Shankaracharya Maharaj Varanasi Visit

Shankaracharya Maharaj Varanasi Visit: वाराणसी पुलिस ने शंकराचार्य को श्रीविद्या मठ से नहीं निकलने दिया

Shankaracharya Maharaj Varanasi Visit: पुलिस ने कारण बताए बिना ही शंकराचार्य महाराज को ज्ञानवापी स्थित मूल विश्वनाथ मंदिर की परिक्रमा किये जाने से रोका

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 30 जनवरीः
Shankaracharya Maharaj Varanasi Visit: एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी में मूल विश्वनाथ मंदिर के प्रमाण मिल जाने के बाद, उस स्थान की परिक्रमा करने जा रहे परमाराध्य परमधर्माधीश अनंतश्रीविभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ महाराज को पुलिस ने जबरन रोक दिया। शंकराचार्य महाराज पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शंकराचार्य घाट स्थित श्रीविद्या मठ से ज्ञानवापी जाना चाहते थे, लेकिन पूरे मठ को ही पुलिस के जवानों ने घेर लिया था।

ज्ञातव्य है कि 27 जनवरी को काशी पधारे पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज ने मूल विश्वनाथ के परिक्रमा की इच्छा प्रकट की थी। प्रशासन ने भारी पुलिसकर्मियों के घेराबंदी कर और अवरोध लगाकर श्रीविद्यामठ को चारो तरफ से घेर लिया था। अपने संकल्प के अनुसार, जब शंकराचार्य महाराज श्रीविद्यामठ से मूल विश्वनाथ जाने के लिए तैयार हुए तो प्रशासन ने महिला पुलिसकर्मियों को आगे कर महाराज जी का रास्ता रोक दिया। जिसपर मठ में मौजूद मातृशक्तियों ने महिला पुलिस कर्मियों से काफी प्रतिवाद किया।

मठ के पूर्वी द्वार पर ही पुलिस के अधिकारियों ने यह कहते हुए उन्हें रोक दिया कि आप ज्ञानवापी नहीं जा सकते। ज्ञानवापी की परिक्रमा करने की किसी नई परंपरा की शुरुआत नहीं होने दी जाएगी। इस पर महाराज ने कहा कि ज्ञानवापी की परिक्रमा उनके द्वारा पहली बार नहीं की जा रही है। पूर्व में भी मैं ज्ञानवापी जाता रहा हूं। यही नहीं हमारे पूर्व आचार्य भी समय समय पर ज्ञानवापी की परिक्रमा करते रहे हैं। इसके कई प्रमाण भी हमारे पास हैं।

पूज्यपाद महाराज ने वहां उपस्थित प्रशासन के प्रतिनिधि एसीपी भेलूपुर एवं दशाश्वमेध से पूछा हमें क्यों रोका जा रहा है जब हम नियम के अंतर्गत मूल विश्वनाथ की परिक्रमा करना चाह रहे हैं? इसका जबाब देते हुए एसीपी भेलूपुर ने कहा कि, महाराज ऊपर से आदेश है आपको परिक्रमा करने की अनुमति नही है। शंकराचार्य महाराज के पूछने पर कि अनुमति क्यों नही है तो एसीपी भेलूपुर ने कहा कि बस आपको अनुमति नहीं है, इसलिए हम आपको विन्रमता पूर्वक जाने नही देंगे।

शंकराचार्य महाराज ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि, यदि आप धारा 144 के कारण मुझे वहां जाने से रोक रहे हैं तो मैं आप को विश्वास दिलाता हूं कि सिर्फ हम दो लोग ही ज्ञानवापी जाएंगे। ऐसा करने पर न तो कानून का उल्लंघन होगा और न ही कानून व्यवस्था को किसी प्रकार का खतरा होगा। मैं स्वयं पुलिस और प्रशासन का सहयोग करना चाहता हूं। बावजूद इसके पुलिस अधिकारी यह कहते रहे कि जहां आप परिक्रमा करना चाहते हैं वह प्रतिबंधित क्षेत्र है। आप को वहां जाने की अनुमति नहीं है।

