Meeting For Varanasi River

Varanasi river story: काशी की दो पौराणिक नदियों की उपेक्षा पर एनजीटी के तेवर कड़े

Varanasi river story: एनजीटी के आदेश के अनुपालन में कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी- एस.राजलिंगम

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 30 मार्च: Varanasi river story: प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी की दो पौराणिक नदियाँ प्रदूषण की दर्द से कराह रही हैँ। इन दोनों नदियों की दुर्दशा पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन जी टी) ने एक जनहित याचिका को संज्ञान में लेकर, कड़े तेवर दिखाये हैं। एन जी टी के आदेश के अनुपालन हेतु जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने संबंधित विभागों की चूड़ी टाइट करते हुए, एक माह में प्रगति की रिपोर्ट तलब की है।

जिलाधिकारी की शख्ती से नगर निगम, प्रदूषण कंट्रोल विभाग, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, वाराणसी विकास प्राधिकरण और सिंचाई विभाग में खलबली मच गई है। बताते चले कि काशी में दो पौराणिक नदियाँ गंगा में संगम करती हैं।

उत्तरी छोड़ पर वरुणा नदी और दक्षिणी छोड़ पर असि नदी गंगा में मिलती हैं। इसीलिए वरुणा + असि को वाराणसी कहा जाता है। एक तरफ जहाँ असि (अस्सी) नदी शहर का सीवर और कचरा ढ़ोते ढ़ोते नाला में तब्दील हो चुकी है, वहीं वरुणा नदी भी धीरे-धीरे नाले में तब्दील हो रही है।

दुर्भाग्य से असि नदी ने 1986 में अपना अस्तित्व भी खो दिया। यह अभागी नदी अब नगवा नाले के रूप में जानी जाती है। गंगा एक्शन प्लान के प्रथम चरण में, अस्सी घाट पर गंगा में संगम करने वाली, असि नदी को डाइवर्ट करके, नगवा मोहल्ले के रास्ते गंगा में मिला दिया गया।

ASI River
अस्सी घाट…यहीं पर 1986 के पूर्व असि नदी का होता था गंगा में संगम। इसीलिए इस क्षेत्र को पुराणों में असि संगमेश्वर कहा गया है।

वरुणा और असि का संगम अब वरुणा और नगवा का संगम बन चुका है। इस कारण अब वाराणसी के नाम पर भी संकट आ गया है। क्या वरुणा + असि = वाराणसी को अब… वरुणा + नगवा= वारानगवा के नाम से जाना जायेगा …..?

एन जी टी के आदेश के अनुपालन हेतु जिलाधिकारी एस.राजलिंगम द्वारा कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में गंगा नदी की सहायक नदियों वरुणा एवं असि (अस्सी) नदी की बहाली एवं कायाकल्प किए जाने से संबंधित अति गंभीर बैठक की समीक्षा की गई। यह समीक्षा NGT द्वारा आये 128/2021 सौरभ तिवारी बनाम यूनियन आफ इंडिया व अन्य में पारित आदेश 23-11-2021 के अनुपालन में, निष्पादन समिति की बैठक के क्रम में संपन्न हुई।

बैठक में जिलाधिकारी ने सख्त निर्देश दिए कि 1 माह में सभी संबंधित विभाग एनजीटी द्वारा पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें। अन्यथा लापरवाही बरतने वाले विभाग कड़ी कार्यवाही के लिए तैयार रहें। सिंचाई विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि CEMDE से तत्काल सर्वेक्षण कराकर सीडब्ल्यूएस एवं बायो डायवर्सिटी पार्क की डिटेल डिजाइन ड्राइंग प्राप्त कर माह अप्रैल तक कार्यवाही पूर्ण कराएं।

गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए 80 एमएलडी एवं 140 एमएलडी क्षमता के एसटीपी दीनापुर एवं 8 एमएलडी भगवानपुर के एसटीपी का तत्काल डीपीआर तैयार करा कर, एनएमसीजी को स्वीकृति हेतु प्रेषित करने का निर्देश दिया।

इसी प्रकार बीएलडब्ल्यू में स्थापित 12 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के उच्चीकरण की कार्यवाही हेतु निर्देशित किया। जिलाधिकारी ने वरुणा और असि (अस्सी) नदी पर अतिक्रमण के हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण, नगर निगम, सिंचाई तथा संबंधित उप जिलाधिकारी व अपर नगर मजिस्ट्रेट की गठित टीम को 15 दिन का समय देते हुए आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

डीएम ने वरुणा नदी में निस्तारित होने वाले नालों को तत्काल ठीक करा कर नगर निगम को हस्तगत करने का निर्देश दिया। इसके अलावा डिसिल्टिंग के पश्चात बनने वाले बंधों पर वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण करा कर संरक्षण किए जाने का भी निर्देश दिया। बैठक में एडीएम सिटी गुलाब चंद, पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी डॉक्टर पी सी शुक्ला सहित अभी संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।

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