Election Analysis: चुनाव विष्लेषण: न जातपात चला, न पक्षपात
Election Analysis: चारों राज्य में राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा के चुनावी रैली की कोई खास असर नहीं हुई है, तेलंगाना में कांग्रेस की जीत BRS के खिलाफ हुई वोटिंग का नतीजा है।
Election Analysis: पांच राज्यों में से चार राज्य, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की मतगणना हुई जिसमे तीन राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने जितनी सीटें जीत लिया। लिख रहा हूँ तब तक मध्यप्रदेश में 160, राजस्थान में 110 और और छत्तीसगढ़ में 50 के पार सीटों पर जित या बढ़त हांसिल कर 2024 का परिणाम लगभग तय कर लिया है। (शाम तक आंकड़े फ़ाइनल होंगे) 2024 लोकसभा चुनाव को ज्यादा से ज्यादा 5 महीने का वक्त है और इतने कम समय में लोगों के दिमाग से मोदी को नामशेष करना किसी भी विपक्षी नेता के बस की बात नहीं है। खेर, भारतीय जनता पार्टी की जीत के कुछ प्रमुख कारणों में से एक है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिनके दम पर भाजपा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को पटखनी देने में कामयाब रही है। मध्यप्रदेश में मामा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मोदी मैजिक ऐसा चला है जैसे कोई बुलडोज़र; कांग्रेस 230 सीटों में 65 सीटों के आसपास ही पहुँच पाई है। जब की राजस्थान में 199 में से 70 और छत्तीसगढ़ में 34 सीटें जितने में सफल हो सकती है लेकिन सत्ता टिकाने और कब्जाने में असफल ही रहेगी। तेलंगाना में भी भाजपा ने अपना वोटशेर बढ़ाया ही है।
चारों राज्य में राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा के चुनावी रैली की कोई खास असर नहीं हुई है, तेलंगाना में कांग्रेस की जीत BRS के खिलाफ हुई वोटिंग का नतीजा है। ये चुनावी नतीजे ने ये साफ़ कर दिया है की अब देश के वोटर्स (मतदाता) जागृत हो चूका है, उसे अब जातपात लुभा नहीं सकता। याद रहें राहुल गाँधी और कांग्रेस ने जाति आधारित जनगणना की प्रक्रिया शुरू करने का वादा किया था। जातपात के साथ साथ मतदाताने पक्षपात को भी नकार दिया है, भाजपा की मध्यप्रदेश में प्रचंड जीत में मुस्लिम वोटर्स का भी बड़ा योगदान होगा ही। AIMIM 6-7 सीट पर जीत हांसिल करती नजर आ रही है लेकिन पार्टी पुरे राज्य में सिर्फ 1.67% वोट ही मिले है, जब की भाजपा को करीब करीब 14% वोट मिले है। मुस्लिम तुष्टीकरण निति को मुसलमानोने भी नकार दिया है। किरदार वही, कहानी वही, परिणाम भी वही – राहुल गाँधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के पहले अनिल अंबानी को टारगेट करने की निति अपनाई थी और अब गौतम अदानी को टारगेट करने की निति अपनाई है। पांच राज्यों की चुनावी रैली में बिजली, डीज़ल, पेट्रोल इत्यादि को अदानी की जेब से ऐसे जोड़ दिया जैसे देश के सभी संसाधनों के मालिक गौतम अदानी ही हो। लेकिन वो भूल गए की अब लोगों को भ्रमित करना इतना आसान नहीं है, और यही बात बूमरेंग साबित हुई है।
राहुल गाँधी ये भूल जाते है की अदानी ने जो कुछ कमाया है, जो कुछ कमाई कर रहे है वो बिज़नेस करके कर रहे है, उतना ही नहीं वो लाखों लोगों को रोजीरोटी भी दे रहे है। विदेशी एजेंसिओं की मदद से अदानी को बदनाम करने की साजिश भी फ़ैल हो गई है। उम्मीद है अब राहुल गाँधी आगे देश के उद्योगपति को टारगेट करना छोड़ देंगे, इसी में उनकी भी भलाई है।
सनातन धर्म, हिंदु और हिंदुत्व एक ही है, अलग नहीं है – कांग्रेस का चुनाव के वक्त मंदिर टूरिज़म भी लोगों को आकर्षित नहीं कर रहा। प्रभु श्री राम के अस्तित्व को ही नकार देने वाली, श्री राम को ही काल्पनिक बताने वाली, एफिडेविट भी कांग्रेस के लिए बार बार मुश्किल खड़ा कर दे रही है। कोंग्रेसी नेतागिरी उनको चुप कराने में असफल रहे है जो बार बार सनातन धर्म के खिलाफ बोल रहे है। वास्तव में राहुल गाँधी भी सनातन धर्म, हिंदु और हिंदुत्व को अलग परिभाषित कर के हिंदुओ में फुट डालने की कोशिश करते रहते है जिनका जवाब ये चुनाव में जनता ने दे दिया है, इस चुनाव में हिंदु एकजुट रहे और चुनावी टेम्पल टूरिज़म को रिजेक्ट कर दिया।
रेवड़ी कल्चर के खिलाफ वोटिंग – पिछले कुछ समय से, जब से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में मुफ्त की रेवड़ी बाँट कर जीत हांसिल की, उसी फॉर्म्युला को अपनाते हुए पंजाब में ‘आप’ और कर्णाटक में ‘कांग्रेस’ ने फ्री की च्युइंग गम बाँटते हुए सफलता प्राप्त की; इसके चलते हर चुनाव में रेवड़ी कल्चर के वादे किए जा रहे थे लेकिन गुजरात के बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की जनता ने भी इस बार फ्री की रेवड़ी से ज्यादा, विकास की राष्ट्रनीति में विश्वास जताया है।
नरेन्द्र मोदी को पनौती कहना, मोबाईल फोन मेनुफेक्चरिंग मामले में चाइना की वाहवाही करना और भारत की उपलब्धि को नजरअंदाज करना भी राहुल गाँधी – कांग्रेस को भारी पड़ा है।
अब क्या होगा ? I N D I अलायंस में कांग्रेस और राहुल गाँधी की दावेदारी कमजोर होगी। सिर्फ तेलंगाना की जीत पर कांग्रेस मनमानी नहीं कर सकती। वास्तव में I N D I अलायंस छोड़ देने में ही कांग्रेस की भलाई है। ये गठबंधन से कांग्रेस को लाभ से ज्यादा घाटा ही है, अगर कांग्रेस ये गठबंधन के साथ 2024 चुनाव लड़ने जा रही है तो पूरी संभावना है की 50 सीटों तक भी नहीं पहुंच पाए।