इसके उपरांत शंकराचार्य महाराज की ओर से ज्ञानवापी की परिक्रमा करने की अनुमति के लिए तत्काल एक पत्र अधिकारियों को दिया गया। अधिकारियों ने पत्र तो ले लिया लेकिन अनुमति नहीं दी। जबकि इससे पूर्व शंकराचार्य कार्यालय की ओर से पुलिस-प्रशासन को पत्र भेज कर अवगत कराया गया था कि 29 जनवरी को अपराह्न साढ़े तीन बजे वह ज्ञानवापी स्थित मूल विश्वनाथ मंदिर की परिक्रमा करने जाएंगे।

शंकराचार्य कार्यालय की ओर से पत्र मिलने के बाद 28 जनवरी को ही पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी श्रीविद्या मठ पहुंचे थे। शंकराचार्य महाराज से बातचीत में उन्होंने वहां धारा 144 लागू होने की बात कही थी। उस वक्त भी शंकराचार्य महाराज ने यह प्रस्ताव दिया था कि यदि ऐसी बात है तो मैं अपने एक शिष्य के साथ ही परिक्रम कर लूंगा। तब भी अधिकारी कुछ भी स्पष्ट किए बिना ही मठ से लौट गए थे।

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ने कहा कि, एएसआई के रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया है कि ज्ञानवापी स्थित प्रांगण में मूल विश्वनाथ विराजे हैं। हम सनातनधर्मियों के सर्वोच्च प्रतिनिधि होने के नाते और स्वयं सनातनधर्मी होने के नाते मूल विश्वनाथ मंदिर की परिक्रमा कर उनको प्रणाम करना चाहते हैं। हम यह परिक्रमा प्रतिबंधित क्षेत्र के बाहर से ही करना चाहते हैं। जहां से आमजन का आवागमन हो रहा है।

हम सनातनधर्मियों के सर्वोच्च धर्मगुरु हैं। प्रशासन धारा 144 का हवाला दे कर हमको रोक रहा है। वहीं मुस्लिम पक्ष के सैकड़ों लोग प्रतिदिन वहां पर नमाज पढ़ रहे हैं उनके लिए धारा 144 नहीं है. हम कानून का पालन करते हुए केवल दो लोगों के साथ अपने आराध्य मूल विश्वनाथ की परिक्रमा करना चाह रहे हैं तो हमें अनुमति नहीं दी जा रही है।

सौ करोड़ सनातनधर्मियों का इससे बड़ा और क्या अपमान होगा? डेढ़ वर्ष से मुकदमा चल रहा है और इस दौरान मूल विश्वनाथ को पूजा,राग-भोग से वंचित कर दिया गया है। जबकि यही स्थित अयोध्या में थी। वहां भी मुकदमा चल रहा था लेकिन वहां रामलला का निरन्तर पूजा,राग-भोग सुनिश्चित किया जाता था।

पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज ने उपस्थित मीडिया बंधुओं से कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में यह कहा गया है कि, उक्त स्थल मन्दिर है अथवा मस्जिद इसका निर्णय न्यायालय करेगा। अभी तक यह निर्धारित नहीं हुआ है कि उक्त स्थल हिन्दुओं का है अथवा मुस्लिमों का लेकिन प्रशासन द्वारा हम सनातनधर्मियों के धार्मिक एवं मौलिक अधिकारों का हनन करते हुए हमें रोक रहा है।

इस दौरान-साध्वी पूर्णाम्बा दीदी, साध्वी शारदाम्बा, ब्रम्ह्चारी मुकुंदानंद, ब्रम्ह्चारी परमात्मानंद, मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय, डॉ गिरीश चन्द्र तिवारी, रवि त्रिवेदी, शैलेन्द्र योगिराज, रमेश उपाध्याय, डॉ एस के द्विवेदी, राजेन्द्र तिवारी ‘बबलू’, चन्द्र शेखर सेठ, देवेंद्र पाण्डेय, गोबर गोपाल, कमलेश कुकरैती, हजारी कीर्ती शुक्ला, हजारी सौरभ शुक्ला, सतीश अग्रहरि, सुनीता श्रीवास्तव, विजया तिवारी, कमला भारद्वाज, उर्मिला शुक्ला, अनिल पाण्डेय, सुनील शुक्ला, साकेत शुक्ला आदि बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित रहे।

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