मुझे लिखना है ज़रा ज़रा तुम्हे, हर किस्से में:दीपा (Deepa)
मुझे लिखना है ज़रा ज़रा तुम्हे,
हर किस्से में।
और बचाकर रख भी लेना है ज़ेहन में,
ज्यों का त्यों।
पर ये मुमकिन न होगा,
शायद।
क्योंकि तुम तो
ख़ुशी हो मेरी,
बढ़ते ही रहोगे,
हर क़िस्से के साथ।
तब तलक़,
जब तलक़,
मेरे अंदर है वजूद मेरा।
तब तलक़,
मुझे लिखना है,
दरख़्तों को भिगोती बारिश का किस्सा,
किसी फ़ूल का शबनम से मिलने का क़िस्सा।
औऱ लिखना है तुम्हें,
ज़रा-ज़रा हर क़िस्से में।
सुनो तुम कोई ग़म नहीं,
ख़ुशी हो मेरी।
~~दीपा (Deepa)~~
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