Pro vasanta collage Indian currency

Indian currency: वाराणसी में भारतीय मुद्रा शास्त्र का मूल सिद्धांत पर कार्यशाला

Indian currency: प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्वपूर्ण स्थान

  • Indian currency: बसंत महिला महाविद्यालय में चर्चित इतिहासकार प्रोफेसर सुष्मिता का ज्ञानवर्धक व्याख्यान

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 07 अप्रैल
: Indian currency: प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्वपूर्ण स्थान है . उक्त उदगार चर्चित इतिहासकार और कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुष्मिता बसु मजूमदार ने, बसंत महिला महाविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग द्वारा आयोजित ,सात दिवसीय कार्यशाला के तीसरे दिन व्यक्त की .

“भारतीय प्राचीन लिपिमाला ” एवं “प्रारंभिक भारतीय मुद्राशास्त्र का मूल सिद्धांत” के साप्ताहिक कार्यशाला के प्रारम्भ में महाविद्यालयकी प्राचार्या प्रोफेसर अलका सिंह ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया . मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुष्मिता बसु मजूमदार का व्याख्यान, मौर्योत्तर कालीन सिक्कों (२ शताब्दी ईसा पूर्व-३ शताब्दी ईस्वी) पर आधारित था । प्रोफेसर मजूमदार ने इस काल में प्रचलित सिक्कों पर महत्वपूर्ण प्रतिक चिन्हों एवं उस पर अंकित अभिलेख से छात्र एवं छात्राओं को भली भांति परिचित कराया ।

उन्होंने ने आगे बताया कि प्राचीन भारतीय इतिहास (Indian currency) के स्त्रोत के रूप में सिक्कों का महत्वपूर्ण स्थान है. मौर्यो के पतन के पश्चात् हमें सिक्कों के रूप में विभिन्नता दिखाई देता हैं। इस समय जनजातियां एवं गणराज्य अपने प्रतीको के साथ स्वर्ण सिक्के जारी करने लगे। इनमें कुछ सिक्कों पर हमें विदेशी प्रभाव भी दिखाई देता है । यवन, शक- पहलव एवं कुषाण शासकों का भारत में मुद्राशास्त्रीय परम्परा में गहन प्रभाव पड़ा। इन सिक्कों से भारत -‌ रोम के बीच व्यापार की जानकारी प्राप्त होती हैं।

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कार्यक्रम के अगले कड़ी में प्रोफेसर बसु ने संगम साहित्य का वर्णन करते हुए (३ शता‌ब्दी ईसा पूर्व) दक्कन के महापाषाण संस्कृति के विषय में जानकारी दी। इसके पश्चात् (Indian currency) शक- सातवाहन संघर्ष में सिक्कों की महत्वत्ता एवं साथ ही विदेशी शासकों के सिक्कों पर अंकित भारतीय देवताओं के प्रतिको द्वारा सांस्कृतिक संबंध पर‌ भी प्रकाश डाला। दूसरे कार्यशाला में छात्राओं को अशोकन ब्राह्मी का अध्ययन कराया गया।

कार्यशाला में चंद्रिमा दास ने सिक्कों (Indian currency) पर अंकित प्रतीक चिन्हो और अभिलेख को समझने में छात्राओं की मदद किया. इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से , डॉ शीला सिंह, डॉ सुशीला भारती, डॉ राजीव जायसवाल, डॉ संवेदना सिंह, डॉ गार्गी चटर्जी उपस्थित रहें। वसंत महिला महाविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग की छात्रा निधिप्रिया ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया.

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