Gyan Jyoti Tirtha

Gyan Jyoti Tirtha: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने टंकारा में ज्ञान ज्योति तीर्थ का किया शिलान्यास

Gyan Jyoti Tirtha: टंकारा में महर्षि दयानंद के 200वें जन्मोत्सव-स्मरणोत्सव समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की गरिमामय उपस्थिति

  • राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यज्ञ में दी आहुति

गांधीनगर, 12 फरवरीः Gyan Jyoti Tirtha: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज मोरबी जिले के टंकारा में महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव-स्मरणोत्सव कार्यक्रम में स्वामी दयानंद सरस्वती की स्मृति में साकार होने वाले ज्ञान ज्योति तीर्थ का शिलान्यास किया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत तथा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की उपस्थिति में उन्होंने यज्ञ में आहुति भी दी। गुजरात प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से आयोजित इस समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आर्य समाज के स्वयंसेवक और लोग उपस्थित रहे।

तीन दिवसीय स्मरणोत्सव के समापन अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, महर्षि दयानंद की यह 200वीं जयंती पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने कहा कि, हमारी भारत भूमि एक धन्य भूमि है, जिसने महर्षि दयानंद सरस्वती जैसी अद्भुत विभूतियों को जन्म दिया है। आध्यात्मिक पथप्रदर्शक अरविंद ने महर्षि दयानंद के बारे में कहा था कि, वे मनुष्य और संस्थानों के मूर्तिकार थे। आज आर्य समाज के लगभग 10 हजार केंद्र मानवता के विकास और कल्याण के लिए कार्यरत हैं।

उन्होंने कहा कि, लोकमान्य तिलक, लाला हंसराज और लाला लाजपत राय जैसे महान क्रांतिकारियों पर स्वामी के आदर्शों का गहरा प्रभाव था। स्वामी और उनके असाधारण अनुयायियों ने देश के लोगों में एक नई चेतना और आत्मविश्वास का संचार किया था। काठियावाड़ की धरती की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि, महर्षि दयानंद के बाद की महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। स्वामी ने समाज सुधार का बीड़ा उठाया था और ‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक अमर ग्रंथ की रचना की थी।

वहीं, महात्मा गांधी ने भारतीय राजनीति में जन-जन को जोड़ने के साथ उसे आध्यात्मिक आधार भी दिया था एवं ‘सत्य के प्रयोग’ नामक पुस्तक की रचना की थी। ये दोनों रचनाएँ हमारे देशवासियों ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता का मार्गदर्शन करते रहेंगे। काठियावाड़ में जन्में इन दोनों महापुरुषों के जीवन से देशवासियों और पूरी मानव जाति को प्रेरणा मिलती रहेगी। उन्होंने कहा कि, देश की सोई हुई आत्मा को जगाने, समाज को उन्नति एवं समानता के आदर्शों से जोड़ने और देशवासियों में आत्मगौरव की भावना का संचार करने में सौराष्ट्र की इस भूमि ने पूरे राष्ट्र को सही दिशा दिखाई है।

महर्षि दयानंद की समाज सुधार की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि, महर्षि दयानंद ने 19वीं शताब्दी में भारतीय समाज में व्याप्त अंध विश्वासों और कुरीतियों को दूर करने का बीड़ा उठाया था। उनकी जगाई हुई चेतना से रूढ़ियों एवं अज्ञान रूपी अंधकार दूर हुआ है। इसके साथ ही, उनके द्वारा फैलाया गया ज्ञान का प्रकाश तब से लेकर आज तक देशवासियों का मार्गदर्शन करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।

स्वामी ने बाल विवाह और बहुपत्नी प्रथा का कड़ा विरोध किया था। वे नारी शिक्षा और नारी स्वाभिमान के प्रखर हिमायती थे। आर्य समाज कन्या विद्यालयों और छात्राओं के लिए उच्च शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के माध्यम से महिला सशक्तिकरण में अमूल्य योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का मानना था कि, अस्पृश्यता को दूर करने के लिए महर्षि दयानंद का अभियान समाज सुधार के लिए काफी महत्वपूर्ण था।

गांधीजी ने भी महर्षि के अस्पृश्यता उन्मूलन अभियान को सर्वाधिक महत्व दिया था। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि अगले वर्ष जब आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, तब आर्य समाज से जुड़े सभी लोग स्वामी जी के पूरी दुनिया को श्रेष्ठ बनाने विचारों को कार्यरूप देने के लिए निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि. स्वामी के मानवता और सर्वसमावेशिता के आदर्शों का अनुसरण करते हुए देश के जनजातीय क्षेत्रों में विद्यालय चलाए जा रहे हैं। आदिवासी युवाओं के लिए कौशल विकास केंद्र चलाए जा रहे हैं। इन स्कूलों और केंद्रों के साथ निःशुल्क आवास एवं शिक्षा की सुविधा भी दी जाती है।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक खेती के लिए निष्ठापूर्ण प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, आचार्य देवव्रत प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में अमूल्य मार्गदर्शन कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती मानवता के भविष्य और स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है। स्वच्छ जल और उपजाऊ मिट्टी के बिना शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता। प्राकृतिक खेती अपनाने से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में भी मदद मिलेगी।

