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Varanasi flood latest update: बाबा काशी विश्वनाथ धाम को स्पर्श करके घटने लगी गंगा

  • 2 सितम्बर को लोलार्क छठ के स्नान पर्व को सकुशल संपन्न कराना चुनौती है जिला प्रशासन के लिए

Varanasi flood latest update: तीन सेमी प्रति घंटे की रफ़्तार से काशी में घट रही हैँ गंगा

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 31 अगस्त: Varanasi flood latest update: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में गंगा का जलस्तर भोर से घटना शुरू हो गया है। फिलहाल तीन सेमी प्रति घंटे की रफ़्तार से घट रहा है गंगा का जल स्तर। बुधवार सुबह 11 बजे तक गंगा के जलस्तर में लगभग 70 सेमी की कमी हुई है। परन्तु अभी भी गंगा खतरे के निशान से उपर बह रही हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घटने की रफ़्तार में क्रमशः बृद्धि हो रही है और शाम 5 बजे के बाद, घटने की रफ़्तार 4-6 सेमी प्रति घंटे की हो सकती है। प्रधानमंत्री द्वारा भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद, माँ गंगा ने भी पहली बार बाबा के चौखट पर अपना शीश नवाया। बाबा विश्वनाथ धाम के पूर्वी द्वार के रास्ते माँ गंगा बाबा विश्वनाथ धाम के दहलीज तक पहुँच गई।

माँ गंगा इतिहास में पहली बार बाबा के द्वार तक पहुंची। बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के पूर्व, बाबा विश्वनाथ मंदिर के इतने नज़दीक कभी नहीं पहुंची थी गंगा। कॉरिडोर बनने से ना केवल बाबा विश्वनाथ धाम की भव्यता में चार चाँद लगा, वहीं दूसरी ओर बाबा विश्वनाथ और माँ गंगा के मध्य पड़ने वाले सभी अवरोध भी साफ हो गये। नतीज़तन गंगा घाट द्वार से बाबा विश्वनाथ को जलाभिषेक करना भी बहुत सुलभ हो गया।

वर्तमान में गंगा का जल स्तर घट कर 71. 400 मीटर से नीचे पहुंच गया है। घटने का क्रम 3 सेमी प्रति घंटे की दर से लगातार जारी है। उम्मीद की जा रही है घटने का वर्तमान दर शाम तक 4-6 सेमी प्रति घंटे तक पहुंच सकता है। परन्तु अभी भी गंगा खतरे के निशान से लगभग 30 सेमी उपर बह रही है।

ज्ञातव्य है कि 1978 में वाराणसी में बाढ़ का अब तक का उच्चतम बिंदु 73.900 मीटर रहा है। उस भीषण बाढ़ में बनारस की लगभग आधी आबादी प्रभावित हो गई थी। मैं उस भयानक बाढ़ का चश्मदीद हूं। उस समय काशी में विद्याध्यन के दौरान सेंट्रल हिन्दू स्कूल का छात्र तथा नवाबगंज स्थित अपने पुराने मकान में अकेले रहता था। मेरे घर के सामने लगभग 2 मीटर बाढ़ का पानी पहुंच गया था। लगभग एक सप्ताह तक आवागमन नाव से ही होता रहा।

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काशी के अधिकतर इलाके जल मग्न हो चुके थे। उस भयंकर बाढ़ में सामने घाट के क्षेत्र में लगभग 3-4 मीटर पानी था। कॉलोनी का नामो निशान नहीं था, पूरे सामने घाट क्षेत्रो में रमना, बनपुरवा, गढ़वा घाट आदि जगहों पर सिर्फ गेंदा के फूलो और सब्जियों की खेती होती थी। लंका, बी एच यू, संकट मोचन मंदिर, साकेत नगर, ब्रह्मा नन्द नगर, रोहित नगर, सुन्दर पुर, दुर्गा कुंड, नगवा, अस्सी, हरिश्चंद्र घाट रोड, गोदौलिया, नई सडक, लक्सा, गुरुबाग, कमच्छा आदि समस्त इलाकों में एक से दो मीटर तक बाढ़ का पानी था।

जन जीवन बेहाल हो गया था। इसके बाद 2013 में बाढ़ का स्तर 72.640 मीटर तक पंहुचा था। इस बार 2022 में बाढ़ का उच्चतम स्तर 72.14 पर पहुंचा। लगभग 24 घंटे इसी लेबल पर रहने के बाद, बीती रात से गंगा का जलस्तर घटना शुरू हो गया। यह घटाव लगातार जारी है। सुबहे बनारस घाट के साथ ही सभी घाटों का इलाका गत 5 दिनों से जल मग्न है।

नगवा, गंगोत्री नगर कॉलोनी, अस्सी नगवा नाला (पूर्व में अस्सी नदी), सामने घाट, कोदोपुर, काशी कथा आश्रम, कटेसर, डोमरी, सरैया, वरुणा के तट वर्ती क्षेत्र अभी भी जलमग्न हैं। जिला प्रशासन द्वारा युद्ध स्तर पर राहत कार्य जारी है। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के कारण राहत कार्यो में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी नज़र बाढ़ और राहत कार्यों पर लगातार बनी हुई है।

वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल और जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के द्वारा प्रति दिन की अपडेट पी एम ओ को प्रेषित की जा रही है. पानी के घटने के बाद भयंकर कीचड़ और महामारी से भी बाढ़ पीड़ितों को जूझना पड़ेगा. प्रशासन को इस मोर्चे पर भी अभी से मुस्तैद रहना होगा।

2 सितम्बर को प्रसिद्ध लोलार्क छठ का स्नान पर्व मेला है. संतानोत्पत्ति हेतु लगभग 2 लाख निःसंतान दंपत्ति, एक दूसरे का हाथ पकड़ कर, भदैनी स्थित ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के लोलार्क कुंड में स्नान करेंगे. बाढ़ के कारण इस कुंड का जल स्तर काफ़ी बढ़ा हुआ है. कुंड में जल का स्रोत गंगा हैँ.

इस कारण इस बार स्नानार्थियों को भारी समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है. जिला प्रशासन के द्वारा स्थिति की गंभीरता को देखते हुये, एक सप्ताह पूर्व ही बैरिकेटिंग लगाने शुरु कर दिया गया है. प्रशासन के लिये एक चुनौती है इस बार का लोलार्क छठ के मेले को सकुशल संपन्न कराना।

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