Dr shyam narayan dubey

Mau leprosy treatment campaign: कुष्ठरोग को लेकर किया जा रहा जागरूक, दी जा रही चिकित्सा संबंधी जानकारी

Mau leprosy treatment campaign: जनपद में बेहतर उपचार से कुष्ठ रोगियों की संख्या में आई तेजी से गिरावट

मऊ, 21 फरवरीः Mau leprosy treatment campaign: कुष्ठ कोई अभिशाप नहीं, बल्कि एक बीमारी है और इसका उपचार संभव है। सफेद दाग कुष्ठरोग (लेप्रोसी) नहीं है, बल्कि ल्यूकोडर्मा होता है जिसमें मिलैनिगपिग्मेंट की कमी हो जाती है, जो स्किन का रंग बदल देता है यह एक त्वचा रोग है। इसकी सही चिकित्सा होने पर ठीक हो जाता है। यह कहना है मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ श्याम नरायन दुबे ने का।

डॉ दुबे ने बताया कि पहले घर एवं समाज के लोग कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्तियों को अपने बीच रखना पसंद नहीं करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। निरंतर सरकार द्वारा चलाये जा रहे जागरुकता अभियानों (Mau leprosy treatment campaign) और जन सहयोग मिलने के बाद रोगियों के जीवन स्तर में सुधार आया है। लेप्रोसी के प्रति समाज में चेतना लाने के लिये 30 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ रोग जागरुकता अभियान चलाया गया। जनपद में बेहतर उपचार मिलने पर कुष्ठ रोगियों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है।

उन्होने बताया कि कुष्ठरोग से प्रभावित मरीज का छह माह या एक साल तक उपचार चलता है। मल्टी ड्रग थैरेपी से कुष्ठ रोगी में यदि किसी व्यक्ति के शरीर पर निशान या एक नस प्रभावित है तो उसका छह माह तथा इससे ज्यादा असर होने पर एक साल का उपचार चलता है। कुष्ठ रोग के लक्षणों में शरीर पर हल्के लाल रंग का पूर्ण रूप से सुन्न कोई दाग, धब्बा या चकत्ता। कोहनी के पीछे, घुटने के पीछे वाली नस का मोटा होना या इसके साथ दर्द होना। हाथों पैरों की मांसपेशियों में अचानक कमजोरी महसूस होना।

जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ श्रवण कुमार ने बताया कि अभियान के दौरान कुष्ठ का संभावित मरीज के मिलने पर उसकी जांच की जाती है। कुष्ठ रोग की पुष्टि होने पर दवा दी जाता है। कुष्ठ से दिव्यांग मरीजों की विकलांगता को दूर करने के लिए रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी (आरसीएस) भी किया जाता है। इसके लिए द लेप्रोसी मिशन हॉस्पिटल (टीएलएम) नैनी, प्रयागराज (इलाहाबाद) या अयोध्या (फैजाबाद) भेजा जाता है।

पहली सर्जरी के बाद मरीज को 4000 रुपये मिलते हैं। एक महीने बाद दोबारा दिखाने पर 2000 और तीसरे महीने यानि आखिरी में 2000 रुपये दिए जाते हैं। इस तरह रोगी को कुल आठ हजार रुपये दिये जाते हैं। इसके बाद कुष्ठ से विकलांग रोगियों को इलाज के बाद विकलांगता संबंधित सुविधाओं साथ सरकार की ओर से 3000 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाती है।

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डीएलओ डॉ श्रवण ने बताया कि वैसे अच्छी चिकित्सा सुविधा और समय पर दवाओं की उपलब्धता के चलते इस सत्र में कुष्ठ से विकलांग एक भी व्यक्ति नहीं हुआ है। इन्हें उपचार के लिए दवा, घाव वाले मरीज को मलहम पट्टी समेत सेल्फ केयर किट नि:शुल्क दी जाती है। कुष्ठ रोगियों को साल में दो बार एमसीआर जूते भी दिये जाते हैं। गरीब कुष्ठ के रोगियों को प्रधानमंत्री आवास भी आवंटित किया जाता है।

उन्होंने ने बताया कि सत्र 2020-21 में 67 (37 पीबी,छः महीने इलाज वाले और 30 एमबी, एक साल इलाज वाले) मरीज ही मिले थे, इस वर्ष जनवरी 2022 तक 58 (30 पीबी और 28 एमबी) मरीज  मिले हैं। जिले में अब तक कुल 50 रोग मुक्त हो चुके कुष्ठ के रोगी है और 57 रोगी का इलाज चल रहा है।

जिला कुष्ठ परामर्शदाता डॉ कृष्ण यादव ने बताया कि कुष्ठ रोग जीवाणु माइकोवैक्टीरिया लैप्री द्वारा फैलता है। यह शत प्रतिशत कुष्ठ संक्रमित रोगी जिसने कभी दवा नहीं खाई उसके के खांसने व छींकने से निकलने वाले माइकोबैक्टेरियम लेप्री (जीवाणु) साथ में रहने वाले कम प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने या दवा न लेने वाले संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से रोग फैलता जाता है।

डीएलसी डॉ कृष्ण यादव ने बताया कि कुष्ठरोग के सामाजिक संक्रमण को रोकने के लिये सरकार के निर्देशानुसार संक्रमित मरीज के घर के अगल-बगल दस घरों के लोगों को रिफेम्पसीन की दवा पोस्ट एक्स्पोज़र प्रोफाइलेक्स (पीइप) कार्यक्रम के अंतर्गत निःशुल्क खिलाई जाती है। यह दवा उन लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकाश करके इस रोग को जन-समुदाय में फैलने से रोकती है।

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