Private school admission: वाराणसी में आरटीई के तहत निजी स्कूल नहीं ले रहे बच्चों के दाखिले

Private school admission: स्कूल प्रबंधको की मनमानी से शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लग रहा है पलीता

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 08 अगस्तः Private school admission: आरटीई (राइट टू एजूकेशन) कानून के तहत गरीब बच्चों को वाराणसी के कई स्कूल प्रबंधन ने दाखिला देने से मना कर दिया। प्रबंधको का कहना है कि दो वर्षों से सरकार ने बच्चों की पूरी फीस नहीं भरी है। इसलिए निजी स्कूल तब तक गरीब बच्चों का दाखिला नहीं लेंगे, जब तक बकाया फीस संग वाजिब फीस तय नहीं होगी। वहीं कुछ स्कूलों ने बीएसए को अपना अधिकारी मानने से मना किया है।

Private school admission: निजी स्कूलों के इस फैसले से उन गरीब बच्चों के अभिभावकों को बड़ा झटका लगा है, जो शिक्षा के अधिकार कानून के तहत अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाने का सपना संजो रहे थे। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों को दाखिला देना अनिवार्य है। नियमों के मुताबिक, आरटीई के तहत दाखिला पाने वाला छात्र आठवीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकता है। इसके लिए उन बच्चों के अभिभावक आवेदन कर सकते हैं, जिनकी आय एक लाख रुपए सालाना से कम है।

Private school admission

Private school admission: शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2011 के तहत निजी स्कूलों में कक्षा एक व उससे निचली कक्षाओं में कुल छात्र संख्या के कम से कम 25 फीसदी दाखिले गरीब बच्चों के होते हैं। अभिभावकों की मानें तो स्कूलों की ओर से प्रवेश देने से तो इंकार किया ही गया है साथ अभद्र भाषा का प्रयोग भी किया गया है। समाज के बीच में इस तरह से व्यवहार कर उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की गई है। अभिभावकों का कहना है कि ये स्कूल पहले भी हमारे बच्चों का दाखिला लेने से इंकार कर रहे थे। तब भी इनकी कोशिश हर तरह से टालमटोल बनाने की रहती थी और अब तो इन्होंने खुलेआम दाखिला लेने से मना कर दिया है। 

क्या आपने यह पढ़ा.. Kashi Vishwanath Temple: काशी विश्वनाथ मंदिर में अब सभी को बाबा का जलाभिषेक करने का मिलेगा मौका

मनमानी करने वाले स्कूलों में जैसे गुरुधाम बैंक आफ बड़ौदा स्थित इशिता पब्लिक स्कूल में एक अभिभावक अभिषेक सेठ को अपने बच्चे के लाटरी में नाम निकल जाने पर स्कूल प्रबंधन ने खूब खरी खोटी सुनाई। जिस पर अभिभावक बीएसए आफिस पहुंच जिला समन्यवक अधिकारी विमल केशरी से अपनी लिखित शिकायती पत्र दी। जिस पर अधिकारी ने फोनकर स्कूल प्रबंधन से बात की। अभिभावक पुनः स्कूल पहुचे, जिस पर स्कुल प्रबन्धक ने कॉपी किताब व अन्य के नाम पर अभिभावक से हजारों रुपये ले लिए। फिर स्कूल प्रबंधक ने फोन कर नाम न लिखे जाने की बात कर अभिभावक को अगले दिन बुलाने की बात कही.

यही नही ऐसा ही एक प्रकरण आर्यन इंटर नेशनल स्कूल अखरी के स्कूल प्रबंधक ने भी ऐसा ही किया. जिसके चलते उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी की गई। जिला समन्यवक अधिकारी विमल कुमार केशरी से इस बाबत पूछे जाने पर बताया कि कई अभिभावकगण ऐसे है जिनके बच्चो का स्कूल प्रबंधक द्वारा स्कूल में दाखिला नही लिया जा रहा. जिससे अभिभावक परेशान हो रहे. स्कूल प्रबंधक से बात कर कुछ बच्चो का दाखिला कराया गया है, कुछ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। स्कूल प्रबंधक को हर हाल में इन नियमो का पालन करना ही होगा।

देश-दुनिया की खबरें अपनेे मोबाइल में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें