Lecture on Subhash Chandra Bose

Lecture on Subhash Chandra Bose: बीएचयू में नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर विशेष व्याख्यान

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 05 मार्चः
Lecture on Subhash Chandra Bose: हिन्दी प्रकाशन समिति (भौतिकी प्रकोष्ठ) विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा सोमवार को विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। इस व्याख्यान के वक्ता सुपृसिद्ध लेखक एवं शोधकर्ता अनुज धर रहे, जिनकी रचनाओं एव अनुसंधानों ने नेताजी के कई अनछुए रहस्यों से परदा हटाया। धर ने ’नेता जीः रहस्य गाथा’ विषय पर अपना विशेष व्याख्यान विचार दिया।

धर को सुभाष चंद्र बोस से संबंधित अपने लंबे शोध के लिए जाना जाता है। खासकर उनके रहस्यमय ढंग से गायब होने के मुद्दे पर। धर की 2012 की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब “इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप“ ने नेताजी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए आंदोलन शुरू किया, जिस पर ऑल्ट बालाजी की हिट वेब सीरीज “बोसः डेड/अलाइव“ बनी। 2018 में, धर ने “योर प्राइम मिनिस्टर इस डेड “ लिखा, जो पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के मृत्यु रहस्य का पहला व्यापक अध्ययन है।

Lecture on Subhash Chandra Bose: धर ने विवेक अग्निहोत्री की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म “द ताशकंद फाइल्स“ के लिए इनपुट प्रदान किए। 2019 में, धर “कॉननड्रमः सुभाष बोस की मृत्यु के बाद का जीवन“ लेकर आए, जिसके सह-लेखक चंद्रचूड़ घोष थे। दोनों ने हिट बंगाली फिल्म “गुमनामी“ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई- जिसने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता।

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अनुज धर ने अपने वक्तव्य में विशेष रूप से जिन तथ्यों पर प्रकाश डाला उनमें प्रमुख हैं……

  1. 1857 में अंग्रेजों ने बुरी तरह भारतीयों को पराजित किया।
  2. आज भी नेताजी को जानबूझकर कुछ लोग नहीं चाहते है कि भारत की जनता जाने।
  3. नेता जी की अस्थियां आज भी भारत सरकार के अधिकार में है।
  4. DNA के लिये अप्प्रोच किया गया था पर ताईवान ने मना कर दिया और केवल फोटो भेजा गया।
  5. एचोरो ऊगोरा की हड्डियों को नेता जी की हड्डी बता दिया गया था।
  6. ताईवान ने बताया कि बताये जा रहे महिने में एक भी प्लेन क्रेश नहीं हुआ था।
  7. धर अपनी टीम के साथ प्रधानमंत्री से इसी सिलसिले में मिलें थे।
  8. अटल बिहारी बाजपेयी भी नेता जी के जीवित होने की बात से अवगत थे।
  9. नेताजी के परिवार, दोस्त, परिचितों पर वर्ष 1968 तक जासूसी होती रही।
  10. गुमनामी बाबा जिनका देहान्त सितम्बर 1985 में हुआ, के रूप में नेता जी उत्तर प्रदेश में ही अलग-अलग स्थानों पर रहे जिनसे तब के मुख्यमंत्री सम्पूर्णानन्द भी मिलने जाया करते थे।
  11. गुमनामी बाबा के सामान में स्वयं नेता जी के माता पिता की फोटो मिली थी। चश्मा, किताब, सात दांत, सिगार एवं घडियां सब नेताजी की थी।
  12. गुमनामी बाबा के दाँतों की DNA में आये वास्तविक परिणाम उस समय बदले गये थे। सरकारी तंत्र पूरी तरह से नेता जी की वास्तविकता को आम लोगों के बीच लाने में अवरोध कर रहा था।
  13. गुमनामी बाबा की हैण्ड राइटिंग को भारत में कई लोगों ने पहले गलत साबित किया, बाद में राइटिंग फोरेंसिच एक्सपर्ट बी लाल कपूर एवं कर्ट बग्गट ने भी कहा कि वो मैच करता है।

विशेष व्याख्यान का आयोजन हिन्दी प्रकाशन समिति के संयोजक प्रो ज्ञानेश्वर चौबे ने किया। कार्यक्रम का संचालक डॉ चंद्र शेखर पति त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम में विज्ञान संकाय के निदेशक प्रो0 संजय कुमार, विज्ञान संकाय के प्रमुख प्रो0 सुख महेंद्र सिंह, डॉ0 सचिन तिवारी, प्रो0 अनिल कुमार त्रिपाठी, आदि उपस्थित रहे।

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