Suicide-Why? तू हार नहीं सकती ज़िंदगी, तेरा सफ़र अभी बाकी है: अनुराधा रानी
!! आत्महत्या-आख़िर क्यों? !!(Suicide-Why?)
Suicide-Why?
तू हार नहीं सकती ज़िंदगी ,तेरा सफ़र अभी बाकी है,
कोयले से हीरा बनने का तू ख़ुद बैसाखी है,
क्यों बेबस कर रहा है ख़ुद को इतना,
अभी हर जूल्म का इंसाफ़ बाकी है।
जो तू टूट जाएगा ,तो मैं जोड़ नहीं पाऊंगी,
उन रास्तों को फिर मोड़ नहीं पाऊंगी,
मत कर ख़ुद को ज़िंदगी से बेदख़ल,
की तेरी ताबूत पे लोग बना लेंगे अपना महल।
मौत से भयानक तो कोई चीज़ नहीं होती,
हम ज़िंदगी से हार जाएं ये रीत नहीं होती,
क़फ़न क्यों तुम लगा रहें हों,
ना लौट पाओगे कभी जहां जा रहे हों,
क्या समेट लोगे हर लम्हे को?
कह दोगे अलविदा अपनों को?
रोज़ सुबह दुआओं में तेरा नाम लेती है,
हर दिन तेरी राह निहारे तेरी मां भी रोती है,
बिना बाप को कांधा दिए, तू कैसे चला जाएगा,
जो चला गया तू ,तो कभी लौट नहीं पाएगा।
माना लोगों ने बड़े जूल्म किए ,
फिर निराशा ने तुझे घेर लिया,
तेरे दिल में एक सैलाब उठा,
तू मौत से मिलने को बेताब हुआ।
क्यों तुझे इतनी निराशा है?
ना मन में कोई अभिलाषा है,
मत दें ख़ुद को तू सजा,
की फीर लोग ढूंढेंगे वजह,
बस एक बार थामले तू जिंदगी का हाथ,
उम्र भर ना छूटे ऐसा हों साथ,
आ अब चल दें तू बिना लड़खड़ाए,
की तेरी इंसाफ की लड़ाई अभी बाकी है,
रचने को एक नया इतिहास स्याही अभी बाकी है।
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