दिल्ली के 2 करोड़ लोगों में से 59 लाख में करोना का खतरा बहुत कम रहेगा:सतेंद्र जैन

Satendra Jain edited
  • – दूसरे सिरोलाॅजिकल सर्वे में 29.1 प्रतिशत लोगों में एंटीबाॅडीज मिली, जबकि पहले सर्वे में करीब 22 प्रतिशत लोगों में एंटीबाॅडीज पाई गई थी- सतेंद्र जैन
  • – अभी भी दिल्ली के करीब 70 प्रतिशत लोगों में कोरोना के संक्रमण का खतरा बना हुआ है- सतेंद्र जैन
  • – सर्वे में 18 वर्ष से कम आयु के 25, 18 से 50 वर्ष के 50 और 50 वर्ष से उपर के 25 प्रतिशत लोग शामिल थे- सतेंद्र जैन
  • – करीब 28.3 प्रतिशत पुरुषों और 32.2 प्रतिशत महिलाओं में एंटीबाॅडीज मिली है, तीसरा सर्वे एक सितंबर से होगा- सतेंद्र जैन


नई दिल्ली, 20 अगस्त, 2020

मौलाना आजाद मेडिकल काॅलेज के साथ मिल कर दिल्ली सरकार की तरफ से कोरोना को लेकर 11 जिलो में किए गए दूसरे सिरो सर्वे की रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में करीब 29.1 प्रतिशत लोगों में एंटीबाॅडीज पाई है, जबकि पहले सर्वे में करीब 22 प्रतिशत लोगों में एंटीबाॅडीज पाई गई थी। इसका अर्थ यह है कि दिल्ली में 29.1 प्रतिशत यानि करीब 59 लाख लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, लेकिन अभी भी करीब 70 प्रतिशत से अधिक लोगों में कोरोना के संक्रमण का खतरा बना हुआ है। सर्वे में 18 वर्ष से कम आयु के 25 प्रतिशत, 18 से 50 वर्ष के 50 और 50 वर्ष से उपर के 25 प्रतिशत लोगों को शामिल किया गया था। करीब 28.3 प्रतिशत पुरुषों और 32.2 प्रतिशत महिलाओं में एंटीबाॅडीज मिली है। अगले महीने की एक तारीख से फिर से सर्वे शुरू किया जाएगा। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने प्रेस वार्ता के दौरान यह जानकारी दी। 


सर्वे में एंटीबाॅडीज की औसतन करीब 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई- सतेंद्र जैन
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में दूसरा सिरोलाॅजिक सर्वे कराया गया था। इसके लिए एक अगस्त से 7 अगस्त तक सैंपल लिए गए थे। इसकी रिपोर्ट आ गई है। पहले सिरोलाॅजिकल सर्वे में 22 प्रतिशत लोगों ने एंटीबाॅडीज पाई गई थी। एंटीबाॅडीज का अर्थ यह है कि यह लोग कोरोना से संक्रमित होकर अब ठीक हो चुके हैं। इस बार दिल्ली के अंदर सिरोलाॅजिकल सर्वे में 29.1 प्रतिशत लोगों में एंटीबाॅडीज पाई गई हैं। यदि दिल्ली की आबादी 2 करोड़ मान लें, तो इसके मुताबिक करीब 59 लाख लोगों में एंटीबाॅडीज बन चुकी हैं और वो लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि अलग-अलग जिले में अलग-अलग प्रसार देखा गया है। मसलन, नार्थ ईस्ट में 29 प्रतिशत, साउथ दिल्ली में 27, साउथ ईस्ट में 33, नई दिल्ली में 24 और पहले के मुकाबले में जो अंतर है, वह 6 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक देखने को मिला है। नार्थ ईस्ट जिले में पहले 27.7 था, जो बढ़ कर 29.6 हो गया है। इसी तरह, साउथ ईस्ट में पहले जहां 22 प्रतिशत था, वह अब बढ़ कर 33 प्रतिशत हो गया है। यहां पर करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। सर्वे में एंटीबाॅडीज की औसतन करीब 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।


दिल्ली के करीब 70 प्रतिशत लोगों में अभी हार्ड एम्युनिटी नहीं बनी है- सतेंद्र जैन
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि यह सर्वे पूरी दिल्ली की आबादी को ध्यान में रख कर किया गया है। दिल्ली की आबादी करीब 2 करोड़ है और उसी के मुताबिक सर्वे किया गया है। इस सर्वे में करीब 15 हजार सैंपल लिए गए थे। सर्वे में शामिल लोगों के 4 आयु वर्ग बनाए गए थे। 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के 25 प्रतिशत लोगों को लिया गया। 18 से 50 वर्ष के आयु वर्ग के 50 प्रतिशत और 50 से उपर के आयु वर्ग के 25 प्रतिशत लोगों को लिया गया। अच्छी बात यह है कि 29 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, लेकिन अभी लोग हार्ड एम्युनिटी के स्तर तक नहीं पहुंचे हैं, इसलिए जो लोग अभी बचे हुए हैं, उनको कोरोना के संक्रमण का डर बरकरार है। दिल्ली में अभी करीब 70 प्रतिशत से अधिक लोग हैं, जिनमें अभी तक हार्ड एम्युनिटी नहीं बनी है। सर्वे के अनुसार पुरुष करीब 28.3 प्रतिशत हैं और महिलाएं 32.2 प्रतिशत हैं, जिनमें एंटीबाॅडीज मिली है। इस सर्वे से कम से कम हमें पता चल पा रहा है कि दिल्ली में कितने प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। 


