Privatization: दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कालेजों के निजीकरण का किया विरोध
दिल्ली, 27 मार्च: शनिवार 27,मार्च दिल्ली सरकार द्वारा डीयू के 12 कालेजों के निजीकरण (Privatization) के खिलाफ शिक्षक सड़क पर उतरे। लोगों को पर्चे बांटकर डीयू के कालेजों में पैटर्न आफ असिसटेंस, अनियमित व अधूरे वेतन व पेंशन आदि समस्याओं के बारे में बताकर विश्वविद्यालय को बचाने की अपील की।
डा भीमराव अंबेडकर कालेज के शिक्षक संघ के अध्यक्ष रवि शंकर ने बताया डीयू के 12 कालेज दिल्ली सरकार से अनुदान प्राप्त हैं। सरकार इन सभी कालेजों में पैटर्न आफ असिसटेंस लागू कर इन्हें डीयू से अलग कर आंबेडकर विश्वविद्यालय से जोड़ने की तैयारी कर रही है, ऐसा हुआ तो इन कालेजों की फीस में बढ़ोतरी होगी और छात्रहित को देखते हुए शिक्षक संघ इस फैसले (Privatization) के विरोध में खड़ा है।
रवि शकर ने बताया कि लगभग डेढ़ वर्ष से शिक्षकों को अनियमित व अधूरा वेतन मिल रहा है। सरकार जनता के पैसे से चल रहे कालेजों का अनुदान रोककर इन्हें सेल्फ फाइनेंस बनाना चाह रही है। जिसमें सरकार कालेजों को अनुदान नहीं देगी, उसकी जगह छात्र-छात्राओं से फीस के नाम पर मोटी रकम ली जाएगी। कालेज के निजीकरण (Privatization) से मध्यमवर्गीय बच्चों से पढ़ने का मौका छीना जा रहा है.
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने विगत कई दिनों से ‘संपूर्ण बंदी’ की घोषणा की है, जो अभी तक जारी है। दिल्ली सरकार ने निजीकरण की दिशा मे आगे कदम बढ़ाते हुए लगभग एक वर्ष से उसके द्वारा फंड-प्राप्त 12 कॉलेजों को दिए जाने वाली धनराशि अनियमित कर दी है जिससे शिक्षकों, कर्मचारियों की सैलरी समेत मेडिकल बिल आदि पर तो असर पड़ा ही है; साथ ही विद्यार्थियों से जुड़े सभी विकास कार्य एवं सुविधाएँ भी ठप्प पड़ गई हैं। शिक्षकों की माँग है कि महाविद्यालयों को दी जाने वाली राशि में किसी तरह की कटौती न की जाय और छात्रों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ न डाला।
निजीकरण के परिणाम स्वरूप गरीब, आर्थिक रूप से कमजोर और दूरदराज से पढ़ने आने वाले छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय में न तो एडमिशन ले पाएँगे और न ही वर्तमान छात्र अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे। सरकार के इस कदम का शिक्षक लगातार विरोध कर रहे हैं. इसके पूर्व भी कई विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया जा चुका है जिसे मीडिया ने भी समुचित तरीके से कवर किया है। इन सबके बावजूद दिल्ली सरकार तथाकथित एवं अवैध ‘पैटर्न ऑफ असिटेंस’ दस्तावेजों, अवैधानिक लेखाधिकारियों की नियुक्तियों, धनराशि देने में लगातार की जा रही आनाकानी से महाविद्यालयों पर दबाव बनाने और उनके मनमाने फैसलों के आगे झुकाने की कोशिश कर रह रही हृै। शिक्षक-कर्मचारी-छात्र इनका विरोध करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं।
आप सभी इस आंदोलन में सहभागिता एवं समर्थन कर दिल्ली सरकार की विद्यार्थियों की अहितकारी, गरीब विरोधी, तानाशाही और निजीकरण की नीतियों का विरोध करें जिससे आम और कमजोर आर्थिक परिवारों से आने वाले मेधावी विद्यार्थी अपनी पढ़ाई करते रह सकें और उत्कृष्ट शैक्षिक सुविधाएँ उन्हें मिलती रहें। हम आपसे यह भी दरख्वास्त करते हैं कि अपने-अपने माध्यम से दिल्ली सरकार को छात्र विरोधी कार्य करने और गलत नीतियाँ बनाने से रोकें। आपके सहयोग से संभवत: सरकार सही रास्ते पर आए तथा शिक्षकों और छात्रों के खिलाफ काम करने बचे।हम मिलकर ही आने वाले शैक्षिक भविष्य का निर्माण सुनिश्चित करेंगे।
यह भी पढ़े…..कोरोना (Corona) का असर अयोध्या तक, अब भक्तों को चरणामृत नहीं मिलेगा, पढ़ें पूरी खबर