A day of love: क्यूं ना हो प्यार का एक दिन: रेणु तिवारी “इति”
!! प्यार का एक दिन !! (A day of love)
क्यूं ना हो प्यार का एक दिन
क्यूं ना हो इज़हार का एक दिन
हाथो में लिए गुलाब तुम कहो खास हो
तुम मेरे लिए
मैं भी लजाती सी कहूं हा तुम ही तो सब कुछ मेरे लिए
यूं तो रोज़ की भागदौड़ में ऑफिस से
घर की पारी में भूल जाता हूं जताना
की प्यार है तुमसे
मैं भी कुकर की सीटी में,बच्चों की
जिम्मेदारी में भूल जाती हूं की,ऐतबार है तुमसे
तो क्यूं ना हो प्यार का एक दिन
क्यूं ना हो इज़हार का एक दिन
रोज़ रोज़ एक सा जी कर मैं भी थक जाता हूं
कभी तो तेरे नर्म कांधे पर सिर मेरा हो
उलझे हुए गेसुओ को सुलझाऊ और कहूं
की प्यार है तुमसे
मैं भी देख आंखो में तेरी सोलह बरस की हों जाऊं
एक दिन के लिए ही छोड़ के सब किरदार
बस तेरी प्रियसी हों जाऊं
हाथो में लेकर हाथ कह सकूं की प्यार है तुमसे
तो क्यूं ना हो प्यार का एक दिन
क्यूं ना हो इज़हार का एक दिन
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