High court judgement:हाईकोर्ट का फैसलाः 18 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़की किसी से भी कर सकती है शादी

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चंदीगढ़, 11 फरवरी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (High court judgement) ने फैसला किया है कि 18 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़की अपनी मर्जी से किसी भी लड़के के साथ शादी कर सकती है। उसके परिवार के लोग कानूनन इसमें दखलअंदाजी नहीं कर सकते। जस्टिस अलका सरीन ने मुस्लिम धार्मिक पुस्तक के आर्टिकल-195 के आधार पर यह फैसला दिया है।

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यह फैसला मोहाली के एक मुस्लिम जोड़े के याचिका दायर करने पर दिया है। मोहाली के एक प्रेमी मुस्लिम जोड़े ने याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था 36 साल के युवक और 17 साल की मुस्लिम लड़की को एक दूसरे से प्रेम हो गया था। इन्होंने 21 जनवरी को मुस्लिम रीति-रिवाज से निकाह कर लिया था। दोनों की यह पहली शादी थी। परिवार के लोग इस शादी से खुश नहीं थे। परिवार से दोनों को धमकियाँ मिल रही थी।

जिससे दोनों ने अदालत में याचिका दायर की। परिवार ने तर्क दिया कि लड़की नाबालिक है। इसलिए यह निकाह अवैध है। लेकिन दूसरे पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि मुस्लिम पर्सनल ला के तहत 15 साल की मुस्लिम लड़का और लड़की दोनों शादी कर सकते हैं।

इस मामले पर अपना फैसला देते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (High court judgement) ने सर डी फरदुनजी मुल्ला की किताब प्रिसिपल्स ऑफ मोहम्मदन लॉ का हवाला दिया। अदालत ने कहा मुस्लिम लड़का और लड़की अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से विवाह के लिए स्वतंत्र है। उन्हें किसी से अनुमति की जरूरत नहीं है। यह मुस्लिम पर्सनल ला द्वारा ही तय किया गया है।

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