Demonstration program in Varanasi

Demonstration program in Varanasi: वाराणसी में त्रिपुरा का प्रदर्शन कार्यक्रम संपन्न

  • उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (नेरामेक) ने वाराणसी में शोकेसिंग त्रिपुरा का किया आयोजन

Demonstration program in Varanasi: स्थानीय उपज, कारीगरों और भूमि को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध- रतनलाल नाथ

वाराणसी, 21 जुलाई: Demonstration program in Varanasi: त्रिपुरा भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र में एक अद्वितीय अर्ध-पहाड़ी राज्य है, जो तीन तरफ से अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है और आदिवासी संस्कृतियों, प्राकृतिक संसाधनों और धार्मिक समूहों के विविध मिश्रण का घर है। त्रिपुरा को ‘गो-टू’ बिजनेस डेस्टिनेशन के रूप में बढ़ावा देने के लिए राज्य ने शुक्रवार को “वाराणसी में त्रिपुरा का प्रदर्शन” कार्यक्रम आयोजित किया।

इस अवसर पर जीआई टैग, जैविक त्रिपुरा क्वीन पाइनएप्पल को प्रदर्शित करने के लिए किया गया। अपने समृद्ध हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग, पर्यटन, रबर और बांस की उपज के साथ-साथ अन्य कृषि बागवानी उत्पादों का प्रदर्शन किया। यह आयोजन त्रिपुरा के सात विभागों द्वारा आयोजित किया गया।

कृषि एवं किसान कल्याण, उद्यानिकी एवं मृदा संरक्षण, आदिवासी जाति कल्याण विभाग, वन विभाग, उद्योग विभाग, हथकरघा एवं हस्तशिल्प तथा पर्यटन विभाग इसमें शामिल हैं। इसे उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई), उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) द्वारा क्रियान्वित किया गया।

कार्यक्रम में त्रिपुरा सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्री रतनलाल नाथ ने मुख्य अतिथि के रूप में लोगों को संबोधित करते हुए स्थानीय उपज, कारीगरों और भूमि को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने परंपरा को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए अद्वितीय उपज और उत्पादों को जीआई प्रमाणित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सरकार के फोकस के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि शेष भारत और दुनिया के लिए उपज/उत्पाद उपलब्धता और इसके भूगोल दोनों के संदर्भ में राज्य की क्षमता को पहचानना आवश्यक है। राज्य नवाचार, खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योगों को बढ़ावा दे रहा है और इसे पर्यटकों के अनुकूल और सुलभ बना रहा है।

नेरामेक के प्रबंध निदेशक, कमोडोर (सेवानिवृत्त) राजीव अशोक ने अपने स्वागत भाषण में इस आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तर पूर्व क्षेत्र के बाहर इस स्थान को चुनने का कारण शहर की समृद्ध विरासत, एक जीवंत हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग के प्रवर्तक के रूप में इसकी पहचान और स्वाभाविक रूप से इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और एक उभरता हुआ वाणिज्यिक केंद्र होना है।

इस कार्यक्रम में क्रेता-विक्रेता बैठक भी हुई जिसमें 50 से अधिक खरीददारों ने भाग लिया। उन्होंने कृषि-बागवानी क्षेत्र, पर्यटन, इत्र से लेकर हथकरघा और हस्तशिल्प तक विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। इन खरीदारों की त्रिपुरा के साथ व्यापार करने की रुचि और इरादा इस आयोजन का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम था और यह निश्चित है कि आने वाले महीनों में इसके परिणाम सामने आएंगे।

इस कार्यक्रम में स्टाम्प एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल, मेयर अशोक तिवारी, कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव, त्रिपुरा सरकार के कृषि सचिव अपूर्व रॉय, पर्यटन सचिवj यू के चकमा और अतिरिक्त पीसीसीएफ पीएल अग्रवाल सहित त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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