने फंड से इस परियोजना पर काम कर रही है लेकिन केंद्र सरकार से भी अपेक्षा रखती है कि केंद्र इसमें सहयोग करे। ताकि जब दूसरे देशों से लोग भारत की राजधानी दिल्ली में आयें तो यहाँ की सड़कों को देखकर उनके मन में देश की अच्छी छवि बने।

दिल्ली सरकार के पास जमीन का न होना सबसे बड़ी चुनौती, इस मुद्दे पर डीडीए और केंद्र से सहयोग की अपेक्षा

प्रदुषण पर नकेल कस रही दिल्ली सरकार– उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली तेजी से विकास कर रहा राज्य है। हम इस शहर को पूरी तरह से प्रदुषण मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में केजरीवाल सरकार लगातार काम कर रही है। जिसके लिए केजरीवाल सरकार ने ई-व्हीकल पालिसी बनाई है। उन्होंने कहा कि दुनिया के विकसित देशों में इतनी बड़ी मात्रा में ई-व्हीकल इसलिए है क्योंकि वहां बड़ी संख्या में चार्जिंग स्टेशन भी बनाए गए है।

दिल्ली सरकार दिल्ली को भी ई-व्हीकल कैपिटल बनाना चाहती है इसके लिए दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और डीडीए से सहयोग चाहती है क्योंकि दिल्ली में जमीन डीडीए के पास है। उन्होंने आगे कहा कि प्रदुषण पर नकेल कसने के लिए दिल्ली सरकार ने 1000 ई-बसों को खरीदा है। आने वाले दिनों में दिल्ली सरकार 4000-5000 ई-बसें खरीदने की योजना बना रही है। जिसके लिए केंद्र सरकार का सहयोग अपेक्षित है।

*केजरीवाल सरकार खड़े कर रही है अस्पतालों का जाल, जमीन की है जरुरत*- उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के लोगों को स्वस्थ रखने के लिए दिल्ली सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में सरकार के पास उपलब्ध जमीन पर हम नए अस्पतालों का निर्माण कर रहे है लेकिन भविष्य में किसी भी महामारी से निपटने के लिए हमें तैयार रहना होगा और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना होगा।

डीडीए ने पिछले कई सालों में प्राइवेट ट्रस्ट को अस्पताल बनाने के लिए जमीनें दी है लेकिन ये ट्रस्ट इन जमीनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार का हस्तक्षेप की जरुरत है। केंद्र सरकार इन जमीनों का ऑडिट करवाएं। यदि ट्रस्ट इन जमीनों पर अस्पताल बनाने को राजी नहीं है तो दिल्ली सरकार इन जमीनों पर वर्ल्ड-क्लास हॉस्पिटल बनाने के लिए तैयार है। इससे दिल्ली के विकास में सहयोग मिलेगा।

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*दिल्ली का शिक्षा मॉडल दुनिया भर में मशहुर, नए स्कूल-कॉलेज के लिए चाहिए जमीन*- सिसोदिया ने कहा कि पूरे देश में 12वीं पास केवल 20% बच्चे ही उच्च शिक्षा पाने के लिए यूनिवर्सिटी में जाते है। जबकि दिल्ली में पिछले 5-6 सालों में ये 45% हो गया है क्योंकि हमने उच्च शिक्षा संस्थानों में सीटों को 4 गुणा बढ़ाया है। जिसके लिए हमें दिल्ली में नए कॉलेज बनाने के लिए जमीन की आवश्यकता है।

यदि हमें कोई कॉलेज या यूनिवर्सिटी बनानी होती है तो डीडीए से ऊँची कीमतों पर जमीन खरीदनी होती है। इसपर यदि केंद सरकार के हस्तक्षेप से डीडीए अपनी पालिसी में कोई बदलाव लाए तो इससे दिल्ली में उच्च शिक्षा के क्षेत्र को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और हमारा प्रयास रहेगा कि 12वीं पास करने वाले सभी छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करें।

*केजरीवाल सरकार दिल्ली के कोने-कोने में पहुंचा रही है मेट्रो*

Delhi’s per person income: सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के 6 कोरिडोर में से 3 को अबतक मंजूरी नहीं मिली है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि इन बाकि 3 कोरिडोर को भी मंजूरी दी जाए।

*स्टार्टअप को बढ़ावा दे रही है केजरीवाल सरकार, दिल्ली के विकास में बन रहे भागीदार*

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि स्टार्टउप के मामले में दुनिया के टॉप 100 शहरों में शुमार है दिल्ली। इनोवेशन के मामले में देश में दिल्ली पहले नंबर पर है। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में स्टार्टअप को बूस्ट करने के लिए नई स्टार्टअप पालिसी बने है। हमारा मानना है कि जबतक पूरे देश में सभी राज्य संयुक्त रूप से एक स्टार्टअप पालिसी नहीं बनायेंगे तबतक हम एक साथ आगे नहीं बढ़ पाएंगे।

*नौजवानों को रोजगार दिलाना केजरीवाल सरकार की प्राथमिकता*

Delhi’s per person income: सिसोदिया ने कहा कि कोरोना के बाद लोग बड़ी संख्या में बेरोजगार हुए जिसकों देखते हुए केजरीवाल सरकार ने रोजगार बाज़ार पोर्टल की शुरुआत की। ये एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ नौकरी देने वाले और नौकरी ढूंढने वाले एक साथ आए। जिसकों नौकरी की जरुरत थी उन्हें नौकरी मिली और जिन्हें काम करने वाले लोगों की जरुरत थी उन्हें लोग मिल गए। इस प्लेटफ़ॉर्म पर 55000 काम देने वालों ने वहां 5 लाख जॉब्स पोस्ट किए और 1.40 लाख लोगों को इससे नौकरियां मिली।

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*इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में अग्रणी दिल्ली*

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने दिल्ली में 16 विभागों के 454 पुराने चले नियमों को ख़त्म कर दिया। साथ ही 125 सेवाओं की डोर स्टेप डिलीवरी शुरू कर दी है। अब व्यापारी, दफ्तरों के धक्के नहीं खाते है और उन्हें सारी सेवाएं ऑनलाइन मिल जाती है।

Delhi’s per person income: इससे दिल्ली सरकार ने दिल्ली में व्यापार करना आसान बना दिया है। जिससे व्यापारियों को बिजनेस करने में आसानी हो रही है। उपमुख्यमंत्री ने भारत सरकार से मिलने वाली केंद्रीय सहायता बढ़ाने का भी अनुरोध किया।

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