Economic Development Scheme: गुजरात सरकार की ‘आर्थिक उत्कर्ष’ योजनाओं के माध्यम से आदिवासी हुए लाभान्वित

  • चालू वर्ष में बजट के कुल पांच में से पहले स्तंभ में आदिवासी बंधुओं के लिए कुल 3410 करोड़ रुपए में से 770 करोड़ रुपए आर्थिक उत्कर्ष की योजनाओं के लिए आवंटित किए
  • ‘वनबंधु कल्याण योजना-2’ के अंतर्गत वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपए की बजटीय घोषणा

Economic Development Scheme: सरकार की ‘आर्थिक उत्कर्ष’ की योजनाओं के माध्यम से 14 जिलों के 1.41 लाख से अधिक आदिवासी हुए लाभान्वित

गांधीनगर, 08 अगस्त: Economic Development Scheme: गुजरात सरकार ने ‘आर्थिक उत्कर्ष’ की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गत वर्ष 2022-23 में 1.41 लाख से अधिक आदिवासी भाई-बहनों और विद्यार्थियों को विभिन्न योजनागत लाभ प्रदान कर अधिक से अधिक संख्या में स्वावलंबी बनाने की दिशा में अनोखी पहल की है।

उल्लेखनीय है कि भारत की कुल आदिवासी आबादी का 8.1 फीसदी हिस्सा गुजरात में रहता है। राज्य के 14 आदिवासी बहुल जिलों में रहने वाली 89 लाख से अधिक आदिवासी आबादी के सर्वांगीण विकास के लिए गुजरात सरकार ने अलग से विशेष प्रयास शुरू किए हैं।

गुजरात के चालू वर्ष के बजट के कुल पांच स्तंभों में आदिवासी विकास का पहले ही स्तंभ में उल्लेख कर आदिजाति विभाग के लिए कुल 3,410 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इसमें 770.19 करोड़ रुपए की राशि केवल आदिवासियों के आर्थिक उत्कर्ष के लिए ही आवंटित की गई है।

इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए ‘वन वंधु कल्याण योजना-2’ के अंतर्गत वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपए की बजटीय घोषणा भी की गई है।

तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व के परिणामस्वरूप अंबाजी से उमरगाम तक की पूर्वी पट्टी के 14 जिलों के आदिवासी बहुल शहरों और गांवों में विकास की एक नई परिभाषा लिखी गई है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व और आदिजाति विकास मंत्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोर के निरंतर मार्गदर्शन में पानी, सिंचाई, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत एवं ढांचागत सुविधाओं से यह पूरा क्षेत्र विकास की नई ऊंचाइयां हासिल कर रहा है।

राज्य सरकार ने आदिवासियों की प्रवृत्ति और प्रकृति को ध्यान में रखकर आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। गुजरात ने ‘जहां नागरिक, वहां सुविधा’ मंत्र को चरितार्थ किया है। राज्य के आदिवासी गांवों की यात्रा करने पर गत दो दशकों में हुए 360 डिग्री विकास को महसूस किया जा सकता है।

गुजरात में आदिजाति विकास विभाग द्वारा आदिवासियों के सर्वांगीण आर्थिक उत्कर्ष के लिए 13 योजनाएं क्रियान्वित की गई हैं। आदिवासी किसानों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से कृषि विविधीकरण परियोजना की शुरुआत वर्ष 2012-13 में की गई थी।

इस योजना का लाभ बीपीएल, एफआरए लाभार्थी और आदिम समूह एवं आदिवासी किसानों को दिया जाता है। इसके अंतर्गत विभिन्न फसलों के अनुसार औसतन 4,500 रुपए जबकि अधिकतम 5,000 रुपए मूल्य की खाद और बीज की किट 500 रुपए का मामूली योगदान लेकर वितरित की जाती है।

‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष-2023’ के अंतर्गत इस योजना के तहत पहली बार 14 जिलों के आदिवासी किसानों को विभिन्न ‘मोटे अनाज’ के बीज प्रदान कर श्री अन्न के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

बेल वाली सब्जियों के लिए वर्ष 2015-16 में ‘मंडप योजना’ शुरू की गई। इस योजना का लाभ बीपीएल, एफआरए लाभार्थी, आदिम समूह और आदिवासी किसानों को दिया जाता है।

योजना के अंतर्गत बेल वाली सब्जियों के लिए मंडप (अस्थाई जालीदार संरचना) बनाने के लिए सहायता के रूप में प्रति लाभार्थी 15,288 रुपए की राशि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिए दी जाती है। वर्ष 2022-23 में इस योजना के तहत लक्ष्य के अनुसार सभी 6,207 लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया गया है।

