Experience: लिखने का उतना अनुभव नहीं फिर भी लिखते रहती हूं
!! अनुभव !!(Experience)
लिखने का उतना अनुभव (Experience)नहीं
फिर भी लिखते रहती हूं
चुन-चुन कर अपनी यादों का,
लेखा-जोखा रखती हूं
अपने सपनों में खो कर
सबके सपने संजोती हूं
लिखने का उतना अनुभव नहीं
फिर भी लिखते रहती हूं,
जब चलता है मन में
शब्दों का ताना-बाना
धर चकला बेलन एक तरफ
मैं कागज-कलम में उलझ जाती हूं
तब मैं मिलती हूं खुद से…
बातें करती हूं अपने अंतर्मन से…
अच्छा लगता है अपने ही शब्दों को
बार-बार दुरुस्त कर
शब्दों को पंक्ति में ढालना
नित नया प्रयोग कर
कलम से बातें करती हूं
वह भी समझती है भाव मेरे
झट चल पड़ती है कागज पर
सरल शब्दों में कविता लिखती हूं
ना बात करती हूं घुमा फिरा कर
जो मेरे मन में चलता है
वही भाव कागज पर उतरता
पापा ही मेरी प्रेरणा है..
उन्हीं से सीखा अक्षरों को
शब्दों में ढालना…
शब्दों से पंक्तियां बनाना
लिखने का उतना अनुभव नहीं….
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क्या आपने यह पढ़ा…letter of Emotions: कोरे काग़ज़ पर आज जज़्बात लिख रही हूँ: अनुराधा रानी
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