102th Dikshaant samaroh 2

102th Dikshaant samaroh complete: बीएचयू का 102वां दीक्षांत समारोह संपन्न

  • कुल 37977 विद्यार्थियों को प्रदान की गई उपाधि

102th Dikshaant samaroh complete: बड़ी योजनाएं बनाएं और साहसिक विचारों पर अमल करें, भावी परिवर्तन के आप ही हैं सूत्रधार….. निकेश अरोड़ा

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 10 दिसंबरः 102th Dikshaant samaroh complete: ये समय भारत का है। अब जब भारत एक तकनीकी क्रांति की तरफ अग्रसर हो रहा है, आपके पास अपनी छाप छोड़ने का एक सुनहरा व शानदार अवसर है”, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 102 वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को अपने प्रेरणादायी संबोधन में साइबर सुरक्षा में विश्व की अग्रणी कंपनी पालो ऑल्टो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा समारोह के मुख्य अतिथि निकेश अरोड़ा के संदेश का यही सार रहा।

बीएचयू के पूर्व छात्र अरोड़ा ने 2022 के दीक्षांत समारोह के दौरान उपाधि ग्रहण करने वाले छात्रों को अपने करियर और जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए पांच मंत्र दिए- दृढ़ता, जिज्ञासु होना, जीवन में जोखिम लेने के लिए तैयार रहना, लोगों को साथ लेकर चलना और सत्यनिष्ठापूर्ण जीवन जीना।

निकेश अरोड़ा ने अपने संबोधन की शुरुआत अपने निजी अनुभवों को साझा करने से की, जब वे 37 साल पहले स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के लिए बीएचयू परिसर पहुंचे थे। अपने पिता, दादा व परिवार के संघर्ष व योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आज वे जो कुछ भी हैं उन्ही की वजह से हैं।

पिछले तीन दशकों में प्रौद्योगिकी में आए बदलाव पर चर्चा करते हुए, अरोड़ा ने कहा कि उस समय कंप्यूटर का उपयोग करना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य होता था। जबकि आज हमारे पास ऐसा मोबाइल फोन है जो सन् 1985 की तुलना 5000 गुना तेज है। उन्होंने कहा कि जब तकनीक की बात आती है तो दुनिया ने बड़ी क्रांति देखी है, चाहे बिजली की खोज हो, टेलीफोन की खोज हो या इंटरनेट का आगमन। अगली क्रांति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा के इर्द-गिर्द होगी, जो हमारे निर्णय लेने के तरीके को भी प्रभावित करेगी।

102th Dikshaant samaroh

तकनीकी प्रगति की इस नई लहर के बीच भारत द्वारा पेश किए जाने वाले आशाजनक अवसरों को रेखांकित करते हुए, उन्होंने सुझाव दिया कि विद्यार्थी सफलता व उत्कृष्टता के अपने प्रयासों में लगे रहें, भले ही उन्हें असफलताओं का सामना करना पड़े। अरोड़ा ने पहली नौकरी मिलने से पहले सैकड़ों नौकरियों के लिए खारिज किए जाने के अपने स्वयं के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि आवश्यक यह है कि आप ठोकर खाने के बाद खुद को संभालें व कोशिश जारी रखें, क्योंकि सफलता हासिल करने करने के लिए आतुरता भी आवश्यक है और दृढ़निश्चय भी।

उन्होंने सफलता के वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार जिज्ञासु बने रहने और सीखना कभी न छोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने अपना उदाहरण साझा करते हुए कहा कि “पांच वर्ष पूर्व मैं साइबर सुरक्षा के बारे में कुछ नहीं जानता था और आज मुझे दुनिया की सबसे बड़ी साइबर सुरक्षा कंपनी चलाने का सौभाग्य मिला है और दुनिया भर की संस्थाओं और सरकारों को सलाह देने का अवसर प्राप्त हुआ है”।

अरोड़ा ने डिग्री प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे जीवन में जोखिम उठाएं और नो-रिस्क कम्फर्ट जोन से बाहर निकले। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूज्यनीय संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इस महान संस्थान को स्थापित करने के लिए महामना का दृढ़ संकल्प किसी भी प्रकार के जोखिम से बाधित नहीं हुआ था, और एक साहसिक योजना और उसके क्रियान्वयन से उन्होंने भारत में उच्च शिक्षा को नई दिशा दी।

