WR freight corridor

Western dedicated freight corridor: पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर का प्रधानमंत्री ने किया उद्घाटन, जानें इसकी क्या है विशेषता…

Western dedicated freight corridor: पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर के लगभग 734 मार्ग किमी. (76.498 किलोमीटर के उपरोक्‍त खंड सहित) को परिचालन में लाया गया है

अहमदाबाद, 08 अक्टूबरः Western dedicated freight corridor: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन चलित 1.5 किमी लंबी डबल-स्टैक कंटेनर ट्रेन के लॉन्ग-हॉल के परिचालन हेतु पश्चिमी डीएफसी का न्यु पालनपुर-न्यु महेसाना (न्यु भांडु) खंड, जो लगभग 62.153 किमी. (कुल लगभग 157 ट्रैक किमी.) और न्यु पालनपुर-न्यु चढोतर खंड (पालनपुर कनेक्टिंग लाइन या पीसीएल), जो लगभग 14.345 किलोमीटर (कुल लगभग 33 ट्रैक किमी.) की दूरी को कवर करता है का उद्घाटन 30 सितंबर को किया था।

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इसके साथ पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर के लगभग 734 मार्ग किमी. (76.498 किलोमीटर के उपरोक्‍त खंड सहित) को परिचालन में लाया गया है। पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर का न्यु पालनपुर-न्यु महेसाना (न्यु भांडु) और न्यु पालनपुर-न्यु चढोतर दोनों खंड गुजरात राज्य में स्थित हैं (बनासकांठा जिले में लगभग 45.168 किमी, पाटन जिले में 10.04 किमी और महेसाना जिले में 21.29 किमी)।

इन खंडों में 13 प्रमुख पुल और वायडक्‍ट/महत्वपूर्ण पुल (02 वायडक्‍ट/महत्वपूर्ण पुल और 11 प्रमुख पुल/प्रमुख आरयूबी), 89 छोटे पुल, 01 रेल फ्लाई ओवर, 39 आरयूबी (लेवल क्रॉसिंग को खत्म करते हुए), 21 रोड ओवर ब्रिज, 02 फुट ओवर ब्रिज, और 07 पैदल यात्री सबवे हैं। इस खंड में 3 नवनिर्मित डीएफसी स्टेशन हैं, एक क्रॉसिंग स्टेशन (अर्थात न्यु उमरदशी) और दो जंक्शन स्टेशन (अर्थात न्यु महेसाना और न्यु चढोतर) है।

भारतीय रेल की पटरियों पर वर्तमान अधिकतम 75 किमी प्रति घंटे की गति के मुकाबले डीएफसीसीआईएल 100 किमी. प्रति घंटे की अधिकतम गति से मालगाड़ियां चलाएगा, जबकि मालगाड़ियों की औसत गति को भी भारतीय रेलवे पर मौजूदा 26 किमी प्रति घंटे की गति से बढ़ाकर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर 70 किमी प्रति घंटे कर दिया जाएगा।

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लागत:- इस खंड में किये गए कार्यों की कुल लागत (भूमि को छोड़कर)लगभग 1,900 करोड़ भारतीय रुपये है।

औद्योगिक क्षेत्रों को लाभ की संभावना:-

गुजरात के बंदरगाह जैसे कांडला, पिपावाव, मुंद्रा, नवलखी, टूना आदि का नवनिर्मित पश्चिमी डीएफसी कोरीडोर के माध्यम से भारत के उत्तरी भागों के साथ निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा।

इसके अलावा, इस खंड के खुलने से गुजरात, राजस्थान और हरियाणा राज्य के पालनपुर, गांधीधाम, समाख्याली, स्वरूपगंज, बनास, केशवगंज, बांगुरग्राम, ब्यावर, किशनगढ़, फुलेरा, रेवाड़ी-मानेसर और नारनौल के विभिन्न उद्योगों को भी लाभ प्राप्त होगा। वहीं स्वरूपगंज और कठूवास में कॉनकॉर के कंटेनर डिपो भी डीएफसी के नक्शे पर आ जाएंगे और तेजी से थ्रूपुट के मामले में उनको लाभ प्राप्त होगा।

प्रमुख बिंदु

  • विशिष्ट रूप से केवल मालगाड़ियों का परिचालन
  • भारत में पहली बार 32.5 टन एक्सल लोड के साथ हेवी हॉल ट्रेन संचालन की परिकल्पना की गई है (वर्तमान में यह सुविधा केवल यूएसए, कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, चीन, रूस दक्षिण अफ्रीका और स्वीडन, नॉर्वे में है।)
  • डबल स्‍टैक कंटेनर्स
  • उच्च गति पर उच्च ढुलाई करने के लिए डबल लाइन इलेक्ट्रिक (2×25 केवी) ट्रैक
  • स्वचालित न्यु ट्रैक कंस्ट्रक्शन (एनटीसी) मशीन द्वारा एक दिन में 3 किमी. से अधिक ट्रैक बिछाने का रिकार्ड कार्य संभव होना
  • अधिक शक्तिशाली इंजन 7000 किलोवॉट (9000 हॉर्सपॉवर) CO-CO 6 एक्सल
  • फ्लैट वैगनों पर डबल-स्टैक कंटेनर संचालन के लिए 7.54 मीटर ऊंचे (मौजूदा आईआर ओएचई 5.6 मीटर) के ऊंचे ओवर हेड उपकरण (ओएचई)
  • रोड क्रॉसिंग को समाप्त करना I इससे सड़क यातायात एवं रेल यातायात सुगम एवं संरक्षित होगा
  • मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हबों और दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कोरीडोर को जोड़ना
  • नवीनतम तकनीक का उपयोग करके ऊर्जा की खपत कम करना
  • निर्माण सामग्री का पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग और अपशिष्ट प्रबंधन
  • हरित पहल- मौजूदा रेल और सड़क प्रणाली द्वारा माल ढुलाई के संबंध में जीएचजी उत्सर्जन को कम करने वाले “कम कार्बन और ऊर्जा कुशल हरित परिवहन” के रूप में विकसित होगा।

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