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Bharat Lal speech on Water Governance for Prosperity: राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक भरत लाल द्वारा ‘वाटर गवर्नेंस फॉर प्रॉस्पेरिटी’ विषय पर संबोधन

Bharat Lal speech on Water Governance for Prosperity: नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने राज्य में सूखे और पानी की गंभीर कमी की समस्या पर ध्यान केंद्रित कियाः भरत लाल

अहमदाबाद, 24 दिसंबरः Bharat Lal speech on Water Governance for Prosperity: टिकाऊ विकास के लिए जल शासन को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में स्वीकार किया गया है। जल शासन और टिकाऊ विकास के लिए, उसके महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने तथा उसे प्रोत्साहन देने के लिए अहमदाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन (एएमए) ने 23 दिसंबर की शाम 6.30 बजे ‘वाटर गवर्नेंस फॉर प्रॉस्पेरिटी’ (समृद्धि के लिए जल शासन) विषय पर एक वार्तालाप का आयोजन किया था।

‘वाघ बकरी-एएमए सेंटर फॉर गवर्नेंस’ के तत्वावधान में आयोजित इस वार्तालाप को भारत सरकार के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस- एनसीजीजी) के महानिदेशक भरत लाल ने संबोधित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भरत लाल ने कहा कि एक समय था जब गुजरात में पानी का गंभीर संकट था। राज्य में विकट सूखे की परिस्थिति थी। गुजरात एक औद्योगिक राज्य है और यहां के लोगों की मेहनत देखकर हमें यह ख्याल आता था कि यदि गुजरात में पानी की स्थिति बेहतर हो जाए, तो यह राज्य कहां से कहां पहुंच सकता है!

उन्होंने कहा कि की गुजरात की कम आर्थिक विकास दर एवं अन्य समस्याओं का अध्ययन करने पर हमें यह पता चला कि गुजरात के सर्वांगीण विकास में, गुजरात के सामाजिक और आर्थिक विकास में तथा गुजरात राज्य की गरीबी एवं अन्य मुश्किलों को दूर करने में बाधा पैदा करने वाले सबसे बड़े कारकों में से एक पानी की गंभीर कमी थी।

वर्ष 2001 में जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने राज्य की तीन बड़ी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया। एक तो भूकंप के कारण कच्छ जिले का पुनर्वास, दूसरी उससे से बड़ी गंभीर सूखे और पानी की कमी की समस्या और इसके कारण पैदा हुई तीसरी समस्या- राज्य की बहुत ही कम आर्थिक वृद्धि दर।

हमें यह समझ आया कि गुजरात की सबसे बड़ी समस्या पानी की गंभीर कमी है, और यदि इस समस्या में सुधार किया जाए, इसे दूर कर लिया जाए, तो गुजरात विकास की नई ऊंचाइयों को पार कर सकता है। इस बात को समझने के बाद गुजरात में जो विभिन्न योजनाएं एवं संकल्प कार्यान्वित किए गए, उसके परिणाम आज आप लोग देख सकते हैं।

पानी की आवश्यकता और उसके महत्व पर रोशनी डालते हुए भरत लाल ने कहा कि 1921 में भारत की आबादी लगभग 36 करोड़ थी, जो आज बढ़कर 140 करोड़ हो गई है। जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई, विभिन्न आर्थिक गतिविधियां बढ़ती गईं, वैसे-वैसे लोगों की समृद्धि भी बढ़ती गई।

नतीजा यह कि किसी समय प्रति व्यक्ति 5000 क्यूबिक मीटर से भी अधिक पानी उपलब्ध था, जो आज घटकर काफी कम हो गया है। जब लोगों की समृद्धि बढ़ती है, तब उस समृद्धि को बनाए रखने के लिए पानी की खपत बढ़ ही जाती है। परिणामस्वरूप हमें अधिक से अधिक पानी की आवश्यकता होती ही है।

