Plastic Free India Campaign

Plastic Free India Campaign: ग्रीन ग्रोथ की दिशा में आगे बढ़ता गुजरात, अब प्लास्टिक कचरे के बदले में मिलेंगे पैसे

Plastic Free India Campaign: महुवा नगर पालिका का नवीन प्रयोगः प्लास्टिक जमा करिए, बदले में पैसा लीजिएः 1 किलो प्लास्टिक के 10 रुपए और 1 किलो प्लास्टिक बोतल के 23 रुपए

गांधीनगर, 04 जुलाईः Plastic Free India Campaign: औद्योगिक कुशलता और आर्थिक विकास के लिए दुनियाभर में जाना जाने वाला गुजरात, अब ग्रीन ग्रोथ यानी हरित विकास की दिशा में भी छलांग लगा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात ने पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के विजन के साथ, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में विभिन्न पहलें कार्यान्वित की हैं। गुजरात नवीकरणीय ऊर्जा, विशेषकर सौर एवं पवन ऊर्जा के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरकर सामने आया है।

सोलर पार्क का निर्माण कर और रूफटॉप इंस्टॉलेशन को घर-घर तक पहुंचाकर, राज्य की सौर क्षमता का भरपूर उपयोग किया गया है। चारणका सोलर पार्क जैसी परियोजना की सफलता ने गुजरात को भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर पहुंचाया है। इसके अलावा, तटीय क्षेत्रों में स्थापित किए गए विंड फार्म ने राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

ग्रीन ग्रोथ की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट भी एक महत्वपूर्ण पहलु है। गुजरात ने प्लास्टिक कचरे का समाधान लाने की आवश्यकता को पहचाना है और प्लास्टिक प्रबंधन को प्रोत्साहन देने और उसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए कई पहल क्रियान्वित की हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध से लेकर प्लास्टिक वेस्ट कलेक्शन और रीसाइक्लिंग के संदर्भ में नीति विषयक निर्णयों के साथ अब राज्य में अलग-अलग जिलों में प्लास्टिक कचरे के निस्तारण और जनजागरूकता पैदा करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं।

महुवा नगर पालिका का नवीन प्रयोगः प्लास्टिक जमा करिए, बदले में पैसा लीजिएः 1 किलो प्लास्टिक के 10 रुपए और 1 किलो प्लास्टिक बोतल के 23 रुपए

भावनगर जिले में महुवा नगर पालिका ने पिडिलाइट इंडस्ट्रीज के सहयोग से एक अनोखा अभियान शुरू किया है। यहां आप प्लास्टिक की बैग, बोतल या दूध-छाछ की थैली आदि कचरा जमा कराते हैं तो बदले में आपको पैसा मिलता है! 1 किलो प्लास्टिक का 10 रुपए और 1 किलो प्लास्टिक की पानी की बोतल के 23 रुपए के अलावा लोग यहां 1 किलो प्लास्टिक के बदले 2 किलो खाद भी प्राप्त कर सकते हैं।

महुवा को प्लास्टिक मुक्त बनाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू किया गया है। इसके लिए नगर पालिका क्षेत्र के 9 वार्डों में 14 प्लास्टिक कलेक्शन सेंटर खोले गए हैं। नागरिक इन सेंटरों पर खुशी-खुसी कचरा जमा कराने भी पहुंच रहे हैं। कंपनी और नगर पालिका ने संयुक्त रूप से पूरे शहर से एकत्र किए गए प्लास्टिक वेस्ट की रीसाइक्लिंग का प्लांट भी स्थापित किया है। इस प्लांट में एकत्रित प्लास्टिक वेस्ट का पृथक्करण किया जाता है।

वहीं, कच्छ में एक अशिक्षित श्रमिक महिला ने 60 अन्य महिलाओं को साथ लेकर कच्छ के हरेक गांव से सटे बाहरी क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त करने की मुहिम शुरू की है। भुज तहसील के अवधनगर गांव की कुलदेवी कृपा सखी मंडल की महिलाएं और उनकी साथ जुड़ीं कच्छ के अन्य गांवों की महिलाएं घर-घर जाकर वेस्ट पॉलिथीन एकत्र करती हैं, और उससे बुनाई के जरिए नई-नई वस्तुएं बनाकर रोजगार पा रही हैं।

ये महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने का काम भी कर रही हैं। इस मुहिम में हर दिन अधिक से अधिक महिलाएं शामिल हो रही हैं। इस सखी मंडल की अध्यक्ष राजीबेन वणकर हैं, जो अन्य महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं। अभी 60 महिलाएं उनके साथ शामिल हैं। महिलाओं को प्लास्टिक एकत्र कर उसकी कटिंग करने और उसे धोने के लिए पारिश्रमिक दिया जाता है।

प्लास्टिक बीनने वाली महिलाओं को भी प्रति किलो 15 रुपए दिए जाते हैं। कुछ महिलाएं कढ़ाई-बुनाई कार्य कर वस्त्र बनाने का काम करती हैं। वे पर्स, थैला, हैंड पर्स, वॉलेट, चश्मा कवर, ट्रे, फोल्डर और लैपटॉप बैग जैसी वस्तुएं बनाती हैं। प्रत्येक महिला को उसके कार्य के अनुसार पारिश्रमिक दिया जाता है।

राजीबेन कहती हैं, “सरकार की ओर से दी जाने वाली आर्थिक एवं मार्केटिंग सहित अन्य सहायता के कारण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का आत्मबल मिलता है।” बायोडिग्रेडेबल और प्लास्टिक वेस्ट के क्षेत्र में राजीबेन के कार्य को देखते हुए हाल ही में उन्हें नई दिल्ली में राष्ट्रपति अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

गुजरात में पर्यावरण के संरक्षण और ग्रीन ग्रोथ के लिए इस तरह के अभियान महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। राजकोट की बात करें, तो धोराजी तहसील प्लास्टिक को रीसाइकल करने के मामले में राज्य भर में सबसे आगे है। पूरे गुजरात में प्लास्टिक रीसाइकल का सबसे बड़ा क्लस्टर एकमात्र धोराजी में है।

वर्तमान में धोराजी तहसील में 450 से अधिक कारखाने प्लास्टिक के कचरे को रीसाइकल कर रस्सी, बॉक्स पट्टी, पाइप और सुतली सहित कई तरह की चीजें बना रहे हैं। इतना ही नहीं, इन चीजों का अमेरिका, बांग्लादेश और अफ्रीकी देशों में निर्यात भी किया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्लास्टिक मुक्त भारत के स्वप्न को साकार करने की दिशा में गुजरात में चल रहे इस तरह के अभियान एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। हरित वृद्धि के क्षेत्र में गुजरात के उल्लेखनीय निर्णय सतत विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

जैसे-जैसे गुजरात ग्रीन ग्रोथ की ओर आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इस दिशा में राज्य के प्रयास अन्य प्रदेशों के लिए प्रेरक मॉडल के रूप में स्थापित हो रहे हैं। कहना न होगा कि आने वाले समय में गुजरात की ग्रीन ग्रोथ स्टोरी अन्य राज्यों के लिए एक रोडमैप के रूप में स्थापित होगी।

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