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Sanyas Diwas: जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है संन्यास: शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती

सन्यास दिवस (Sanyas Diwas)के अवसर पर शंकराचार्य का उदबोधन

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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 22 अप्रैल:
Sanyas Diwas: मनुष्य का शरीर प्राप्त होने पर भी, भगवदर्पण बुद्धि विकसित होने के बाद भी यदि हम योगीजनों के मार्ग (सन्यास-मार्ग) का अवलम्ब ना लें तो शायद इस दुर्लभ मानव शरीर के साथ ये सबसे बडा अन्याय होगा. इसलिए समय से तत्वोपलब्धि हो जाए. इसके लिए जीवन की सबसे बडी उपलब्धि सन्यास की उपलब्धि है।

उक्त उद्गार ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008 ने अपने 21वें संन्यास दिवस के उपलक्ष्य में गंगा पार आयोजित संन्यास समज्या समारोह के अवसर पर काशी के समस्त दण्डी संन्यासियों के समक्ष व्यक्त किए.

उन्होंने कहा कि जीवन की सबसे बडी उपलब्धि ज्ञानप्राप्ति है, क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है ऋते ज्ञानान्नमुक्तिः ज्ञान के बिना मुक्ति सम्भव नहीं है।

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ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज का सन्यास समज्या रविवार को काशी के श्रीविद्यामठ में सन्तों व भक्तों द्वारा महोत्सव के रूप में मनाया गय. प्रातः काल से श्रीविद्यामठ में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हो गया था। कल से देश के विभिन्न हिस्सों से सन्त व भक्त शंकराचार्य जी के सन्यास समज्या में सम्मलित होने हेतु पहुचना शुरू हो गए थे।

वीरक्त दीक्षा ग्रहण कर चार ब्रम्ह्चारी हुए शंकराचार्य परम्परा को समर्पित

सन्यास समज्या महोत्सव के प्रथम सत्र में प्रातः काल विरक्त दीक्षा लेकर चार ब्रम्ह्चारी शंकराचार्य परम्परा को समर्पित हुए।सपाद लक्षेश्वर धाम सलधा के ब्रम्ह्चारी ज्योतिर्मयानंद जी ने परमाराध्य शंकराचार्य जी से दंड सन्यास की दीक्षा ग्रहण की और अब से वे अपने नए नाम सृज्योतिर्मयानंद: सरस्वती के नाम से जाने जाएंगे. तीन अन्य ने भी विरक्त दीक्षा ग्रहण की जिसमे गुजरात के पण्ड्या नैषध जी अब से केश्वेश्वरानंद ब्रम्ह्चारी के रूप में,बंगाल के वैराग्य जी अब साधु सर्वशरण दास के रूप में और तीसरे ब्रम्ह्चारी को पुरुषोत्तमानंद ब्रम्ह्चारी के रूप में जाना जाएगा.

सन्यास (Sanyas Diwas) दीक्षा का कार्यक्रम आचार्य पं अवधराम पाण्डेय के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। सहयोगी आचार्य के रूप में पं दीपेश दुबे,पं करुणाशंकर मिश्र,प्रवीण गर्ग उपस्थित थे. इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या मे उपस्थित दंडी सन्यासियों का गंगापार षोडशोपचार पूजन कर उपहार समर्पित किया गया.

इस अवसर पर काशी के वरिष्ठ विद्वान परमेश्वरदत्त शुक्ल ने अपने उद्बोधन में कहा कि, परमधर्माधीश शंकराचार्य जी महाराज सूर्य के समान हैं. सूर्य का तेज सबको समान रूप से मिलता है। कुछ लोग इसे सह पाते हैं कुछ लोग सह नही पाते हैं।शंकराचार्य जी की कृपा सबपर समान रूप से होती है।शिष्य के दुर्गुणों के संहारकर्ता व सद्गुणों के सृजनकर्ता दोनो हैं पूज्य शंकराचार्य महाराजश्री।गौमाता के रक्षार्थ शंकराचार्य जी महाराज अवर्णनीय कष्ट सहकर हम सबके सोए हुए चेतना को जागृत कर रहे हैं।अगर अब भी हमलोग गौरक्षार्थ आगे नही आए तो परमात्मा के कोप का भाजन बनेंगे।

सन्यास समज्या के अवसर पर अमेरिका निवासी प्रख्यात लेखक व बेस्ट सेलर एवार्ड से पुरस्कृत अनंतरमन विश्वनाथन की शंकराचार्य और गौमाता से सन्दर्भित पुस्तक का लोकार्पण हुआ।साथ ही यतीन्द्रनाथ चतुर्वेदी जी द्वारा सम्पादित स्वामिश्री के 21वें दंड ग्रहण की स्वामिश्री: सन्यास समज्या स्मारिका का लोकार्पण भी हुआ।

भजन संध्या का हुआ आयोजन
काशी के प्रसिद्ध भजन गायक कृष्ण कुमार तिवारी ने सुमधुर भजन की प्रस्तुति कर उपस्थित भक्त समुदाय का सराहना अर्जित किया।
सन्यास समज्या में प्रमुख रूप से सर्वश्री:-साध्वी पूर्णाम्बा दीदी, ब्रम्ह्चारी मुकुंदानंद, मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय, गिरीश दत्त पाण्डेय,ब्रम्ह्चारी गौरवानंद, राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, योगेश ब्रम्ह्चारी, ब्रम्ह्चारी लीलाविनोदानंद, श्रीशदत्त शुक्ल, रवि त्रिवेदी, हजारी कीर्ति शुक्ला, हजारी सौरभ शुक्ला, डॉ पीयूष शुक्ल, अभय शंकर तिवारी, किशन जायसवाल, रामसजीवन शुक्ल, राकेश शर्मा आदि उपस्थित थे..

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