भरत लाल ने कहा कि तीव्र आर्थिक वृद्धि के लिए हमें और अधिक कार्यकुशल बनना होगा और हमारी उत्पादकता बढ़ानी होगी। भारत जैसे देश के लिए, जहां 50 फीसदी आबादी आज भी कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर है, वहां हमारे पास पानी होना अत्यंत अनिवार्य है। परिणामस्वरूप हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा, “यह नितांत आवश्यक है कि हम आर्थिक समृद्धि के लिए जल सुरक्षा हासिल करें।” भरत लाल ने गुजरात में जल क्षेत्र में हुए कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि गुजरात जल प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य रहा है। गुजरात में जल क्षेत्र में व्यापक कार्य हुए हैं। उन्होंने राज्य में विकसित किए गए नर्मदा बांध, नहरों के नेटवर्क और वाटर ग्रिड आदि का उल्लेख करने के साथ ही इस बात की सराहना की कि गुजरात किस तरह प्रत्येक गांव में जनभागीदारी के जरिए जल संचयन के लिए काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य में जहां भी बरसात का पानी गिरता है, वहां उसके संचयन का प्रयास किया जा रहा है और यह कार्य जनभागीदारी से हो रहा है, इसके चलते गुजरात में भूमिगत जल का स्तर ऊंचा उठा है। इन प्रयासों के परिणाम हम देख रहे हैं कि वर्ष 2000 में गुजरात की आर्थिक वृद्धि दर बिल्कुल सिंगल डिजिट यानी लगभग 1 या 2 फीसदी थी, और उसके बाद के दशक में राज्य की आर्थिक वृद्धि दर डबल डिजिट में देखी गई, विशेषकर गुजरात के कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर भी डबल डिजिट हो गई।

गुजरात की मिसाल देते हुए उन्होंने यह समझाया कि जब इस तरह का विकास होता है, तब आप इस समृद्धि का उपयोग राज्य के विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए कर सकते हैं। भरत लाल ने कहा कि विभिन्न अध्ययनों तथा विभिन्न तथ्यों एवं आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत देश को जल प्रबंधन के विषय पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, और इसीलिए जब नरेन्द्र मोदी वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने सबसे पहले जिस विषय पर फोकस किया, वह पानी है।

उन्होंने कहा कि देश में खुले में शौच की बड़ी समस्या थी, ऐसी परिस्थिति में जल संचयन कैसे संभव हो सकता है! यही वजह थी कि मोदी ने पहले ‘स्वच्छ भारत अभियान’ और उसके बाद ‘जल जीवन मिशन’ लॉन्च किया। गुजरात में इस रणनीति को सफलतापूर्वक लागू किया गया था और ‘सौनी योजना’ एवं सुजलाम सुफलाम जल अभियान आदि के माध्यम से गुजरात ने बहुत ही सुंदर तरीके से जल संचयन का कार्य किया था।

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इसी रणनीति को राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित किया गया। वर्ष 2014 से 2019 के दौरान स्वच्छ भारत मिशन को कार्यान्वित कर देश को खुले में शौच से मुक्त करने के भगीरथ प्रयास किए गए और वर्ष 2019 से पानी के लिए दो कार्यक्रम शुरू किए गए। एक ‘जल शक्ति अभियान’, जिसके अंतर्गत वर्षा जल का संचयन किया जाता है, और दूसरा ‘जल जीवन मिशन’, जिसके अंतर्गत देश के सभी घरों, सभी परिवारों को नल के जरिए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है। उन्होंने कहा, “मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि गुजरात ने जल जीवन मिशन योजना में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है।”

अपने संबोधन को विराम देने से पहले भरत लाल ने कहा कि इससे पहले वाटर और सैनिटेशन तथा पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग पर कोई समर्पित पाठ्यक्रम नहीं था, लेकिन अब यदि कोई वाटर और सैनिटाइजेशन, पब्लिक हेल्थ, वाटर सप्लाई और हमारे सीवेज सिस्टम आदि विषयों पर विशेषज्ञता हासिल करना चाहता हो, तो उनके लिए ऐसा पाठ्यक्रम होना चाहिए।

इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने वाटर और सैनिटेशन पर अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना करने का निर्णय किया है। यह राष्ट्रीय संस्थान दो जगहों पर शुरू किए जाएंगे, एक आईआईटी-गांधीनगर और दूसरा आईआईटी-चेन्नई में। इसके साथ ही पांच अन्य संस्थानों- आईआईटी-गुवाहाटी, आईआईटी-कानपुर, आईआईटी-जोधपुर, एनटीस-मुंबई और आईआईएम-बैंगलोर को भी इस कोर्स के साथ संबद्ध किया जाएगा और एक पूरी चेन बनाई जाएगी। इस तरह वाटर और सैनिटेशन क्षेत्र में ऐसा नॉलेज नेटवर्क विकसित किया जाएगा।

आखिर में उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए जल सुरक्षा बेहद आवश्यक है और गुजरात इसका ज्वलंत उदाहरण है।
कार्यक्रम में जल सुरक्षा विषय से जुड़े लोगों के साथ इस विषय में दिलचस्पी रखने वाले विद्यार्थी उपस्थित थे। भरत लाल ने अपने संबोधन के बाद श्रोताओं के साथ इस विषय पर सवाल-जवाब के दौरान उनके सवालों का संतोषजनक जवाब दिया।

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