उन्होंने कहा, “हम सभी जोखिम कम करने और बेहतर जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यदि आप अपने साथ बहुत अधिक ऐसा करते हैं, तो संभवतः आप बेहतरीन अवसरों को खोने का बड़ा जोखिम उठा रहे हैं”। विद्यार्थियों को लक्ष्यों को प्राप्त करने में सब को साथ लेकर चलने का सुझाव देते हुए, निकेश अरोड़ा ने कहा कि दुनिया में सर्वाधिक सफल लोग मिल कर काम करने और बहुत से लोगों को एक ही दिशा में प्रयास कराने में सफल हुए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की ताकत और क्षमता को आज विश्व समझने लगा है। “आज, कई कंपनियां अपने नवाचार केंद्रों को भारत में स्थानांतरित कर रही हैं, और यह सिर्फ शुरुआत है”, उन्होंने विद्यार्थियों से इस आशाजनक अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया।

102th Dikshaant samaroh 1

पालो अल्टो प्रमुख ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसे महान संस्थान से डिग्री प्राप्त करने पर छात्रों को बधाई दी, और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में उनमें से ही कोई इस स्थान पर मंच पर खड़ा होगा और एक नई पीढ़ी को भी ऐसा ही करने के लिए कहेगा। उन्होंने कहा, “बीएचयू से प्राप्त डिग्री आपके लिए नए मार्ग प्रशस्त करेगी, कुछ ऐसे भी जिन के बारे में आप कभी जानते भी नहीं थे”।

दीक्षांत समारोह के तहत विभिन्न संकाय प्रमुखों ने सफल उम्मीदवारों को उपाधि प्रदान करने के लिए प्रस्तुत किया, जिन्हें बाद में कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन द्वारा उपाधि की स्वीकृति प्रदान की गयी। कुलपति ने विद्यार्थियों को नैतिकता और सार्थक शिक्षा को बढ़ावा देने और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने और लोगों की भलाई करने की शपथ दिलाई।

मुख्य अतिथि निकेश अरोड़ा, कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन और कुलगुरु प्रो. वी के शुक्ला ने स्वतंत्रता भवन में मुख्य समारोह में मंच से कुलाधिपति पदक, स्वर्गीय महाराजा विभूति नारायण सिंह स्वर्ण पदक और बीएचयू पदक प्रदान किए। वर्ष 2020, 2021 और 2022 के लिए इन तीन श्रेणियों में 91 छात्रों को पदक प्रदान किए गए हैं। तीन वर्षों के दौरान सफल उम्मीदवारों को कुल 37977 डिग्री प्रदान की जा रही हैं। सभी संकायों के 1599 स्वर्ण पदक, रजत पदक और पुरस्कार भी छात्रों को प्रदान किए गये। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने मुख्य अतिथि का अभिनंदन किया।

स्वागत भाषण देते हुए कुलगुरु प्रो. वी.के. शुक्ला ने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को कई जानी-मानी हस्तियां और प्रमुख विभूतियां संबोधित कर चुकी हैं और निकेश अरोड़ा के साथ इस सिलसिले में एक और मशहूर शख्सियत का नाम जुड़ गया है। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि का परिचय देते हुए प्रो. शुक्ला ने कहा कि अरोड़ा की उपस्थिति ने समारोह की भव्यता को और बढ़ा दिया है। कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

कार्यक्रम का संचालन महिला महाविद्यालय की प्रो पद्मिनी रवींद्रनाथ ने किया। संगीत एवं मंच कला संकाय से डॉ. मधुमिता भट्टाचार्य, डॉ. के. चंचल और उनके विद्यार्थियों ने कुलगीत प्रस्तुत किया। मंगलाचरण संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. पतंजलि मिश्र द्वारा किया गया।

क्या आपने यह पढ़ा…. Himachal new cm: हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे सुखविंदर सुक्खू, जानें कब लेंगे शपथ…

Hindi banner 02