Varanasi 13

Faculty development program: स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में सात दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू

Faculty development program: किसी भी देश के विकास का पैमाना है उसकी उन्नत तकनीक: प्रो दुर्ग सिंह चौहान

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 16 अगस्त: Faculty development program: स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसेज, वाराणसी में सात दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इस सात दिवसीय एफ.डी.पी. का मुख्य विषय “फैकल्टी प्रेपयर्डनेस टुवर्ड्स एजुकेशन 4.0” है।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित प्रो.दुर्ग सिंह चौहान, पूर्व संस्थापक कुलपति, ए.के.टी.यू. ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अवधारणा पर जोर देते हुए कहा कि, इस नयी तकनीक का मुख्य उद्देश्य पूर्वानुमान के लिए है। विकसित देशों की चारित्रिक गुणवत्ता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई देश कितना विकसित है यह उसके पूर्वानुमान कर सकने की क्षमता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत अधिक परिष्कृत तरीके से डेटा एकत्र करने और उससे जानकारी प्राप्त करने की है।

ए.आई.द्वारा मानवीय संभावनाओं की उपयोगिता कम होने की धारणा को खारिज करते हुए प्रो.सिंह ने कहा कि ए.आई. को संचालित करने के लिए भी मानवीय सहायता की जरूरत पड़ती है और पड़ेगी, यह खुद से संचालित नहीं हो सकता। हालांकि उन्होंने ए.आई. द्वारा हमेशा सही डेटा देने संबंधी धारणा को भी नकारते हुए कहा कि इस तकनीक की भी अपनी सीमा है, इस संबंध में उन्होंने ए.आई. में समानांतर प्रसंस्करण के महत्व के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने वर्चुअल शिक्षा पद्धति की सफलता पर भी अपने विचार रखे।

इससे पहले अतिथि का स्वागत करते हुए एस.एम.एस., वाराणसी के निदेशक प्रो.पी.एन. झा ने एफ.डी.पी. के महत्त्व की चर्चा की और कहा कि, एजुकेशन का नवीन संस्करण 4.0 इंडस्ट्री 4.0 की तरह ही लचीली हुए समकालिक संभावनाओं से परिपूर्ण है। उन्होंने बताया कि आज की पीढ़ी को “जेनेरेशन ज़ेड” कहा जाता है जिसमें अपने पूर्ववर्ती पीढ़ियों से ज्यादा समझ व ग्राह्यता क्षमता है। इसीलिये एजुकेशन 4.0 नया और समकालिक संस्करण होने के साथ-साथ ज्यादा संभावनाओँ से भरा है।

कार्यक्रम के प्रथम तकनीकी सत्र में “आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से परिचय” विषय को संबोधित करते हुए प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव, आई.आई.टी, बी.एच.यू. ने कहा कि ए.आई. का अंतिम लक्ष्य ऐसे उपकरणों का निर्माण करना है जो बुद्धिमानी से और स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें और मानव श्रम और मैनुअल काम को कम कर सकें। सिरी, एलेक्सा, टेस्ला कार और डिजिटल एप्लिकेशन जैसे नेटफ्लिक्स और अमेज़ॅन ए.आई. प्रौद्योगिकियों के कुछ बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने बताया कि आज व्यापार, शिक्षा, बैंकिंग, कृषि, स्वायत्त वाहन जैसे क्षेत्रों में ए.आई. की मांग बढ़ी है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ पल्लवी पाठक व धन्यवाद ज्ञापन प्रो.संदीप सिंह ने किया। इस अवसर पर एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी डॉ एम.पी.सिंह, निदेशक प्रो. पी.एन.झा, डॉ अमिताभ पाण्डेय, प्रो आर.के.सिंह, प्रोफ़ेसर अविनाश चंद्र सुपकर, डॉ.पूर्णेन्दु पात्रा सहित सभी शिक्षक व कर्मचारी मौजूद रहे।

क्या आपने यह पढ़ा…. Shahbaz ahmed: जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए शाहबाज अहमद भारतीय टीम में शामिल, इस खिलाड़ी की ली जगह…

Hindi banner 02