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उत्तराखंड (Uttarakhand) में इससे पहले भी आ चुका है तबाही का मंजर, पढ़े पूरी खबर

मां गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखंड इस समय आपदा का सामना कर रहा है। ग्लेशियर टूटने से वहां नदी का जलस्तर बढ़ गया है। मैं उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भारत सरकार के गृह मंत्री से लगातार संपर्क में हूं: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,


नई दिल्‍ली, 07 फरवरी: उत्तराखंड (Uttarakhand) में आज जोशीमठ में हुए हादसे में 10 से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 100 से भी ज्यादा लोग लापता हैं। बता दें कि इस इलाके में आये दिन हादसे होते रहते है। एक तबाही के निशान खत्म होते ही नही वहीं दूसरी आ जाती है। गत तीन दशकों में हुई घटनाओं का सिलसिला यहाँ प्रस्तुत है।

यहाँ (Uttarakhand) उत्तरकाशी में 1991 में 6.8 की तीव्रता वाला भूंकप आया था। जिसमें 768 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों घर तबाह हो गये थे। वहीं 1998 में पिथौरागढ़ जिले का माल्पा गाँव भूस्खलन के चलते बर्बाद हो गया था। इस हादसे में 55 यात्रियों सहित 255 लोगों की मौत हो गई थी। भूस्खलन के मलबे में शारदा नदी भी बाधित हो गयी थी।

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वहीं 1999 में (Uttarakhand) चमोली जिले मे आए भूकंप में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। पड़ोसी जिले रुद्रप्रयाग में काफी नुकसान हुआ था। भूकंप के कारण सड़के भी टूट गई थी। इसी दौरान 2013 में उत्तर भारत में बाढ़ के समय जून में एक ही दिन बादल फटने से कई घटनाएं हुई।

राज्य सरकार के आंकलन के मुताबिक 5700 से भी अधिक लोग इस घटना में अपनी जान गंवा बैठे थे। सड़कों एवं पुलों के टूट जाने के कारण चार धाम को जानेवाली घाटियों में तीन लाख से भी अधिक लोग फंस गये थे।

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