राष्ट्रपति ने महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मोत्सव के अवसर पर टंकारा आने के लिए मिले अवसर को अपना सौभाग्य बताया। उन्होंने पूरे देशवासियों की ओर से इस पावन भूमि एवं महर्षि दयानंद जी को वंदन किया। उन्होंने इस समारोह के आयोजन के लिए दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा और श्री महर्षि दयानंद सरस्वती स्मारक ट्रस्ट-टंकारा तथा सभी आर्य संगठनों की सराहना की।

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इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि, आर्य समाज एक राष्ट्रवादी संस्था है और प्रारंभ से ही उसका लक्ष्य देश का विकास ही रहा है। आर्य समाज के नियमों में संस्कारों का सिंचन, शारीरिक और सामाजिक विकास तथा देश की उन्नति का उल्लेख है। संसार का उत्थान करना ही आर्य समाज का मुख्य लक्ष्य है।

राज्यपाल ने कहा कि स्वामी दयानंद ने एक मुश्किल समय में देश में महिला शिक्षा, दलित और आदिवासी उत्कर्ष की हिमायत कर पूरी मानव जाति को समरसता का पाठ सिखाया था। स्वामी दयानंद ने गौ कृषि आदि रक्षिणी सभा की स्थापना कर देश की आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के प्रयास किए थे। स्वामी दयानंद ने स्वदेशी के नारे के साथ आजादी का बिगुल फूंककर देश में क्रांतिकारी सेना का निर्माण किया था।

राज्यपाल ने कहा कि दयानंद ने भारत की आध्यात्मिक चेतना को जगाकर अज्ञान-पाखंड को दूर करने का भगीरथ कार्य किया है। उन्होंने कहा कि गुजरात की धरती ने समय-समय पर राष्ट्र के महापुरुषों को जन्म दिया है। गुजरात की धरती पर जन्में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश में हो रहे ढांचागत विकास की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि, आज भारत में बेहतरीन सड़कें, विश्वस्तरीय हवाई अड्डे और सुदृढ़ रेलवे कनेक्टिविटी उपलब्ध है।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। भारत अपनी आज़ादी के अमृत काल में वर्ष 2047 यानी आजादी के सौ वर्ष पूरे होने तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत के गौरव और महिमा को विश्व फलक तक पहुंचाने का कार्य किया है। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में हो रहे विकास कार्यों की भी प्रशंसा की।

समारोह में उपस्थित मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने महर्षि दयानंद सरस्वतजी की स्मृति वंदना करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस अवसर पर टंकारा में निर्मित एक ओवरब्रिज का नाम ‘महर्षि दयानंद ओवरब्रिज’ रखने का निश्चय किया है। उन्होंने टंकारा आने वाले दर्शनार्थियों के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने महर्षि दयानंद ट्रस्ट को राजकोट-मोरबी राजमार्ग पर ज्ञान ज्योति तीर्थ के लिए भूमि भी आवंटित की है।

पटेल ने महर्षि दयानंद सरस्वती को स्मरण वंदन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर ज्ञान ज्योति पर्व का नई दिल्ली से प्रारंभ कराया था। तब से समग्र देश में महर्षि का वंदना महोत्सव मनाया जा रहा है और आज का यह उत्सव वंदना महोत्सव का शिखर है।

मुख्यमंत्री ने देश एवं दुनियाभर से आए आर्य समाजियों के समक्ष गुजरात तथा टंकार की पावन भूमि की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि गुजरात पौराणिक एवं प्राचीन काल से युग पुरुषों की पुण्य भूमि है। त्रेता युग में प्रभु श्री राम के वन विचरण के प्रदेश दंडकारण्य-डांग तथा द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के देहोत्सर्ग के स्थान भालका तीर्थ का पुराणों में उल्लेख है।

मुख्यमंत्री ने टंकारा का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि आधुनिक युग में टंकारा में जिनका जन्म हुआ है, वे महान विभूति महर्षि दयानंद सरस्वती तथा महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु श्रीमद् राजचंद्र का जन्म स्थल ववाणिया भी गुजरात में ही है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म परिषद् में जाने से पहले गुजरात की इस पावन भूमि पर विचरण किया था तथा देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी इसी गुर्जर धरा की संतान हैं।