फलदार पेड़ के बीज वितरण की योजना वर्ष 2019-20 में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत बीपीएल, एफआरए लाभार्थी और आदिम समूह आदिवासी किसानों को लाभ प्रदान किया जाता है। इसमें आम के कलमी पौधों के लिए 4,050 रुपए से 16,200 रुपए तक की सहायता दी जाती है। वर्ष 2022-23 में इस योजना के अंतर्गत 10,216 लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं।

पावर टिलर के लिए सहायता योजना वर्ष 2022-23 में शुरू की गई थी। योजना के तहत आदिवासी किसानों को 8 ब्रेक हॉर्स पावर (बीएचपी) से कम क्षमता वाले पावर टिलर के लिए कुल खर्च का 50 फीसदी या 65,000 रुपए, दोनों में से जो कम हो तथा 8 बीएचपी से अधिक क्षमता वाले पावर टिलर के लिए कुल खर्च का 50 फीसदी या 85,000 रुपए, दोनों में से जो कम हो, उतनी राशि सहायता के रूप में प्रदान की जाती है। वर्ष 2022-23 में 1543 आदिवासी किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया है।

‘एकीकृत डेयरी विकास योजना’ की शुरुआत वर्ष 2007-08 में की गई थी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत बीपीएल, एफआरए लाभार्थी और आदिम समूह एवं आदिवासी महिलाओं को लाभ दिया जाता है। वर्तमान में इसकी यूनिट कॉस्ट 70,000 रुपए है, जिसमें एक दुधारू पशु और उपकरण की सहायता दी जाती है। योजना के तहत वर्ष 2022-23 में 10,944 महिला लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया गया।

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व्यवसायोन्मुखी प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई। इसके अंतर्गत आदिवासी युवक-युवतियों को रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी आय दोगुनी करने के संकल्प के साथ प्रशिक्षण केंद्र कार्यान्वित किए गए हैं। इन केंद्रों में पीपीपी मोड पर मान्यता प्राप्त संस्थाएं साझेदार रहती हैं। यहां ऑटोमोबाइल सेक्टर, प्लास्टिक इंजीनियरिंग, केमिकल सेक्टर, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, टेक्सटाइल, आईटी व बीपीओ जैसे सेक्टरों में 1 महीने से 2 वर्ष तक के पाठ्यक्रमों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

इस योजना के तहत 75 फीसदी पूंजीगत व्यय सरकार तथा 25 फीसदी साझेदार संस्था की भागीदारी के साथ किया जाता है। सरकार द्वारा 100 फीसदी रिकरिंग यानी आवर्ती व्यय किया जाता है। इस आवर्ती खर्च का भुगतान 75 फीसदी प्रशिक्षुओं को प्लेसमेंट मिलने के बाद ही किया जाता है।

महिलाओं के आर्थिक उपार्जन के लिए ‘नाहरी केंद्र योजना’ की शुरुआत वर्ष 2016 में की गई थी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए 11 महिलाओं का समूह सखी मंडल के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। योजना के तहत 5 लाख रुपए की सीमा में वार्षिक 4 फीसदी की मामूली ब्याज दर पर ऋण तथा 5 लाख रुपए की सहायता सहित कुल 10 लाख रुपए दिए जाते हैं। वर्ष 2022-23 में 16 सखी मंडलों ने इस योजना का लाभ उठाया है।

प्रतियोगी परीक्षा के लिए गुजरात लोक सेवा आयोग (जीपीएससी) कोचिंग योजना की शुरुआत वर्ष 2019-20 में की गई थी। इस योजना के तहत स्नातक आदिवासी युवक-युवतियां सहायता के पात्र होंगे। सहायता के मानदंड के अनुसार वर्ग-1 और 2 की प्रतियोगी परीक्षा के संबंध में कोचिंग के लिए प्रति विद्यार्थी 20,000 रुपए की सहायता का भुगतान डीबीटी के जरिए किया जाता है। वर्ष 2022-23 में इस योजना के तहत 2,500 विद्यार्थियों ने सफलतापूर्वक कोचिंग सुविधा प्राप्त की है।

चेकडैम और उद्वहन सिंचाई योजना की शुरुआत वर्ष 2015-16 में की गई थी। कोई भी आदिवासी किसान इस योजना का लाभ उठा सकता है। सहायता के मानदंडों के अनुसार आदिवासी किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। वर्ष 2022-23 में इस योजना के तहत 16 किसान लाभान्वित हुए हैं।

आदिवासी समुदाय के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार साल दर साल बजटीय आवंटन में वृद्धि कर रही है। वर्ष 2003 में आदिवासी बंधुओं के विकास के लिए जहां 208 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई थी, वहीं मौजूदा यानी वर्ष 2023-24 के बजट में यह राशि बढ़कर 3,410 करोड़ रुपए पहुंच गई है, जो आदिवासियों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सहित सर्वांगीण विकास की प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाती है।

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