18 वर्ष से कम उम्र वालों में सबसे ज्यादा 34.7 प्रतिशत प्रसार मिला- सतेंद्र जैन
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि 29 प्रतिशत का यह मतलब है कि 100 लोगों में से 29 लोग कोविड से संक्रमति होकर ठीक हो चुके हैं और उनमें एंटीबाॅडीज बन चुकी है। यदि आबादी 100 की है, तो 29 लोग ठीक हुए, इसी तरह यदि आबादी एक लाख है, तो 29 हजार लोग हुए और एक करोड़ आबादी है, तो 29 लाख लोग ठीक हुए। इस तरह दिल्ली की आबादी करीब 2 करोड़ मान कर चलें, तो करीब 59 लाख लोगों में एंटीबाॅडीज बनी है और वे ठीक हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली के लोग जागरूक हैं और अपनी देखभाल अच्छी तरह से कर रहे हैं। इसलिए कोरोना का संक्रमण तेजी से नहीं हो पाया है। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस सर्वे का पूरा वैज्ञानिक प्रणाली होती है। हमारा मौलाना आजाद मेडिकल काॅलेज की मुख्य भूमिका रही है। उन्होंने पूरा सैंपल बनाया और उसके अनुसार सर्वे किया गया। इसका पूरा सिस्टम होता है कि किस एरिया में किस उम्र वर्ग का सैंपल लेने हैं। जैसा कि 25 प्रतिशत सैंपल 18 वर्ष के कम उम्र के लोगों के सैंपल लिए गए। 25 प्रतिशत सैंपल 50 वर्ष से उपर के उम्र के लोगों के लिए गए और 50 प्रतिशत सैंपल 18 से 50 वर्ष के उम्र के लोगों के लिए गए। इसमें महिलाओं और पुरुषों का भी औसत का ध्यान दिया गया। 18 वर्ष से कम उम्र वालों में प्रसार सबसे ज्यादा 34.7 प्रतिशत मिला है। वहीं, 18 से 50 साल के लोगों में 28.5 और 50 साल से उपर वालों में 31.2 प्रतिशत प्रसार मिला है। 


वैज्ञानिकों ने पूरी दिल्ली का अध्ययन करने के बाद 15 हजार सैंपल लिए- सतेंद्र जैन
पिछली बार 21 हजार से अधिक सैंपल लिए गए थे, लेकिन इस बार 15 हजार सैंपल लिए गए हैं। इसकी वजह बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों ने पूरी दिल्ली का स्टडी करके 15 हजार सैंपल लिए हैं, जबकि मैने अधिक सैंपल लेने के लिए कहा था। आगे के सर्वे में भी कितने सैंपल लिए जाएंगे, यह वैज्ञानिक ही तय करेंगे। इस सर्वे में सभी वर्ग के लोगों को शामिल किया गया है। इसमें स्लम बस्ती, मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग भी शामिल है। नार्थ ईस्ट जिले में सबसे कम बढ़ोत्तरी देखी गई है। नार्थ ईस्ट जिला पहले सबसे उपर था। उस समय 27.7 प्रतिशत था और इस बार 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसका मतलब यह भी है कि जहां पर पहले ज्यादा था, वहां पर कम बढ़ा है। जहां पर सबसे कम था, वहां पर सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी देखी गई है। हमें सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी साउथ ईस्ट जिले में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अगले महीने एक तारीख से फिर से सर्वे शुरू किया जाएगा। 


शरीर में एंटीबाॅडीज 3-8 से महीने तक काफी संख्या में रहती है- सतेंद्र जैन
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक बता रहे हैं कि शरीर में एंटीबाॅडीज तीन-पांच महीनों से लेकर 7-8 महीने तक काफी संख्या में रहती हैं। इसके बाद धीरे-धीरे कम होनी शुरू हो जाती है। लेकिन इसके साथ ही शरीर में टी-सेल्स भी बनते हैं। टी-सेल्स का जीवन काफी लंबा होता है। इन्हें मेमोरी सेल भी कहते हैं। इसलिए अगर आपको एक बार कोरोना हो गया तो बहुत ही कम संभावना है कि आपको दोबारा कोरोना होगा। उन्होंने कहा कि इस सर्वे से हमें यह सबक मिल रहा है कि पिछली बार ज्यादातर जिलों में बहुत ज्यादा अंतर था। एक जगह पर 18 प्रतिशत आ रहा था, जबकि दूसरी जगह 12 प्रतिशत आ रहा था। अब यह अंतर काफी कम हो रहा है। हार्ड एम्युनिटी की लोग बात कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि 40 से 60 प्रतिशत तक हार्ड एम्युनिटी होती है। अब हम पिछले और इस बार के सर्वे की तुलना करेंगे और देखेंगे कि हमें अपनी रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है या नहीं। हम अपनी तैयारियों को जारी रखेंगे। यूरोप और अमेरिका का उदाहरण देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इन देशों में दोबारा से केस बढ़ने शुरू हो गए हैं। हमारे देश में भी कल 69 हजार से अधिक एक दिन में नए केस आए थे, जो अब तक का सबसे अधिक है। हम लोग यह नहीं मान कर चल सकते हैं कि दिल्ली में कोरोना खत्म हो गया है। इसलिए हमें अभी अपनी तैयारियों को बना कर रखना होगा। पहले कभी दिल्ली में पाॅजिटिविटी औसत 30 प्रतिशत थी, लेकिन आज यह औसत करीब 7 है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है