भूपेंद्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व तथा दिशादर्शन में समग्र भारत में सांस्कृतिक धरोहरों तथा आध्यात्मिक चेतनाओं से जुड़े संस्थानों के पुनरुत्थान का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। अयोध्या में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य महोत्सव भारत में शुरू हुए सांस्कृतिक नवजागरण का माइल स्टोन है और भारतीय संस्कृति के नवजागरण का यह युग महर्षिजी द्वारा देखे गए सपनों को पूरा होते देखने का युग है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महर्षि दयानंद के मार्ग पर चल कर जनकल्याण का अमृत परोस रहे हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती ने समाज में कुरीतियों को दूर कर जनकल्याण का अमृत परोसा था और लोगों को सच्ची राह दिखाई थी। इसी प्रकार प्रधानमंत्री भी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभों को लाभार्थियों तक पहुँचा कर जनकल्याण का अमृत परोस रहे हैं।

महर्षि ने उनके कालखंड में नारी शक्ति के लिए शिक्षा अभियान चलाए थे। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने भी कन्या शिक्षा, महिला सशक्तिकरण तथा नारी शक्ति के उत्कर्ष को प्राथमिकता दी है। गुजरात ने भी प्रधानमंत्री की राह पर चल कर कन्याओं के स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा के लिए दो नई योजनाएँ इस वर्ष के बजट में घोषित की हैं।

पटेल ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ मंत्र का अनुकरण करते हुए जरूरतमंद लोगों तक आवास, स्वास्थ्य, आहार आदि सुविधाएँ पहुँची हैं तथा विकास के अमृतकाल का उदय हुआ है। महर्षि दयानंद सरस्वतीजी ने वेद-परंपरा की ओर लौटने का आह्वान किया था। आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश अपनी प्राचीन परंपराओं का गौरव करते हुए ‘विकसित भारत एट ट्वेंटी फोर्टी सेवन’ के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि श्री नरेन्द्र मोदी के दिशादर्शन में देश का यह अमृतकाल विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक नवजागरण का भी स्वर्ण युग बने।

कार्यक्रम के आरंभ में दयानंद एंग्लो वैदिक मैनेजिंग कमिटी के अध्यक्ष पद्मश्री पूनम सूरीजी ने स्वागत संबोधन में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि देश के 75 वर्ष के इतिहास की यह पहली घटना है, जब कोई राष्ट्रपति टंकारा में महर्षि दयानंद सरस्वतीजी को पुष्पांजलि अर्पित करने आए हों। इस अवसर पर ज्ञान ज्योति महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र आर्य ने प्रसंगानुरूप संबोधन किया।

इससे पहले राष्ट्रपति का आगमन होते ही लोगों ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया। इसके बाद राष्ट्रगान की धुन के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर जब आर्य गुरुकुल की कन्याओं ने वेद मंत्रों के के गान के साथ महर्षि दयानंदजी की स्मृति वंदना की, तब उपस्थित सभी लोग मंत्रमुग्ध हो गए।

राष्ट्रपति को राष्ट्र धर्म तथा सनातन धर्म की ज्योति के प्रतीक समान ज्योति स्मृति चिह्न, दयानंदजी का चित्र तथा वेद-सत्यार्थ प्रकाशन का स्मृति चिह्न अर्पण कर उनका अभिवादन किया गया। इसके साथ ही राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को भी स्मृति चिह्न अर्पित किए गए।

राष्ट्रपति ऑद्रौपदी मुर्मू मुख्य समारोह से पहले आर्य समाज की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं प्रतिनिधियों से मिलीं और राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सहित सभी प्रतिनिधिमंडलों को शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति ने आर्य समाज द्वारा समारोह स्थल पर आयोजित यज्ञ में आहूति अर्पित की। राज्यपाल आचार्य देवव्रत तथा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी यज्ञ में आहूति दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने पुष्पवर्षा कर राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री का सत्कार किया। राष्ट्रपति ने महर्षि दयानंद के जीवन-वृतांत पर आधारित प्रदर्शनी देख कर धन्यता की अनुभूति की।

इस अवसर सांसद मोहनभाई कुंडारिया, केशरीदेवसिंहजी झाला, विधायक कांतिभाई अमृतिया, जीतूभाई सोमाणी, दुर्लभजीभाई देथरिया, जिला कलेक्टर के. बी. झवेरी, जिला विकास अधिकारी जे. एस. प्रजापति, रेंज पुलिस महानिरीक्षक अशोक यादव, जिला पुलिस अधीक्षक राहुल त्रिपाठी, आर्य समाज के अग्रणी धर्मानंद महाराज, सुरेशचंद्र आर्य, विनय आर्य तथा आर्य समाज के अनुयायी उपस्थित रहे।

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