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World’s highest road: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का उद्घाटन, जानें इसके बारे में 6 बड़ी बातेें

World’s highest road: यह चीन के साथ सटे सरहदी इलाकों में सैन्य वाहनों की आसान आवाजाही में मदद करेगा

नई दिल्ली, 29 दिसंबरः World’s highest road: दुनिया की सबसे ऊंची मोटर चलाने वाली सड़क (World’s highest road) चिसुमले-डेमचोक का रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन कर दिया हैं। दक्षिणी लद्दाख में स्थित, चिसुमले-डेमचोक सड़क खासतौर पर महत्वपूर्ण हैं।

सूत्रों के मुताबिक यह चीन के साथ सटे सरहदी इलाकों में सैन्य वाहनों की आसान आवाजाही में मदद करेगा। चिसुमले-डेमचोक को इंजीनियरिंग के चमत्कार के रूप में जाना जाता है क्योंकि इतनी ऊंचाई पर सड़क का निर्माण करने पर कई महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश आती हैं। हम आपको बताते हैं चिसुमले-डेमचोक सड़क की 6 खास बातें…

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल

दुनिया की सबसे ऊंची सड़क (World’s highest road) जिस पर मोटर वाहन चलाए जा सकते हैं, अब पूर्वी लद्दाध में उमलिंग ला दर्रे पर 19,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। इस सड़क का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया हैं। इस ऊंचे पहाड़ी दर्रे से होते हुए बीआरओ ने 52 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क बनाई हैं।

इसका रिकॉर्ड तोड़ा

उमलिंग ला दर्रा ने अब बोलीविया में स्थित 18,953 फीट के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया हैं। बोलीविया में पिछली सबसे ऊंची सड़क उटुरुंकु नामक ज्वालामुखी से जुड़ती हैं।

माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप से भी ऊंचा

इस सड़क (World’s highest road) की वास्तविक स्थिति को ऐसे समझ सकते हैं कि यह माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप से भी ऊंचा हैं। तिब्बत में उत्तरी बेस 16,900 फीट की ऊंचाई पर है, जबकि नेपाल में दक्षिण बेस कैंप 17,598 फीट पर स्थित है। माउंट एवरेस्ट का शिखर 29,000 फीट से थोड़ा ज्यादा ऊंचा हैं।

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बीआरओ का हौसला

सीमा सड़क संगठन के कोशिशों की बदौलत भारत अब दुनिया की सबसे ऊंची मोटर वाहन चलाने योग्य सड़क (World’s highest road) का दावा कर सकता हैं। बीआरओ भारतीय सशस्त्र बल की सड़क बनाने वाली एजेंसी हैं। बीआरओ को भारत की उत्तरी सीमाओं के साथ सबसे दुर्गम इलाकों में सड़कें बनाने में विशेषज्ञता हासिल है।

ड्राइवरों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण

उमलिंग ला दर्रा मशहूर खारदुंग ला दर्रे की तुलना में ड्राइवरों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस दर्रे का तापमान भीषण सर्दियों के मौसम में माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता हैं। साथ ही, इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर सामान्य स्थानों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत कम हैं।

स्थानीय आबादी के लिए वरदान

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह स्थानीय आबादी के लिए वरदान साबित होगा क्योंकि यह लेह से चिसुमले और डेमचोक को जोड़ने वाला एक वैकल्पिक सीधा रास्ता बन गया हैं। यह सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा और लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देगा।

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