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Independence Day 2023: हम भारतीयों की स्वतंत्रता….

Independence Day 2023 !!स्वतंत्रता!!

Mohit Kumar Upadhyay
लेखकः मोहित कुमार उपाध्याय

Independence Day 2023: भारत के संदर्भ में स्वतंत्रता का अर्थ केवल राजनीतिक स्वतंत्रता मात्र से नहीं है। असल मायनों में भारतीय स्वतंत्रता ने अपने आप में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं नागरिक स्वतंत्रता समेत उन सभी स्वतंत्रता को समाहित किया हुआ है जो प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में न केवल सहायक साबित होती है वरन् आवश्यक भी है। भारत की स्वतंत्रता किसी एक क्रांति की देन नहीं है।

भारत की स्वतंत्रता नागरिक आंदोलन से उपजी है जिसमें साधारण किसान एवं मजदूर से लेकर समाज के हरेक तबके का योगदान रहा है। तत्कालीन समाज के हरेक वर्ग ने स्वतंत्रता रूपी यज्ञ में किसी न किसी प्रकार से आहुति प्रदान की इसलिए स्वतंत्रता समस्त भारतवासियों की विजय का प्रतीक है। स्वतंत्रता भारतीयों के साहस का परिणाम है।

स्वतंत्रता समस्त भारतीयों की लग्न, मेहनत एवं धैर्य का प्रतीक है। भारत की स्वतंत्रता सामाजिक क्रांति से उत्पन्न होकर राजनीतिक स्वतंत्रता के रूप में परिणत हुई है इसलिए भारत की स्वतंत्रता ने न केवल स्थिरता प्राप्त की बल्कि अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से उन्नति पथ पर अग्रसर भी है। कोई भी देश बिना सामाजिक सुधार के अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित नहीं रख सकता है।

इस संदर्भ में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेतृत्वकर्ता बधाई के पात्र है कि उन्होंने समाज सुधार की दिशा में ऐसा कार्य किया जिससे एक ओर जहां स्वतंत्रता आंदोलन को गति प्राप्त हुई वहीं दूसरी ओर सामाजिक प्रगति में बाधक तत्वों का उन्मूलन कर राष्ट्रीय एकता की स्थापना की। भारत में विभिन्न धर्म, पंथ, जाति, संस्कृति, परंपरा इत्यादि को मानने वाले लोग रहते है। इसके अलावा भारत में भौगोलिक एवं जलवायुवीय विविधता भी पायी जाती है।

इस विविधता को एकता के सूत्र में पिरोना कोई आसान कार्य नहीं था परंतु भारतीय लोगों की विविधता में एकता की भावना ने आपसी मेल-जोल को बढ़ाने का कार्य किया जो आज भी लगातार जारी है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायक महात्मा गांधी ने देश को एकजुट करने एवं राष्ट्रीय गौरव की भावना हरेक भारतीय में उत्पन्न करने में उल्लेखनीय कार्य किया।

गांधीजी का कार्य इसलिए प्रशंसनीय है क्योंकि उन्होंने आम भारतीय के अंदर से ब्रिटिश हुकूमत का डर निकालकर उनके मन में देश की आजादी के लिए साहस भर दिया जिससे ब्रिटिश हुकूमत का भारत पर शासन करना मुश्किल हो गया और एक दिन ऐसा आया कि उन्हें अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर भारत का शासन भारतीयों को सौंपकर अपने देश जाना पड़ा।

ब्रिटिश हुकूमत ने भारतीयों के मन में यह भावना भर दी थी कि हम भारतीयों में अपना शासन संचालित करने की क्षमता नहीं है इसलिए ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन दैवीय शक्तियों के आदेश पर भारतीयों पर राज कर उनका भाग्य निर्माण करने आया है। गांधीजी ने भारतीयों को इस औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त कराकर उनके मन में भारतीयता की भावना उत्पन्न की और स्वशासन के लिए भारतीय अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हो गए जिसका परिणाम पूरी दुनिया के सम्मुख है।

गांधीजी ने विश्व को संदेश दिया कि आजादी बिना रक्त बहाए भी प्राप्त की जा सकती है बशर्ते आप निस्वार्थ एवं दृढ़ निश्चयी हो। सत्य एवं अहिंसा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दो मूलाधार थे। चाहे कितनी भी विकट स्थिति क्यों न हो गांधीजी ने सत्य एवं अहिंसा का साथ कभी नहीं छोड़ा। यही कारण है कि आज पूरी दुनिया उनको सम्मान की नजरों से देखती है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने गांधीजी को “अर्धनंगा फकीर” कहा था परंतु यह कितना गर्व करने योग्य है कि चर्चिल केवल अपने देश के इतिहास में सिमट गया परंतु “अर्धनंगा फकीर” विश्व के भविष्य की आवश्यकता एवं मार्गदर्शक।

आज उसी चर्चिल के देश के नागरिक गांधीजी से प्रेरणा लेते है। आज हमें आवश्यकता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जिन लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया है, उन सभी का सम्मान करें और उनसे प्रेरणा लेते हुए इस स्वतंत्रता को सहेजकर उन्नति पथ पर अग्रसर बनें। आज हमें आवश्यकता है कि “विविधता में एकता” की मिसाल कायम करते हुए विश्व को एक नई दिशा प्रदान करें।

आपसी मजहबी झगड़ों में उलझकर देश और स्वयं को कमजोर न करने के बजाय धार्मिक सद्भाव और आपसी मेल-जोल के साथ आगे बढ़कर एक मजबूत भारत के निर्माण में अपना योगदान दे। उस भारत के निर्माण में जिसकी कल्पना गांधीजी ने की थी। गांधीजी ने कहा कि कि मैं ऐसे भारत का निर्माण करना चाहता हूं जहां गरीब से गरीब व्यक्ति भी यह अनुभव करें कि यह उसका अपना भारत है जिसके निर्माण में उसका भी योगदान है, जहां पुरुष और महिला के बीच भेद न हो।

इस प्रकार गांधीजी एक खुशहाल भारत का निर्माण करना चाहते थे। गांधीजी का सपना हरेक आंख से हरेक आंसू पोंछने का था। स्वतंत्रता प्राप्ति के शुभ अवसर पर 14-15 अगस्त, 1947 की अर्द्ध-रात्रि में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी पं. जवाहरलाल नेहरू ने अपने संबोधन “नियति से साक्षात्कार” में कहा था कि “भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना।

हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति (गांधीजी) की यही इच्छा है कि हर आँख से आंसू मिटे। संभवतः ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों की आंखों में आंसू हैं, तब तक हमारा कार्य समाप्त नहीं होगा। आज एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जागृत और स्वतंत्र है। भविष्य हमें बुला रहा है।

हमें कहाँ जाना चाहिए और हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम निर्धनता मिटा, एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश बना सकें। हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बना सकें जो प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके? कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं।”

आशा है कि हम समस्त भारतीय आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुटता के साथ एक निश्चित पथ पर उन्नति करते हुए आगे बढ़ेंगे जिससे हम गांधी एवं नेहरू के सपनों के भारत का निर्माण कर सकें।

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