Vishva hindi diwas: हिंदी का विश्व और विश्व की हिंदी: गिरीश्वर मिश्र
हम सब यह देखते हैं कि दैनंदिन जीवन के क्रम में हमारे अनुभव वाचिक कोड बन कर एक ओर स्मृति के हवाले होते रहते हैं तो दूसरी ओर स्मृतियाँ नए-नए … Read More
हम सब यह देखते हैं कि दैनंदिन जीवन के क्रम में हमारे अनुभव वाचिक कोड बन कर एक ओर स्मृति के हवाले होते रहते हैं तो दूसरी ओर स्मृतियाँ नए-नए … Read More
भारतीय संसद के सदनों में उनकी सुदीर्घ उपस्थिति राजनैतिक संवाद और संचार के लिए मानक बन चुकी थी. उनके व्यक्तित्व की बुनावट के ताने-बाने देश और लोक के सरोकारों से … Read More
‘बनारसी’ एक ख़ास तरह की जीवन-दृष्टि और स्वभाव को इंगित करने वाला ‘विशेषण’ भी बन चुका है जो भारत की बहुलता और जटिलता को रूपायित करता है. यहाँ बहुलता के … Read More
इस देश-गान में शस्य-श्यामल, सुखद, और वरद भारत माता की वन्दना की गई है । इस तरह गुलामी के दौर में देश में सब के प्राण बसते थे और देश … Read More
Hindi Language: अक्सर भाषा को संचार और अभिव्यक्ति के एक प्रतीकात्मक माध्यम के रूप ग्रहण किया जाता है. यह स्वाभाविक भी है. हम अपने विचार, सुख-दुख के भाव और दृष्टिकोण … Read More
ऐसे में अब उत्सव और पर्व भी लोक-जीवन में यथार्थ से अधिक आभासी स्तर पर ही ज्यादा जिए जाने लगे हैं. शरद ऋतु भारत में उत्सवों की ऋतु है और … Read More
वैसे तो जिस प्रकार से “हाईकमांड” ने दिल्ली से चक्कर चलाया और एक ही कंकड़ में कुछ पंछी मार दिए तो कुछ को घायल कर दिया। शांत स्वभाव के और … Read More
world mental health day: आदमी ही सक्रिय हो कर उत्पादक कार्यों को पूरा करते हुए न केवल अपने लक्ष्यों की पूर्ति कर पाता है बल्कि समाज और देश की उन्नति … Read More
स्मरणीय है अमेरिकी चिंतन ने यूरोप से अलग दृष्टि स्वीकार की और रूस ने भी स्वायत्त चिंतन की दृष्टि विकसित की. औपनिवेशिक भारत के लिए आत्मान्वेषण की राह बड़ी विकट … Read More
भारत की राष्ट्रीय चेतना को लेकर अक्सर यह विचार सुनने में आता है कि इसका विकास अंग्रेजों द्वारा भारत में लाई गई अंग्रेजी शिक्षा की देन है. यह कहते हुए … Read More