Counterfeit drugs identified: अब नकली दवाइयों की हो सकेगी पहचान! सरकार ने बनाई यह खास योजना…

Counterfeit drugs identified: सरकार ने नकली और घटिया दवाओं की पहचान के लिए ट्रैक एंड ट्रेस व्यवस्था शुरू करने का प्लान बनाया

नई दिल्ली, 04 अक्टूबरः Counterfeit drugs identified: जब किसी व्यक्ति को बुखार, सर्दी, खासी इत्यादि समस्याएं हों तो वो इससे निजात पाने के लिए दवाइयां खाता हैं। कई बार इन्हीं दवाइयों को खाकर उन्हें साइडइफेक्ट्स होते हैं। ऐसे में लोगों के दिमाग में यह सवाल घूमने लगते हैं कि क्या यह दवाई नकली तो नहीं। किंतु अब इन सवालों का जवाब मिल जाएगा। आइए जानें कैसे….

जानकारी के अनुसार अब ग्राहक जल्द ही यह जांच कर पाएंगे कि जिस दवा को उन्होंने खरीदा हैै, वह सुरक्षित है और नकली तो नहीं। दरअसल मोदी सरकार ने नकली और घटिया दवाओं के उपयोग को रोकने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं के लिए ट्रैक एंड ट्रेस व्यवस्था शुरू करने का प्लान बनाया हैं।

इसके तहत पहले चरण में दवा कंपनियां सबसे अधिक बिकने वाली 300 दवाओं की प्राथमिक उत्पाद पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड प्रिंट करेंगी या चिपकाएंगी। प्राथमिक उत्पाद पैकेजिंग में बोतल, कैन, जार या ट्यूब शामिल है, जिसमें बिक्री के लिए दवाएं होती हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबरों के मुताबिक इसमें 100 रुपयेे प्रति स्ट्रिप से अधिक की कीमत वाली बड़ी संख्या में बिकने वाली एंटीबायोटिक्स, कार्डिएक, दर्द निवारक गोलियां और एंटी-एलर्जी दवाओं के शामिल होने की उम्मीद हैं। एक बार सरकार के उपाय और जरूरी सॉफ्टवेयर लागू होने के बाद उपभोक्ता मंत्रालय के एक पोर्टल पर यूनिक आईडी कोड फीड करके कंज्यूमर दवा की असलियत की जांच कर सकेंगे। वे बाद में इसे मोबाइल फोन या टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी ट्रैक कर सकेंगे।

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