Shankaracharya Triveni Snan: ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य ने त्रिवेणी संगम में किया मौन स्नान
Shankaracharya Triveni Snan: शंकराचार्य ने स्नान के बाद पुनः दोहराया रामा गौ माता को राष्ट्र माता बनाने का संकल्प
रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 09 फरवरी: Shankaracharya Triveni Snan: प्रयागराज में माघ मास का सबसे पौराणिक एवं प्रतिष्ठित पर्व मौनी अमावस्या का स्नान शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। इस पर्व की महत्ता में आस्था व्यक्त करते हुए इस तिथि पर दुनियाभर से सनातन धर्मियों की ऐतिहासिक भीड़ संगम तट पर जुटी। मान्यता है कि 33 कोटि देवता स्वयं सगंम के जल में स्नान करने तीर्थराज प्रयाग की धरती पर उपस्थित होते हैं।
इसी क्रम में भगवान शंकर स्वरुप परामाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ महाराज् अपने भक्तों और अनुयायियों के साथ त्रिवेणी संगम स्नान को पहुंचे। प्रातः 9 बजे महाराज का दिव्य-भव्य जुलूस साधु संतों, मंडलेश्वरों, महामंडलेश्वरों, भक्तों और अनुयायियों के साथ शंकराचार्य शिविर से संगम स्नान के लिए रवाना हुआ।
हर तरफ आस्थावानों का हुजूम जगतगुरु की जय, गंगा मैया की जय, गौ माता की जय का उदघोष करता नजर आ रहा था। पुल संख्या दो से होते हुए जुलूस जब संगम की ओर बढ़ा तो श्रद्धालुओं की अपार भीड़ स्वयं जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को अपने बीच पाकर अभिभूत दिखी। उनके दर्शन पाकर धन्य महसूस करते लोग फूलों की वर्षा कर शंकराचार्य महाराज के लिए मार्ग प्रशस्त करने के साथ जय जयकार करती संग हो चले।
त्रिवेणी स्नान स्थल पर पहुचने पर शंकराचार्य महाराज के ऊपर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा की गई। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ महाराज विशिष्ट वैदिक मंत्रों के उच्चारण के मध्य गंगा स्नान विधान पूर्ण करने तक मौन ही रहे। जगद्गुरु शंकराचार्य के साथ ही महामंडलेश्वर सहजानंदजी महाराज, स्वामी जगदीशानंद महाराज, ब्रह्मचारी श्री परमात्मानंद, ब्रह्मचारी स्वामीश्री मुकुंदानंद, स्वामी श्रीभगवान, गुजरात के गौधर्मांसद किशोर शास्त्री, ब्रह्मविद्यानंद महाराज, संयोजक राम सजीवन शुक्ल, प्रभारी डॉ. शैलेंद्र योगीराज, विनोद शुक्ल, गौ सेवक राम मिलन तिवारी, तीर्थ पुरोहित पंडित पशुपतिनाथ तिवारी, पंडित दिवाकर शास्त्री सहित अनेकानेक अनुयायी, संत-पुरोहित, महात्मा और दर्शनार्थी भी पवित्र संगम में डुबकी लगाते और हर हर गंगे की जय जयकार करते रहे।
स्नान एवं अर्पण-पूजन के पश्चात ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज ने संगम तट से ही समाज और राष्ट्र के समग्र कल्याण के लिए और रामा गौ माता को राष्ट्र माता के रूप में प्रतिष्ठित कराने के लिए माँ गंगा यमुना एवं गुप्त सरस्वती से प्रार्थना की। तत्पश्चात महाराज का जुलूस पूरे दल बल के साथ पुल संख्या एक से होते हुए वापस शंकराचार्य शिविर को प्रस्थान कर गया।
जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज का संदेश
परामाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामि श्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ महाराज ने अपने विशेष संदेश में कहा कि, भारतीय धर्म-संस्कृति में कुछ विशिष्ट स्नान पर्व मनाए जाते हैं उनमें मौनी अमावस्या की तिथि पर संगम अथवा गंगा में स्नान करने का बहुत ही बड़ा महात्म्य कहा गया है।
इस दिन मौन रहकर ईश्वर की आराधना करने से विशेष फल साधक को प्राप्त होता है।इस तिथि पर भगवान शिव और भगवान विष्णु का पूजन करना अत्यंत ही कल्याणकारी माना गया है। सूर्यदेव को अर्घ्य देने से भक्त के जीवन में तेज, ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है। गंगा स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल मिलता है।
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने से भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी यह विशेष महत्व वाला माना गया है। मौनी अमावस्या पर अगर पूरी तरह से मौन रहा जाए तो अद्भुत स्वास्थ्य लाभ और ज्ञान की प्राप्ति होती है। जिन लोगों को भी मानसिक समस्या है या भय और वहम की समस्या है उनके लिए मौनी अमावस्या का स्नान महत्वपूर्ण माना गया है। अत: मौनी अमावस्या का स्नान पर्व रोग-शोक से मुक्ति प्रदान करने वाला होता है।
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