Rescue of wild animals from cyclone

Rescue of wild animals from cyclone: वन्यजीव सृष्टि तथा वन्यप्राणियों को सुरक्षित रखने का राज्य सरकार का अग्रिम आयोजन

  • कच्छ के अभयारण्य क्षेत्र में 13 ऑपरेशनल टीमें तथा आवश्यक संसाधनों सहित विशेष 6 वाइल्ड रेस्क्यू टीमें स्टैंडबाई

Rescue of wild animals from cyclone: एशियाटिक सिंहों के जोन में रेस्क्यू, रैपिड एक्शन तथा धराशायी पेड़ हटाने के लिए कुल 184 टीमें रणनीतिक रूप से पोजिशन में

गांधीनगर, 15 जून: Rescue of wild animals from cyclone: ‘बिपरजॉय’ चक्रवात के कारण गुजरात में किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा पूर्ण सतर्कता बरती जा रही है। इस बीच वन विभाग ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में मानव जीवन के साथ-साथ पशुओं और वन्यजीव सृष्टि को भी जीरो कैज़ुअलिटी के एप्रोच के साथ चक्रवात से सुरक्षित रखने का सुदृढ़ आयोजन किया है।

चक्रवात का जिन क्षेत्रों में प्रभाव होने वाला है, उनमें जूनागढ के गीर जंगल के एशियाटिक सिंहों के अतिरिक्त कच्छ के नारायण सरोवरण अभयारण्य तथा मातानो मढ, बरडा और नारायण सरोवर स्थल पर भी रेस्क्यू टीमें रणनीतिक रूप से पॉज़िशंड कर दी गई हैं।

एशियाटिक सिंहों के ज़ोन में 184 टीमें एक्शन में, 58 कंट्रोल रूम द्वारा मॉनिटरिंग

जूनागढ के वाइल्डलाइफ़ तथा टेरिटोरियल सर्किल के 9 डिवीज़नों के अंतर्गत कुल 184 टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें वन्यप्राणियों के बचाव, रैपिड एक्शन, धराशायी पेड़ हटाने आदि सहित विभिन्न कार्य करेंगी। वन्यप्राणियों के बचाव के लिए इमर्जेंसी SOS मैसेज प्राप्त करने के लिए 58 कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। जूनागढ वाइल्डलाइफ़ तथा टेरिटोरियल सर्किल के 9 डिवीजनों में जूनागढ फ़ॉरेस्ट सहित गीर पूर्व, गीर पश्चिम, सासण, पोरबंदर, सुरेन्द्रनगर, जामनगर, भावनगर और मोरबी शामिल हैं।

हाईटेक मॉनिटरिंग द्वारा सिंहों पर नजर

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सिंहों की हलचल पर नजर रखने के लिए सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा सिंहों की ट्रैकिंग के लिए हाईटेक लायन मूवमेंट मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया गया है, जिसमें समूह में रहे कुछ सिंहों में रेडियो कॉलर लगाया जाता है। इसके द्वारा उनकी मूवमेंट सैटेलाइट लिंक द्वारा मॉनिटरिंग सेल में दर्ज़ होती है। इस समय मॉनिटरिंग टीम द्वारा राज्य के गीर वन क्षेत्र तथा तटीय क्षेत्र में रहने वाले 40 सिंहों पर विशेष नज़र रखी जा रही है।

नदी क्षेत्रों में सिंहों के बचाव के लिए विशेष टीमें स्टैंडबाई

सिंहों के क्षेत्र में सात नदियाँ तथा जलाशय हैं। इस कारण भारी वर्षा की स्थिति में यदि पानी की धारा तीव्र बनती है, तब सिंह या मानव जीवन के बचाव कार्य के लिए सातों नदी क्षेत्रों के विशेष स्थानों पर टीम तैनात की गई है। गीर क्षेत्र में रहने वाले पशुपालकों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है।

कच्छ के अभयारण्य क्षेत्र में विशेष टीमें स्टैंडबाई

कच्छ के अभयारण्य क्षेत्र में भी राज्य सरकार द्वारा विशेष सतर्कता बरती गई है। कच्छ में नारायण सरोवर अभयारण्य और दयापर रेंज में दयापर, मातानो मढ, बरडा तथा नारायण सरोवर में चार रेस्क्यू टीमें भेजी गई हैं। इसके अलावा, कच्छ सर्किल में कच्छ के बड़े रण (रेगिस्तान) क्षेत्र में भी पाँच-पाँच सदस्यों वाली कुल 13 टीमें बनाई गई हैं।

वन्यप्राणियों की सहायता के लिए 6 अतिरिक्त रेस्क्यू टीमें बनाई गई हैं। जेसीबी, ट्रैक्टर तथा अन्य आवश्यक संसाधनों को रणनीतिक रप से महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात किया गया है। बचाव कार्य या अन्य आवश्यकता के लिए घोराड अभयारण्य में तीन टीमें तैनात की गई हैं।

“चक्रवात की चुनौतियों से निपटने को सरकार सज्ज”

राज्य सरकार की इन तैयारियों के विषय में गुजरात के प्रधान मुख्य वन संरक्षक तथा चीफ वाइल्डलाइफ वॉर्डन नित्यानंद श्रीवास्तव ने कहा: “इस चक्रवात की चुनौतियों से निपटने के लिए हम पूरी तरह तैयार और सज्ज हैं। सरकार ने हमें पहले से जानकारी दी है, जिसके कारण हमारे पास हमारी SOP तैयार है।

हमने चुनौतियों का सामना करने के लिए विभिन्न टीमें बनाई हैं। सरकार ने पहले से ज़रूरी आयोजन तथा सतर्कता को लेकर प्लान बनाया है और इस संबंध में तत्काल बैठकें आयोजित की हैं, जिसके चलते ऑनफ़ील्ड तैयारी तथा क्रियान्वयन के दौरान आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें पर्याप्त समय मिला है।”

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