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International tiger day 2022: क्यों मनाया जाता है विश्व बाघ दिवस, जानें भारत में टाइगर्स की क्या है स्थिति

International tiger day 2022: विश्व में बाघ दिवस मनाने की शुरुआत साल 2010 में हुई थी

नई दिल्ली, 29 जुलाईः International tiger day 2022: पूरे विश्व में आज बाघ अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा हैं। लोगों में बाघों के संरक्षण और उनकी विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2010 में हुई थी। इस साल रूस के पीटर्सबर्ग में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में हर साल की 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था।

इस इंटरनेशनल समिट में बाघों की आबादी वाले 13 देशों ने हिस्सा लिया था। सभी ने बाघों की संख्या को 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा था। भारत ने इस टारगेट को 2018 में ही हासिल कर लिया था। 2018 में भारत में बाघों की संख्या 2967 से ज्यादा हो चुकी थी। World Wildlife Fund के अनुसार पिछले 150 सालों में बाघों की आबादी में लगभग 95 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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आज के दिन बाधों के संरक्षण से संबंधित सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। ताकि लोगों में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां दी जाएं। इसके अलावा उन संगठनों को दान भी दिया जाता है जो बाघों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। पिछले साल इंटरनेशनल टाइगर दिवस की थीम थी – “Their survival is in our hands.” इस साल थीम की घोषणा नहीं की गई।

भारत में तीन साल में इतने बाघों की हुई मौत

सरकार ने बताया भारत में पिछले तीन साल में 329 बाघों की मौत शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से हो गयी। केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने 26 जुलाई को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2019 में 96 बाघों की मौत हो गयी, 2020 में 106 तथा 2021 में 127 बाघ मारे गये।

अश्विनी कुमार के अनुसार इनमें 68 बाघ प्राकृतिक कारणों से, पांच अप्राकृतिक कारणों से और 29 बाघ शिकारियों के हमलों में मारे गये। मंत्री के जवाब में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार शिकार के मामलों की संख्या में कमी आई है जो 2019 में 17 से 2021 में घटकर चार रह गयी है। आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में बाघों के हमलों में 125 लोग मारे गये जिनमें 61 महाराष्ट्र में और 25 उत्तर प्रदेश में मारे गए।

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