Varanasi 4

National workshop concludes in varanasi: वसंता कॉलेज में चल रहे राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

  • मूल्यों का व्यवहार में अभ्यास करके ही आत्म साक्षात्कार प्राप्त किया जा सकता है….. प्रोफेसर हरिकेश सिंह
  • कर्नाटक स्थित श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे कार्यशाला में ख्याति प्राप्त विद्वानों ने दिया व्याख्यान

National workshop concludes in varanasi: जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने दिया सारगर्भित समापन व्याख्यान

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 30 अप्रैलः National workshop concludes in varanasi: वसंत महिला महाविद्यालय और श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ”मानवीय मूल्य, मानवीय श्रेष्ठता और उच्चतर शिक्षा” विषय पर चल रहे राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलता पूर्वक समापन (National workshop concludes in varanasi) हो गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह।

कार्यक्रम का शुभारंभ श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के सुन्दर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ.योगिता बेरी ने किया। वसंत महिला महाविद्यालय की प्राचार्या, प्रो अल्का सिंह ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता, प्रो.हरिकेश सिंह का अभिनंदन और आभार व्यक्त किया।

National workshop concludes in varanasi: डॉ.मीनाक्षी बिस्वाल ने कार्यशाला के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रो.हरिकेश सिंह का परिचय दिया। प्रो.हरिकेश सिंह, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, बिहार के पूर्व कुलपति रहे हैं। पूर्व में प्रोफेसर सिंह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में वरिष्ठ प्रोफेसर और डीन रह चुके हैं।

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प्रो.हरिकेश सिंह ने इस अवसर पर महाविद्यालय के संस्थापक जद्दु कृष्णमूर्ति तथा महामना मालवीय एवं एनी बेसेंट के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। आपने अपने वक्तव्य में कहा कि ”केवल गुण एवं मूल्य हीं वे तत्व हैं जो मानव को अन्य जीवों से अलग करते हैं, अन्यथा इन्द्रिय बोध तो सभी जीवधारियों को होता है।

National workshop concludes in varanasi: मूल्यों का व्यवहार में अभ्यास करके हीं मानव आत्म-साक्षात्कार कर सकता है। मूल्यों जैसे, श्रेष्ठ आचरण, अनुशासन, सभी का सम्मान करना, इन्हीं के अभ्यास से मानव अपने उत्कृष्ट रुप को प्राप्त कर सकता है।’ अपना एवं दूसरों का कल्याण’ ही सनातम धर्म का सार है।

आपने आगे कहा कि आधुनिक काल में भी, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट, ‘द ट्रेसर विदिन’ में सीखने के सिद्धांतों में, सबसे ज्यादा महत्व’ शांति और सौहार्द्र से साथ साथ रहने’ के लक्ष्य को दिया गया है। मूल्य युक्त आचरण से हीं बुराई और अंधकार का अंत होगा और मानव अपनी श्रेष्ठता को प्राप्त करेगा। स्वार्थ से ऊपर उठकर परहित सबसे बड़ा धर्म है।”

National workshop concludes in varanasi: डॉ.मीनाक्षी बिस्वाल, असिस्टेंट प्रोफेसर, शिक्षा विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय ने कार्यशाला के पांच दिनों की प्रभावी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों ने अपने प्रश्नों को पूछकर संतोषजनक उत्तर प्राप्त किया। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने अपनी सीख और अनुभव भी साझा किए। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संचालक, डॉ.राजीव जायसवाल ने दिया।

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